यूक्रेन युद्ध पर रुस, पश्चिमी देशों में बढ़ते टकराव के बीच भारत करेगा जी-20 के विदेश मंत्रियों की मेजबानी

डीएन ब्यूरो

यूक्रेन संघर्ष को लेकर रूस और पश्चिमी देशों के बीच बढ़ते टकराव के बीच वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए जी-20 देशों के विदेश मंत्री एक और दो मार्च को राष्ट्रीय राजधानी में बैठक करेंगे। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

जी-20
जी-20


नयी दिल्ली: यूक्रेन संघर्ष को लेकर रूस और पश्चिमी देशों के बीच बढ़ते टकराव के बीच वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए जी-20 देशों के विदेश मंत्री एक और दो मार्च को राष्ट्रीय राजधानी में बैठक करेंगे।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, फ्रांस से कैथरीन कोलोना, चीनी विदेश मंत्री किन गांग, जर्मनी की अन्नालेना बेयरबॉक और ब्रिटिश विदेश मंत्री जेम्स क्लेवरली उन लोगों में शामिल हैं जो भारत की मेजबानी वाली बैठक में भाग लेने वाले हैं।

यूरोपीय संघ के विदेश मामलों के उच्च प्रतिनिधि जोसेप बोरेल फोंटेल्स, इटली के विदेश मंत्री एंटोनियो तजान, ऑस्ट्रेलिया के पेनी वोंग, सऊदी विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान, इंडोनेशिया के रेटनो मार्सुदी और अर्जेंटीना के विदेश मंत्री सैंटियागो कैफिएरो बैठक में भाग लेने वालों में शामिल हैं।

भारत के निमंत्रण के बाद श्रीलंका और बांग्लादेश सहित गैर-जी-20 देशों के कई विदेश मंत्री भी इस बैठक में मेहमान के रूप में भाग ले रहे हैं।

बैठक के एजेंडे की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि मेहमानों का एक मार्च को भव्य समारोह में स्वागत किया जाएगा, जबकि विभिन्न चुनौतियों पर महत्वपूर्ण विचार-विमर्श दो मार्च को रायसीना हिल्स स्थित राष्ट्रपति भवन सांस्कृतिक केंद्र (आरबीसीसी) में होगा।

जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों और जी-20 सदस्य देशों के केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की बेंगलुरु में हुई बैठक के कुछ दिन बाद ही यह बैठक हो रही है। बेंगलुरु की बैठक में यूक्रेन विवाद को लेकर पश्चिमी शक्तियों और रूस-चीन गठजोड़ के बीच तीखे मतभेदों को लेकर संयुक्त बयान जारी नहीं हो सका था।

बैठक में बहुपक्षवाद, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा और विकास सहयोग, आतंकवाद का मुकाबला, नए और उभरते खतरों, वैश्विक कौशल मानचित्रण और मानवीय सहायता और आपदा राहत पर विचार-विमर्श होने की उम्मीद है।

यह भी पढ़ें | जयशंकर और यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा के बीच चर्चा

इस बैठक में शामिल होने वाले विदेश मंत्री गिरती आर्थिक वृद्धि, बढ़ती मुद्रास्फीति, वस्तुओं और सेवाओं की कम मांग के साथ-साथ खाद्य, ईंधन और उर्वरकों की बढ़ती कीमतों से निपटने के तरीकों पर भी चर्चा कर सकते हैं।

पश्चिम और रूस-चीन गठजोड़ के बीच टकराव का मुख्य मुद्दा यूक्रेन संघर्ष होने की उम्मीद है, हालांकि भारत इस महत्वपूर्ण बैठक के बाद एक संयुक्त बयान जारी करने के लिए सभी प्रयास करने को तैयार है।

रूस ने रविवार को आरोप लगाया था कि यूक्रेन की स्थिति को लेकर ‘सामूहिक पश्चिम’ द्वारा मास्को के प्रति ‘टकराव’ के रुख के कारण बेंगलुरु में जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों की बैठक बिना किसी संयुक्त बयान के समाप्त हो गई।

वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की शनिवार को हुई जी-20 बैठक यूक्रेन में युद्ध का कोई संदर्भ देने पर रूस और चीन के विरोध के बाद संयुक्त बयान जारी नहीं कर सकी।

बैठक के अंत में भारत ने जी-20 का अध्यक्ष होने के नाते एक सारांश जारी किया था।

रूसी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में भारतीय अध्यक्षता की रचनात्मक भूमिका और सभी देशों के हितों और रुख पर निष्पक्ष विचार करने के उसके प्रयासों का जिक्र किया।

उसने आरोप लगाया, ‘‘हमारे विरोधी, मुख्य रूप से अमेरिका, यूरोपीय संघ और जी-7 रूस को अलग-थलग करने और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा एवं वैश्विक अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में भड़काई गई समस्याओं के लिए उस पर दोष मढ़ने के अपने प्रयासों को जारी रखे हुए हैं।’’

यह भी पढ़ें | रूस के साथ खड़े होने का अर्थ है इतिहास के गलत पक्ष के साथ होना, जानिये किसने दिया ये बयान

भारत ने अभी तक रूसी आक्रमण की निंदा नहीं की है और बातचीत तथा कूटनीति के माध्यम से संघर्ष के समाधान के लिए जोर दे रहा है।

जी-20 बैठक में भाग लेने के अलावा, कई विदेश मंत्री भू-राजनीति और भू-अर्थशास्त्र पर भारत के वार्षिक सम्मेलन रायसीना डायलॉग में भाग लेने वाले हैं।

जी-20 दुनिया की प्रमुख विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का एक अंतर-सरकारी मंच है।

सदस्य वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत और दुनिया की आबादी का लगभग दो-तिहाई प्रतिनिधित्व करते हैं।

इस समूह में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) शामिल हैं।










संबंधित समाचार