प्रेरक पहल: प्रकृति प्रेमी ने पौधारोपण को बढ़ावा देने के लिए किया ये अनूठा काम

डीएन ब्यूरो

महाराष्ट्र के लातूर जिले में 36 वर्षीय शिवशंकर चापूले ने पौधारोपण को बढ़ावा देने और लोगों को हरियाली की महत्ता को लेकर जागरूक करने के लिए अपने घर में एक बीज बैंक बनाया है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

घर में बनाया बीज बैंक
घर में बनाया बीज बैंक


लातूर: महाराष्ट्र के लातूर जिले में 36 वर्षीय शिवशंकर चापूले ने पौधारोपण को बढ़ावा देने और लोगों को हरियाली की महत्ता को लेकर जागरूक करने के लिए अपने घर में एक बीज बैंक बनाया है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने लातूर की रीनापुर तहसील के इस प्रकृति प्रेमी की लोगों को निशुल्क बीज उपलब्ध कराने की पहल की प्रशंसा की और कहा कि कई छात्रों तथा नागरिकों ने पौधे लगाने के लिए उससे प्रेरणा ली है।

चापूले ने तीन साल पहले यह पहल शुरू करने से लेकर अब तक 5,000 लोगों और कुछ एनजीओ (गैर-सरकारी संगठनों) को बीज उपलब्ध कराने का दावा किया है। वह पौधारोपण के लिए प्रेरित करने के साथ ही लोगों को वायु प्रदूषण और वैश्विक ताप वृद्धि के हानिकारक असर के बारे में भी बताते हैं।

बीज बैंक में पौधों के संरक्षण के लिए बीजों का भंडारण किया जाता है।

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पांच जून को ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ से पहले ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में चापूले ने कहा कि उन्होंने अपना घर बीज बैंक में बदल दिया है, जहां स्वदेशी पौधों और वृक्षों के 150 से अधिक किस्मों के बीज हैं।

एक निजी गैस एजेंसी में काम करने वाले चापूले ने कहा कि उन्होंने तीन साल पहले यह बीज बैंक शुरू किया था, जिसके जरिये वह लोगों को ऐसे पौधा लगाने के लिए निशुल्क बीज उपलबध करा रहे हैं, जो स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए लाभकारी होते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘बीज बैंक का उद्देश्य वृक्षारोपण बढ़ाना और स्वदेशी पौधों/वृक्षों के बारे में जागरूकता पैदा करना है, क्योंकि दुनियाभर में प्रदूषण और तापमान का स्तर बढ़ रहा है तथा औद्योगिकीकरण और आबादी में वृद्धि के कारण हरित क्षेत्र तेजी से कम हो रहे हैं।’’

चापूले ने 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की है और वह बचपन से ही प्रकृति प्रेमी रहे हैं। चापूले प्लास्टिक की बोतलों का पुन: इस्तेमाल करने को लेकर भी जागरूकता पैदा कर रहे हैं। वह कबाड़ में फेंकी गई बोतलें इकट्ठा करते हैं और बीजों का भंडार करने के लिए उनका इस्तेमाल करते हैं।

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चापूले ने कहा, ‘‘मैं बीज एकत्रित करने के लिए हर सुबह पास में स्थित एक जंगल में जाता हूं। मैं लोगों को डाक सेवा के जरिये भी निशुल्क बीज उपलब्ध कराता हूं। अभी तक, मैंने 5,000 लोगों और सहयाद्री देवराय और सहयाद्री फाउंडेशन जैसे एनजीओ को बीज उपलब्ध कराए हैं, ताकि वे पौधे लगा सकें और उन्हें निशुल्क वितरित कर सकें।’’

लातूर जिला परिषद के कृषि विभाग के अभियान अधिकारी गोपाल शेरखणे ने चापूले की पहल की तारीफ की है।

उन्होंने कहा, ‘‘कई छात्रों और नागरिकों ने चापूले से प्रेरणा ली है और बड़े पैमाने पर पौधारोपण किया है। वृक्षों/पौधों की कई स्वदेशी प्रजातियां नष्ट हो गई हैं। चापूले ने अपने बीज बैंक के जरिये इन दुर्लभ पौधों के बारे में जागरूकता पैदा की है।’’










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