India's Agricultural Trade: कृषि व्यापार बकाया में गिरावट, जानिए क्या हैं मुख्य कारण?

डीएन ब्यूरो

भारत की कृषि व्यापार नीति को सतत सुधार की आवश्यकता है ताकि निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके और आयात पर निर्भरता कम की जा सके। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की ये खास रिपोर्ट

खेतों में काम करते किसान
खेतों में काम करते किसान


नई दिल्ली: भारत का कृषि क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह न केवल देश की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भी एक महत्वपूर्ण योगदान देता है। भारत का कृषि व्यापार आमतौर पर अधिशेष में रहता है, यानी जो कृषि उत्पाद निर्यात किए जाते हैं। वे आयात किए गए उत्पादों से अधिक होते हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में यह अधिशेष धीरे-धीरे घटता जा रहा है।

भारत के कृषि व्यापार का मौजूदा रुझान

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, यदि भारत के कृषि व्यापार को देखें तो यह अभी भी अधिशेष में है, लेकिन यह अधिशेष लगातार घट रहा है। अप्रैल-दिसंबर 2023 की तुलना में अप्रैल-दिसंबर 2024 तक कृषि निर्यात 6.5% बढ़ा, जबकि इसी अवधि में कृषि आयात 18.7% बढ़ गया। इसका सीधा असर व्यापार अधिशेष पर पड़ा। जो $10.6 बिलियन से घटकर $8.2 बिलियन रह गया। यह दर्शाता है कि भारत का कृषि व्यापार अब पहले जितना मजबूत नहीं रहा। निर्यात में वृद्धि हो रही है, लेकिन आयात उससे भी अधिक तेजी से बढ़ रहा है। जिससे अधिशेष में गिरावट आ रही है।

पिछले दस वर्षों में कृषि व्यापार में उतार-चढ़ाव के कारण

1.    वैश्विक कीमतों में बदलाव: 2013-14 से 2019-20 के बीच वैश्विक बाजार में कृषि उत्पादों की कीमतों में गिरावट आई। जिससे भारत के निर्यात को नुकसान हुआ।
2.    महामारी और युद्ध का प्रभाव: कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बाधित हुई। जिससे खाद्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हुई। इस दौरान भारत का कृषि निर्यात बढ़ा, लेकिन जैसे ही कीमतें स्थिर हुईं, निर्यात भी घटने लगा।
3.    सरकार की नीतियाँ: कुछ कृषि उत्पादों के निर्यात पर सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाए गए। जिससे निर्यात प्रभावित हुआ। उदाहरण के लिए चीनी और गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया ताकि घरेलू आपूर्ति को सुनिश्चित किया जा सके और महंगाई पर नियंत्रण रखा जा सके।

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भारत के प्रमुख कृषि निर्यात और उनका प्रदर्शन

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, भारत के प्रमुख कृषि निर्यात उत्पादों में समुद्री उत्पाद, चावल, मसाले, कॉफी और तंबाकू शामिल हैं। हाल के वर्षों में इन उत्पादों के प्रदर्शन में उतार-चढ़ाव देखा गया है।
•    समुद्री उत्पाद: भारत का सबसे बड़ा कृषि निर्यात समुद्री उत्पाद (मछली और झींगा) हैं, लेकिन हाल में इनकी कीमतों में गिरावट आई है।
•    चावल: बासमती और गैर-बासमती चावल का निर्यात लगातार बढ़ रहा है और यह भारत के कुल कृषि निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
•    मसाले, कॉफी और तंबाकू: इनका निर्यात रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच सकता है, क्योंकि वैश्विक बाजार में इनकी मांग लगातार बनी हुई है।
•    चीनी: सरकार की नीतियों के कारण चीनी का निर्यात कम हो गया है। जिससे इस क्षेत्र को नुकसान हुआ है।

भारत के कृषि निर्यात के प्रमुख बाजार और उनसे जुड़े जोखिम

भारत अपने कृषि उत्पादों का निर्यात मुख्य रूप से अमेरिका, चीन और यूरोपीय संघ को करता है।
•    अमेरिका भारत के समुद्री उत्पादों का सबसे बड़ा खरीदार है, लेकिन अमेरिका में नए टैरिफ लगने का खतरा बना रहता है। जो भारतीय उत्पादों को महंगा बना सकता है और उनकी मांग कम कर सकता है।
•    चीन भी भारतीय उत्पादों का प्रमुख बाजार है, लेकिन वैश्विक व्यापार नीतियों और चीन की घरेलू नीतियों में बदलाव से यह बाजार अस्थिर बना रहता है।


भारत के कृषि आयात और उनकी आवश्यकता

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•    खाद्य तेल और दालें: भारत खाद्य तेल और दालों का सबसे अधिक आयात करता है। देश में दालों का उत्पादन बढ़ा था, जिससे आयात कम हो गया था, लेकिन 2023-24 में खराब फसल के कारण आयात फिर से बढ़ गया।
•    कपास: भारत पहले कपास का निर्यातक था, लेकिन अब यह आयातक बन गया है। इसकी वजह यह है कि भारत का उत्पादन उतना प्रतिस्पर्धी नहीं रहा और आयातित कपास सस्ता पड़ रहा है।

भारत के मसाला व्यापार की स्थिति

भारत विश्व में मसालों का सबसे बड़ा निर्यातक है। विशेष रूप से मिर्च और नए बीज मसालों की मांग अधिक है। हालांकि, भारत काली मिर्च और इलायची जैसे मसाले भी आयात करता है, क्योंकि इनकी घरेलू मांग अधिक और उत्पादन कम है।

वैश्विक घटनाओं का भारतीय कृषि पर प्रभाव

•    कोविड-19 और रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित किया। जिससे कृषि उत्पादों की कीमतें बढ़ गईं और भारत के निर्यात को लाभ हुआ।
•    ब्राजील में सूखा और वियतनाम में तूफान ने वहां की कॉफी और तंबाकू की आपूर्ति को प्रभावित किया, जिससे भारत का निर्यात बढ़ा।










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