Health Tips: सेहतमंद बने रहने के लिए जरूर करें ये 5 योगासन, जानिये इनके फायदे
योगा शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए कारगर उपाय है। यह एक प्राचीन प्रणाली है जिसमें आसन, प्राणायाम, और ध्यान जैसे तकनीकें से कई तरह की बीमारियां छूमंतर हो जाती है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नई दिल्ली: योग भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह एक प्राचीन प्रक्रिया है जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य की सेवा करती है। योग का शब्द संस्कृत शब्द "युज" से लिया गया है, जो "जोड़ना" या "एकत्र करना" का अर्थ है।
डाइनामाइट न्यूज की इस रिपोर्ट में जानिये कुछ खास और आसान योग के बारे में।
योग विभिन्न आसनों, प्राणायाम, ध्यान और धारणा के माध्यम से मन को शांति और शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
भुजंगासन
भुजंगासन योग का एक प्रसिद्ध आसन है जो सर्वांगासन की शुरुआत में किया जाता है। इस आसन में शरीर को सर्वांग मुद्रा में लाया जाता है, जिससे कंधों और पीठ की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। इसके अलावा, यह पेट की चर्बी को कम करने में भी मदद कर सकता है। यह आसन करते समय ध्यान और सांस की गहराई को ध्यान में रखना चाहिए। ठोस सतह पर आपके पेट को मजबूती से टेढ़े हाथों के साथ बाहर खींचें। अपने बाएं हाथ को अपने दाएं हाथ के सामने स्थित करें और सीधे करें। सांस लेते समय, अपने नाभि को सतह से ऊपर उठाएं और अपनी आंतों को सांस के समय समीप ले जाएं।
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ध्यान रखें कि अपने शरीर को सीधा और लचीला रखें। धीरे-धीरे सांस छोड़ें और ध्यान दें कि अपने पेट को धरना नहीं चाहिए। 20-30 सेकंड के लिए इस स्थिति में बनाए रखें, फिर धीरे-धीरे वापस आएं।
वृक्षासन
इस आसन के द्वारा स्थिरता और संतुलन की प्राप्ति होती है और शरीर को मजबूत बनाए रखने में मदद मिलती है। इस आसन में, आपको अपने पैरों को एक साथ मिलाकर खड़े होकर हाथों को ऊपर उठाना होता है, जिससे आपके शरीर की मांसपेशियों को बढ़ावा मिलता है। यह आसन आपके पीठ, कंधे, पेट और पैरों की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करता है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले दोनों योग मैट पर सीधे खड़े हो जाएं।
अब अपने दाहिने पैर को घुटने को मोड़ें और दाहिने पैर के तलवे को बाएं पैर की जांघ पर सटाने की कोशिश करें। इस दौरान एड़ी ऊपर की तरफ और पंजे जमीन की तरफ होने चाहिए। बाएं पैर पर शरीर का वजन संतुलित करें और सीधे खड़े रहने का प्रयास करें।
त्रिकोणासन
त्रिकोणासन करने से गर्दन, पीठ, कमर और पैर के मासपेशियां मजबूत रहती हैं। इस आसन के द्वारा शरीर का संतुलन अचछा बना रहता हैं। पाचन प्रणाली ठीक होती हैं। एसिडिटी से छुटकारा मिलता हैं। चिंता, तनाव, कमर और पीठ का दर्द गायब हो जाता हैं। पेट पर जमी अतिरिक्त चर्बी और मोटापा दूर करने में सहायक आसन माना जाता हैं। शरीर को सुडौल, मजबूर और लचीला बनाता हैं। यह आसन आपके शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हैं फायदेमंद। दोनों पैरों के बीच फासला रखते हुए सीधे खड़े हो जाएं। अब लंबी श्वास लेते हुए और दाईं ओर झुकें, नजर सामने की ओर रखें। इस स्थिति में दाएं हाथ की उंगलियों से दाएं पैर को छूने की कोशिश करें। फिर पूर्ववत स्थिति में आएं और इसकी अभ्यास को बाईं तरफ से भी करें।
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पश्चिमोत्तानासन
पश्चिमोत्तानासन शब्द संस्कृत के मूल शब्दों से बना है “पश्चिम” जिसका अर्थ है “पीछे” या “पश्चिम दिशा”, और “तीव्र खिंचाव” है और आसन जिसका अर्थ है “बैठने का तरीका”। इस आसन को कम से कम 30 से 60 सेकेंड तक करना चाहिए। पश्चिमोत्तानासन अभ्यास करने से मासिक धर्म के दौरान होने वाले लक्षणों को कम किया जा सकता है। हालांकि, मासिक धर्म के दौरान पश्चिमोत्तानासन अभ्यास करने से पहले डॉक्टर से अनुमति अवश्य लें।
इस आसन को करने के लिए सबसे पहले दोनों पैरों को फैलाकर जमीन पर बैठ जाएं। और गहरी सांस लेते हुए शरीर को आगे की ओर झुकाएं। हाथों से पैरों के तलवों और नाक को घुटनों से स्पर्श कराएं।
पश्चिमोत्तानासन भी पेट की पाचन क्रिया को तेज करने में मदद करता है। नियमित रूप से पश्चिमोत्तानासन करने से कब्ज दूर होती है और भूख भी लगती है।
दंडासन
दंडासन करने से शरीर की मांसपेशियां मजबूत बनी रहती है। कंधों और छाती में खिचाव रहता है। शरीर की रीढ़ की हड्डी से जुड़ी सारी समस्या दूर हो जाती है। यह आसन एकाग्रता बढ़ाने में सहायता करता है। इस आसन से पाचन तंत्र में भी काफी लाभ मिलता है और अस्थमा आदि की बीमारी से भी राहत मिलती है। पैरों को एक साथ मिलाकर दोनों पैरों को रिलैक्स करें। जांघ की मांसपेशियों में खिंचाव महसूस करें।
फिर कंधों को कूल्हों के ऊपर ले जाते हुए रीढ़ को सीधा रखें। इसके लिए बाजुओं का सपोर्ट लें। हथेलियां कूल्हों के दोनों ओर फर्श पर टिकाएं। सांस लें और रीढ़ सीधी रखीं। पैरों को पूरी तरह से व्यस्त रखते हुए कुछ पल इसी अवस्था में रहें।