सरकार ने जारी की देश में बाघों को लेकर रिपोर्ट, जानें वृद्धि हुई या गिरावट
सरकार की ओर से जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार शिवालिक पर्वतों-गंगा के मैदानी इलाकों, मध्य भारत और सुंदरबन में बाघों की संख्या बढ़ी है लेकिन रहने के ठिकानों की कमी और शिकार जैसे कारणों से पश्चिमी घाट और पूर्वोत्तर-ब्रह्मपुत्र के मैदानी इलाकों में इनकी तादाद घटी है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: सरकार की ओर से रविवार को जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार शिवालिक पर्वतों-गंगा के मैदानी इलाकों, मध्य भारत और सुंदरबन में बाघों की संख्या बढ़ी है लेकिन रहने के ठिकानों की कमी और शिकार जैसे कारणों से पश्चिमी घाट और पूर्वोत्तर-ब्रह्मपुत्र के मैदानी इलाकों में इनकी तादाद घटी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ के 50 साल पूरे होने के अवसर पर मैसूरु में आयोजित एक कार्यक्रम में बाघों की नवीनतम संख्या जारी की।
भारत में बाघों की संख्या पिछले चार वर्षों में 200 से बढ़कर 2022 में 3,167 तक पहुंच गई।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, आंकड़ों के अनुसार, देश में 2006 में बाघों की संख्या 1411, 2010 में 1706, 2014 में 2,226, 2018 में 2,967 और 2022 में 3,167 थी।
‘बाघों की स्थिति रिपोर्ट 2022’ में कहा गया है, 'शिवालिक पर्वतों और गंगा के मैदानी इलाकों में बाघों की कुल संख्या 804 दर्ज की गई है, जो 2018 की अनुमानित संख्या (646) से अधिक है।'
रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में नए क्षेत्रों में खींची गईं बाघों की तस्वीरें इनकी तादाद में वृद्धि की उम्मीद जगाती हैं।
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इसमें कहा गया है, 'बाघों का दीर्घकालिक अस्तित्व सुनिश्चित करने के लिए, उत्तर प्रदेश के शिवालिक वन प्रभाग को उन्हें फिर से बसाने, सुहेलवा में उनकी सुरक्षा बढ़ाने और वाल्मीकि क्षेत्र में उनकी आनुवंशिक रूप से भिन्न आबादी पर विशेष ध्यान देना चाहिए।'
रिपोर्ट में कहा गया है कि काली (अंशी डंडेली) जैसे कुछ क्षेत्रों को छोड़कर समस्त पश्चिमी घाट में बाघों की संख्या कम हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिमी घाट क्षेत्र में 2018 में बाघों की संख्या 981 थी, जो घटकर 2022 में 824 रह गई है।
इसमें कहा गया है, 'एक ओर संरक्षित क्षेत्रों के भीतर बाघों की आबादी या तो स्थिर बनी हुई है या बढ़ी है, तो दूसरी ओर इन क्षेत्रों के बाहर जैसे कि वायनाड, बीआरटी हिल्स, गोवा और कर्नाटक के सीमावर्ती क्षेत्रों में बाघों की संख्या में काफी कमी आई है।'
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘जबकि संरक्षित क्षेत्रों के भीतर बाघों की संख्या या तो स्थिर बनी हुई है या बढ़ी है, इन क्षेत्रों के बाहर बाघों की संख्या में काफी कमी आई है।’’
इसमें ‘‘पश्चिमी घाट में बाघों की घटती संख्या के पीछे प्रमुख कारणों में से एक ‘‘मनुष्यों की अधिक गतिविधियों और विकास’’ का हवाला दिया गया है।
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मध्य भारत में भी बाघों की संख्या में वृद्धि देखी गई है। 2018 में अनुमानित आबादी 1,033 थी, जो 2022 में 1,161 दर्ज की गई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में बाघों ने नए ठिकाने बनाए हैं।
रिपोर्ट में झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में बाघों की संख्या को ठीक करने में मदद के लिए गंभीर संरक्षण प्रयासों का आह्वान किया गया है।
इसी तरह सुंदरबन में भी बाघों की संख्या बढ़ी है। 2018 में यह 88 थी जो बढ़कर 2022 में 100 हो गई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि क्षेत्र की पारिस्थितिक अखंडता को बनाए रखने के लिए भारत और बांग्लादेश के बीच सीमा पार सहयोग और जानकारी का आदान-प्रदान अनिवार्य है।