सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा- उमर अब्दुल्ला को रिहा करना है तो जल्दी करें, वरना..
उच्चतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की नागरिक सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत को चुनौती देने वाली उनकी बहन सारा पायलट की याचिका की सुनवाई बुधवार को एक सप्ताह के लिए टाल दी।
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की नागरिक सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत को चुनौती देने वाली उनकी बहन सारा पायलट की याचिका की सुनवाई बुधवार को एक सप्ताह के लिए टाल दी। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन के वकील से पूछा कि क्या प्रशासन उमर की रिहाई के बारे में सोच रहा है या नहीं। वकील ने कहा कि वह प्रशासन से इस बारे में जानकारी हासिल करके न्यायालय को अवगत कराएगा। इसके बाद न्यायालय ने मामले की सुनवाई एक सप्ताह के लिए टाल दी।
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सुनवाई के दौरान सारा पायलट के वकील कपिल सिब्बल ने खंडपीठ से मामले की सुनवाई जल्दी करने का अनुरोध किया है। सारा पायलट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है। उन्होंने गत 10 फरवरी को शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल करते हुए अपने भाई उमर अब्दुल्ला को जेके-पीएसए-1978 के तहत हिरासत में लिए जाने को अवैध बताया था। खंडपीठ ने गत 14 फरवरी को याचिका की सुनवाई करते हुए जम्मू-कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी किया था।
उमर अब्दुल्ला पांच अगस्त 2019 से सीआरपीसी की धारा 107 के तहत हिरासत में हैं। इस कानून के तहत उमर अब्दुल्ला की छह महीने की एहतियातन हिरासत अवधि पांच फरवरी 2020 को खत्म होने वाली थी लेकिन सरकार ने उन्हें फिर से पीएसए के तहत हिरासत में ले लिया है। (वार्ता)
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