आर्थिक तंगी से परेशान अनुदेशक ने की आत्महत्या, प्रदेश भर में श्रद्धांजलि सभा

डीएन ब्यूरो

सोमवार को प्रदेश भर में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाएगा। युवा हल्‍लाबोल ने लगाया आरोप, यह आत्महत्या नहीं प्रशासनिक हत्या है। पिछले दिसम्बर माह से ही अनुदेशकों का मानदेय रोक दिए गया है।

अनुदेशक राजेश कुमार पटेल
अनुदेशक राजेश कुमार पटेल


बांदा: बीते गुरुवार को उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में कार्यरत अनुदेशक राजेश कुमार पटेल ने आत्महत्या कर ली थी। पिछले दिसम्बर माह से ही अनुदेशकों का मानदेय अब तक नहीं मिला है। जिससे अनुदेशक राजेश आर्थिक तंगी में चल रहा था। सोमवार को प्रदेश भर में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाएगा। जिसमें उत्तर प्रदेश के सभी 32000 अनुदेशक, अध्यापक और युवा-हल्लाबोल आंदोलन से जुड़े वालंटियर शामिल होंगे।

नहीं लागू किया गया नया शासनादेश

इस संबंध में युवा हल्लाबोल के नेशनल कोऑर्डिनेटर गोविन्द मिश्रा ने कहा कि यह आत्महत्या नहीं प्रशासनिक हत्या है। जहां एक तरफ प्रदेश भर के हज़ारों अनुदेशक 2017 से मासिक 17,000 रुपये मानदेय संबंधी शासनादेश को लागू करने की मांग कर रहे हैं। लेकिन दूसरी तरफ वर्तमान में अनुदेशकों को मिल रहा 8,470 का वेतन रोककर सरकार ने अपनी असंवेदनशीलता को दिखा दिया है। 

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कितनी मौतों के बाद कुंभकर्णी नींंद से जागेगा प्रशासन

युवा-हल्लाबोल आंदोलन का नेतृत्व कर रहे अनुपम ने ट्वीट किया है कि पिछले चार महीने से वेतन न मिलने के कारण आर्थिक तंगी से परेशान यूपी के अनुदेशक ने आत्महत्या कर ली। क्या ऐसी दर्दनाक खबरों से सरकार का दिल नही पसीजता? वरना दो साल से हज़ारों अनुदेशकों का मानदेय बढ़ाकर 17,000 रुपये करने संबंधित शासनादेश अब तक लागू क्यों नही हुआ?  कितनी मौतों के बाद असर होगा? 

श्रद्धांजलि सभा का आयोजन

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अनुपम ने बताया, सोमवार को प्रदेश भर में राजेश पटेल जी के लिए श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाएगा। जिसमें उत्तर प्रदेश के सभी 32000 अनुदेशक, अध्यापकगण तथा युवा-हल्लाबोल आंदोलन से जुड़े वालंटियर शामिल होंगे।

तीन माह से नहीं मिला मानदेय

गौरतलब है कि बिसंडा थाना क्षेत्र के पल्हरी गांव में स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय में इसी गांव का राजेश कुमार पटेल (28) पुत्र भइयालाल अनुदेशक पद पर पिछले करीब पांच वर्षों से कार्यरत था। बुधवार देर रात गांव के बाहर बबूल के पेड़ में रस्सी बांधकर उसने फांसी लगा ली थी। मृतक के भाई रामकृष्ण ने बताया कि कि तीन माह से मानदेय न मिलने से राजेश आर्थिक तंगहाली से जूझ रहा था।










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