ग्रेट निकोबार परियोजना पर लगे आरोपों की जांच शुरू, जानिये क्या है पूरा मामला
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) ने इन आरोपों की जांच शुरू कर दी है कि ग्रेट निकोबार द्वीप में केंद्र द्वारा शुरू की जा रही एक बड़ी बुनियादी ढांचागत परियोजना संवैधानिक आदेश का ‘‘उल्लंघन’’ करेगी और ‘‘स्थानीय जनजातीय समुदाय के जीवन पर ‘‘प्रतिकूल प्रभाव’’ डालेगी। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) ने इन आरोपों की जांच शुरू कर दी है कि ग्रेट निकोबार द्वीप में केंद्र द्वारा शुरू की जा रही एक बड़ी बुनियादी ढांचागत परियोजना संवैधानिक आदेश का ‘‘उल्लंघन’’ करेगी और ‘‘स्थानीय जनजातीय समुदाय के जीवन पर ‘‘प्रतिकूल प्रभाव’’ डालेगी।
आयोग ने 20 अप्रैल को अंडमान-निकोबार प्रशासन को एक नोटिस जारी किया, जिसमें उसे नोटिस प्राप्त होने के 15 दिन के भीतर तथ्य और इस संबंध में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया है।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने 16,610 हेक्टेयर क्षेत्र वाली इस परियोजना के लिए अंडमान-निकोबार द्वीप समूह एकीकृत विकास निगम (एएनआईआईडीसीओ) को दी गई पर्यावरण मंजूरी की पुन: समीक्षा के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का इस महीने की शुरुआत में गठन किया।
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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, इस परियोजना में एक अंतरराष्ट्रीय ‘कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल’ के विकास के अलावा एक सैन्य-असैन्य, दोहरे उपयोग वाले हवाई अड्डे, एक गैस, डीजल और सौर-आधारित बिजली संयंत्र तथा एक बस्ती का विकास भी शामिल है।
आयोग ने कहा कि इस परियोजना को ‘‘एनसीएसटी से पहले विचार-विमर्श’’ किए बिना शुरू किया जा रहा है।
उसने बताया कि उसे एक जनवरी को आंध्र प्रदेश के एक निवासी की शिकायत मिली थी, जिसने आरोप लगाया है कि यह परियोजना ‘‘संवैधानिक आदेश का उल्लंघन करती है और यह स्थानीय जनजातीय समुदायों के जीवन पर प्रतिकूल असर डालेगी।’’
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नोटिस में कहा गया है, ‘‘आयोग ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 338ए के तहत प्रदत्त शक्तियों के तहत मामले की जांच/पूछताछ करने का निर्णय लिया है। आपसे अनुरोध किया जाता है कि यह नोटिस मिलने के 15 दिन के भीतर आरोपों/मामलों संबंधी तथ्यों और की गई कार्रवाई को लेकर जानकारी पेश की जाए।’’