तबीयत खराब होने पर दवा लेने से बेहतर है कि आप हल्के बुखार में रहे, पढ़ें क्या कहती ये खास रिपोर्ट
तबीयत खराब होने पर दवा लेने से बेहतर है हल्का बुखार, क्योंकि मछली पर किए गए नवीनतम अध्ययन में संकेत मिले हैं कि शरीर के तापमान में हल्की वृद्धि संक्रमण को तेजी से दूर करने में मदद करती है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: तबीयत खराब होने पर दवा लेने से बेहतर है हल्का बुखार, क्योंकि मछली पर किए गए नवीनतम अध्ययन में संकेत मिले हैं कि शरीर के तापमान में हल्की वृद्धि संक्रमण को तेजी से दूर करने में मदद करती है।
जर्नल इम्यूनोलॉजी एंड इन्फ्लेमेशन में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक संक्रमित मछली को हुआ हल्का बुखार उसके संक्रमण को दूर करने में मददगार साबित हुआ और सूजन को नियंत्रित करने के साथ-साथ क्षतिग्रस्त ऊत्तकों को ठीक में सहायक रहा।
कनाडा स्थित अल्बर्टा विश्वविद्यालय में प्रतिरक्षा विज्ञानी और अध्ययन पत्र के प्रमुख लेखक डेनियल बैरेडा ने कहा, ‘‘ प्रकृति को वह करने दें जो वह करती है और इस मामले में यह बहुत ही सकारात्मक है।’’
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बैरेडा ने कहा, ‘‘ मध्यम दर्जे का बुखार समाधान प्रक्रिया है जिसका अभिप्राय है कि शरीर प्राकृतिक रूप से बिना दवा के संक्रमण होने पर उसका समाधान कर सकता है।’’
अनुसंधानकर्ताओं ने रेखांकित किया कि मानव में प्राकृतिक बुखार के लाभ की पुष्टि अब भी अनुंसधान के जरिये की जानी है ‘‘क्योंकि बुखार की परिपाटी और उसके बने रहने की प्रक्रिया जानवर साझा करते हैं,इसलिए यह उम्मीद करना तार्किक है कि इसी तरह (मछली पर किए अनुसंधान) का लाभ इनसानों में भी होता है।’’
अध्ययन में सलाह दी गई है कि लोगों को हल्का बुखार होने के शुरुआती संकेत सामने के बाद ही दवा लेने से बचना चाहिए। बुखार में आमतौर पर नॉन-स्टेरायडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं (एनएसएआईडी) दवाएं दी जाती हैं।
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बैराडा ने कहा,‘‘एनएसएआईडी बुखार की वजह से महसूस की जाने वाली असहजता से राहत देती है लेकिन संभव है कि आप प्राकृतिक प्रक्रिया के कुछ लाभों से वंचित हो रहे हों।’’