Jaljhulani Ekadashi: भीलवाड़ा में जलझूलनी एकादशी पर भक्ति रस डूबे श्रद्धालु
राजस्थान के भीलवाड़ा में शनिवार को जलझूलनी एकादशी का भक्तिमय नजारा दिखने को मिला। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
भीलवाड़ा: राजस्थान (Rajasthan) के भीलवाड़ा में जलझूलनी एकादशी (Jaljhulani Ekadashi) पर धर्म और अध्यात्म का अद्भुत संगम देखने को मिला। भगवान चारभुजानाथ (Lord Charbhujanath) आज शनिवार को अपने निज मंदिर से भक्तों (Devotees) के बीच नगर भ्रमण के लिए निकले। बैंड-बाजों और ऊंट-घोडों के साथ चांदी के रथ यानी बेवाण (Bevan) में विराजमान भगवान का श्रद्धालुओं ने जगह-जगह भव्य स्वागत किया। हर जगह-हर पथ पूजा अर्चना के साथ पुष्पवर्षा होती रही।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार भीलवाड़ा (Bhilwara) जनपद का यह एक प्रमुख लोकोत्सव (Folk Festival) है, जिसमें लोग बड़ी संख्या में भाग लेते हैं और भगवान की पूजा-अर्चना कर मन्नते मांगते हैं।
पिथास ग्राम से ठाकुर जी के बेवाण निकाले
जानकारी के अनुसार भीलवाड़ा शहर से मात्र 15 किलोमीटर दूर पिथास ग्राम से ठाकूर जी के बेवाण निकाले गए। यहां चारों ओर भक्तिमय नजारा दिखाई दिया। भक्ति रस डूबे श्रद्धालु जगह-जगह नाचते गाते नजर आये। भगवान के दर्शन के लिये यहां दूर-दूर से श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। बेवाण में बैंड-बाजों के साथ अखाड़ा प्रदर्शन भी किया गया।
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पिथास ग्राम के सरपंच छाटू सिंह चुण्डावत ने कहा कि जलझूलनी एकादशी पर यहां पर भगवान चारभुजा नाथ का बेवाण निकाला जाता है। उन्होंने इस अद्भुत यात्रा के बारे में डाइनामाइट न्यूज़ को भी विस्तृत जानकारी दी।
पिछले 18 सालों से मनाया जा रहा जलझूलनी महोत्सव
एक ग्रामीण बनवारी लाल पारीक ने कहा कि जलझूलनी महोत्सव पिछले 18 सालों से मनाया जा रहा है। इसकी शुरूआत मात्र 5 हजार रूपए से हुई थी, जो अब करीब साढ़े 4 लाख रूपए तक पहुंच गयी है।
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भगवान चारभुजा नाथ के बेवाण में आसपास के 40 किलोमीटर से श्रद्धालु यहां पर आते है। भीलवाड़ा जिले में यह महोत्सव तीसरे स्थान पर आता है।