आईआईटी छात्र की मौत के मामले में पीड़ित पिता ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, जानिये क्या कहा

डीएन ब्यूरो

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बंबई के छात्र दर्शन सोलंकी के पिता ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि उनके परिवार को उनके बेटे की मौत के संबंध में प्राथमिकी दर्ज कराने में पुलिस के उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

बंबई के छात्र दर्शन सोलंकी
बंबई के छात्र दर्शन सोलंकी


मुंबई: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बंबई के छात्र दर्शन सोलंकी के पिता ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि उनके परिवार को उनके बेटे की मौत के संबंध में प्राथमिकी दर्ज कराने में पुलिस के उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है।

 लिखे गए पत्र में यह भी कहा गया है कि पुलिस और विशेष जांच दल (एसआईटी) के रवैये से उनका परिवार ‘‘पूरी तरह से स्तब्ध और निराश है’’, जो दो सप्ताह से प्राथमिकी दर्ज करने से ‘‘इनकार’’ कर रहे हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार अधिकारी ने बताया कि पत्र की एक प्रति उपमुख्यमंत्री एवं गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस और मुंबई के पुलिस आयुक्त विवेक फणसालकर को भी भेजी गयी है ।

गुजरात के अहमदाबाद के निवासी और बीटेक (केमिकल) पाठ्यक्रम के प्रथम वर्ष के छात्र दर्शन सोलंकी ने इस साल 12 फरवरी को संस्थान परिसर में स्थित एक छात्रावास की इमारत की सातवीं मंजिल से कूदकर कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी।

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उसके परिवार ने दावा किया है कि उसे अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय से संबंधित होने के कारण आईआईटीबी में भेदभाव का सामना करना पड़ा और उसकी मृत्यु के पीछे साजिश की आशंका है।

हालांकि, संस्थान द्वारा गठित जांच समिति ने जाति-आधारित भेदभाव को खारिज कर दिया और उसके खराब शैक्षणिक प्रदर्शन को आत्महत्या का संभावित कारण बताया था।

दर्शन के पिता रमेश सोलंकी ने अपने पत्र में कहा, ‘‘आपको सूचित किया जाता है कि मैं अपने बेटे की मौत के मामले में 16 मार्च की अपनी शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए अपने परिवार के साथ अहमदाबाद से पवई पुलिस थाने गया था। हमारे अनुरोध के बावजूद पवई पुलिस थाना ने यह कहते हुए प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार कर दिया कि मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है, इसलिए वे प्राथमिकी दर्ज नहीं कर सकते और आवश्यक कार्रवाई के लिए एसआईटी को शिकायत भेज देंगे।’’

उन्होंने कहा कि उस समय मौजूद एक पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) का रवैया सहयोगात्मक नहीं था और उन्होंने प्राथमिकी दर्ज करने के उनके अनुरोध पर विचार करने से इनकार कर दिया।

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छात्र के पिता ने यह भी आरोप लगाया कि जब परिवार ने एसआईटी से संपर्क किया तो उसने भी सहयोग नहीं किया।

उन्होंने कहा, ‘‘हम पुलिस और एसआईटी के सदस्यों के रवैये से पूरी तरह से स्तब्ध और निराश हैं, जो लगभग दो सप्ताह से प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार कर रहे हैं।... उनके आचरण से हमारा भरोसा टूटा है।’’










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