गोवा विधानसभा में मणिपुर हिंसा को लेकर भारी उबाल, जानिये पूरा अपडेट
गोवा विधानसभा में मणिपुर हिंसा को लेकर प्रदर्शन तथा हंगामा करने पर सोमवार को सभी सात विपक्षी सदस्यों को दो दिन के लिए सदन की कार्यवाही से निलंबित कर दिया गया। पढिेय़े पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
पणजी: गोवा विधानसभा में मणिपुर हिंसा को लेकर प्रदर्शन तथा हंगामा करने पर सोमवार को सभी सात विपक्षी सदस्यों को दो दिन के लिए सदन की कार्यवाही से निलंबित कर दिया गया।
डाइनामाइट संवाददाता के अनुसार, अध्यक्ष रमेश तावडकर ने बाद में संवाददाताओं से बातचीत में विपक्षी सदस्यों का आचरण निंदनीय करार दिया। विधानसभा का मानसून सत्र 18 जुलाई को शुरू हुआ था और उसका समापन 10 अगस्त को होगा।
निलंबित सदस्यों में विपक्ष के नेता यूरी अलेमाओ, कांग्रेस विधायक एलटोन डी’कोस्टा और कार्लोस फरेरा, आम आदमी पार्टी (आप) के वेंजी वीगास और क्रूज सिल्वा, गोवा फॉरवर्ड पार्टी के विजय सरदेसाई और रेवोल्यूशनरी गोवा पार्टी के विरेश बोरकर शामिल हैं।
प्रश्नकाल के बाद अलेमाओ ने सदन में मणिपुर हिंसा पर चर्चा कराए जाने की मांग करते हुए दावा किया कि पिछले शुक्रवार को इस मुद्दे पर क्रूज सिल्वा द्वारा लाए गए निजी संकल्प को अध्यक्ष रमेश तावडकर ने नामंजूर कर दिया था।
काले रंग के कपड़े पहनकर आए विपक्ष के सभी सदस्यों ने इस मुद्दे पर सदन में हंगामा शुरू कर दिया।
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विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि पूरा देश इस मुद्दे को लेकर संवेदनशील है। उन्होंने कहा, ‘‘केंद्रीय गृह मंत्रालय इस मुद्दे से निपट रहा है। संसद में इस पर चर्चा हुई है। हम सदन में इस मुद्दे पर चर्चा की अनुमति नहीं दे सकते हैं।’’
इस जवाब से असंतुष्ट विपक्षी सदस्य अध्यक्ष के आसन के समीप आ गए और ‘‘मणिपुर, मणिपुर’’ के नारे लगाने लगे।
जब महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) के विधायक जीत अर्लेकर सदन में अपनी बात रख रहे थे तो विपक्षी सदस्य पोस्टर लेकर उनकी ओर गए और उन्हें बोलने से रोका। इस पर मार्शलों ने विपक्षी सदस्यों को सदन से बाहर निकाल दिया।
इस घटना के बाद मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत और पर्यावरण मंत्री नीलेश कैब्राल ने विपक्षी सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। सावंत ने कहा कि इस तरह के बर्ताव को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता ।
इसके बाद तावडकर ने विपक्ष के सात विधायकों को सोमवार से दो दिन के लिए सदन की कार्यवाही से निलंबित कर दिया।
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मणिपुर में तीन मई को हिंसा भड़की थी और राज्य में अब तक इस हिंसा में 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है तथा सैंकड़ों अन्य घायल हुए हैं।
तावडकर ने बाद में संवादददाताओं से कहा कि उन्हें विपक्षी विधायकों के निलंबन का आदेश देना पड़ा क्योंकि उनका आचरण निंदनीय था। उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्यों ने विधायक अर्लेकर के संबोधन में व्यवधान डाला । उन्होंने कहा कि वे मुख्यमंत्री सावंत एवं स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे की ओर भी गये।
अर्लेकर ने कहा कि विपक्षी सदस्यों ने उनका माइक छीन लिया।
अध्यक्ष ने दावा किया कि विपक्षी सदस्यों ने यह कहते हुए उनके निलंबन पर पुनर्विचार करने का अनुरोध भेजा है कि उनसे गलती हो गई।