इरोम शर्मिला राजनीति छोड़ेंगी, अफस्पा की लड़ाई जारी रखेंगी
मणिपुर की मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने शनिवार को राजनीति छोड़ने की घोषणा की। उन्होंने अपनी शर्मनाक हार के लिए जनता को जिम्मेदार ठहराया। इरोम ने सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम को निरस्त करने की मांग को लेकर 16 साल (2016 मध्य तक) लगातार अनशन किया।
इंफाल: मणिपुर की मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने शनिवार को राजनीति छोड़ने की घोषणा की। उन्होंने अपनी शर्मनाक हार के लिए जनता को जिम्मेदार ठहराया। इरोम ने सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम को निरस्त करने की मांग को लेकर 16 साल (2016 मध्य तक) लगातार अनशन किया। उन्होंने थौबुल निर्वाचन क्षेत्र से मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी के खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें महज 90 वोट हासिल हुए। इरोम की जमानत जब्त हो गई।
अपनी हार के चंद घंटों बाद भावुक शर्मिला ने कहा कि वह राजनीति से निराश हैं और इसे छोड़ना चाहती हैं, हालांकि अफस्पा के खिलाफ उनकी लड़ाई जारी रहेगी। शर्मिला ने कहा कि वह चाहती हैं कि उनकी पार्टी और पीपुल्स रिसर्जेस गठबंधन जिंदा रहे।
यह भी पढ़ें |
मणिपुर में भाजपा नीत गठबंधन सरकार को समर्थन देगा एनपीएफ
इरोम ने कहा, "चुनाव परिणाम के बाद मैं राजनीति से निराश हूं : मैंने सोलह सालों तक बगैर पानी के अनशन किया.. लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। जनता ने मुझे निराश किया..।"
उन्होंने कहा, "वे (जनता) मुझे अपने जैसा बनाना चाहते हैं, लेकिन मैं एक आम इंसान रहना चाहती हूं, जिसके पास वास्तविकता का, पसंद का, आजादी का अधिकार हो।"
यह भी पढ़ें | भाजपा की प्रचंड लहर के वावजूद जीते बाहुबली मुख्तार अंसारी
शर्मिला ने कांग्रेस और भाजपा दोनों को समान रूप से गंदा बताया। (आईएएनएस)