DN Exclusive: तो क्या ड्रग्स सिंडिकेट का सुरक्षित हब बन गया है महराजगंज? अवैध व नशीली दवाईयों को लेकर पढ़िये यह चौंकाने वाला खुलासा
उत्तर प्रदेश के महराजंगज जिले में दो दिन पहले 686 करोड़ की अवैध दवाईयां पकड़ी गई थी। हाल के दिनों में इतनी बड़ी मात्रा में जब्त की गई अवैध दवाईयों ने ड्रग्स सिंडिकेट के जिस गिरोह की ओर इशारा किया था, उस दिशा में अब जांच तेजी से बढ़ने लगी है। अब तक जो बातें सामने आयी है, उससे यह साफ होता जा रहा है कि महराजगंज दवाईयों के अवैध कारोबार करने वालों के लिये सुरक्षित ठिकाना बनता जा रहा है। पढ़िये डाइनामनाइट न्यूज की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
महराजगंज: जनपद में दो दिन पहले बरामद की गई 686 करोड़ की अवैध दवाईयों के खेप ने कई बड़े सवाल खड़े कर दिये है। इतनी बड़ी मात्रा में अवैध दवाईयों के बरामद होने के बाद से पुलिस-प्रशासन समेत संबंधित विभागों और अफसरों की नींद उड़ गई है। इस सिंडिकेट के तार कई जगहों से जुड़ते नजर आ रहे हैं। दवाईयों के इस अवैध कारोबार का पर्दाफाश होने के बाद जो संकेत मिल रहे हैं, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि महराजगंज अवैध दवाईयों की सप्लाई समेत ड्रग्स सिंडिकेट का सुरक्षित हब बनता जा रहा है। नशीली दवाईयों को लेकर अब कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आये हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ ने जब इस मामले की पड़ताल शुरू की तो विभागीय सूत्रों ने बताया कि बरामद की गई अवैध दवाईयों के तार जैनरिक दवाओं की बड़ी मंडी के रूप में उभरी सिसवा से जुड़ते नजर रहे है। जिसके बाद प्रशासन और विभागीय अफसर जांच को आगे बढ़ाते हुए बहुत जल्द ही कुछ दुकानों पर छापेमारी कर सकती है। जिले की ड्रग विभाग की टीमों ने भी अपनी जांच को तेज कर दिया है।
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डाइनामाइट न्यूज की पड़ताल में यह भी तथ्य सामने आया है कि बरामद की गई अवैध दवाइयों में से अधिकतर का इस्तेमाल नशे के लिए किया जाता हैं, जिसकी तस्करी का जाल ठूठीबारी बार्डर से लेकर सोनौली तक फैला हुआ है।
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डाइनामाइट न्यूज़ को जिले के ड्रग इंस्पेक्टर (डीआई) शिवकुमार नायक बताया कि पकड़ा गया आरोपी गोविंद गुप्ता जिस फर्म के नाम से खरीदारी करता हैं, उसकी जांच गोरखपुर और महराजगंज की टीमें कर रही है और जल्द सच्चाई सामने आने वाली है। डीआई ने यह भी बताया कि जिले में पकडी गई 686 करोड़ रुपये की अवैध दवाईयों के तार सिसवा से जुड़ रहे है और प्रशासन जल्द ही इस मामले में बड़ी कार्यवाही कर सकता है।
सबसे गंभीर और बड़ी बात यह हैं कि चाहे गोरखपुर हो या सोनौली बार्डर, जब-जब नकली और नशे की दवाईयां पकड़ी जाती हैं तो सिसवा का नाम जरूर आता है। बड़ा सवाल आखिर सिसवा में इस नशीली और नकली दवाओं बड़ा मास्टरमाइंड कौन हैं? क्या सिसवा ड्रग्स सिंडिकेट्स के लिये सुरक्षित हब बन गया है?