जेके टायर का दावा, उद्योग की रफ्तार रहेगी कायम

डीएन ब्यूरो

जेके टायर को उम्मीद है कि मध्यम से दीर्घावधि में टायर उद्योग में मांग की रफ्तार कायम रहेगी। कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि सकारात्मक आर्थिक माहौल के बीच वाहन उद्योग के आगे बढ़ने की उम्मीद है, जिससे टायर उद्योग की मांग भी बेहतर रहेगी। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

जेके टायर
जेके टायर


नयी दिल्ली: जेके टायर को उम्मीद है कि मध्यम से दीर्घावधि में टायर उद्योग में मांग की रफ्तार कायम रहेगी। कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि सकारात्मक आर्थिक माहौल के बीच वाहन उद्योग के आगे बढ़ने की उम्मीद है, जिससे टायर उद्योग की मांग भी बेहतर रहेगी।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार जेके टायर एंड इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक अंशुमान सिंघानिया ने  भरोसा जताया कि टायर कंपनी के कारोबार और मुनाफे में वृद्धि की रफ्तार कायम रहेगी।

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दिसंबर, 2023 को समाप्त चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में कंपनी का एकीकृत शुद्ध लाभ तीन गुना होकर 227 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में कंपनी की परिचालन आय बढ़कर 3,688 करोड़ रुपये हो गई, जो एक साल पहले की समान तिमाही में 3,613 करोड़ रुपये थी।

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सिंघानिया ने कहा, ‘‘मध्यम से दीर्घावधि की मांग को लेकर हम आशान्वित हैं। हम देख रहे हैं कि निजी क्षेत्र का पूंजीगत व्यय चक्र वास्तव में शुरू हो गया है।’’

उन्होंने कहा कि खर्च योग्य आमदनी में वृद्धि हुई है, जिससे खरीद की धारणा सकारात्मक हो रही है।

सिंघानिया ने कहा, ‘‘तो, कुल मिलाकर हम देखते हैं कि आने वाले वर्षों में अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में होगी। इसके साथ ही वाहन क्षेत्र को भी अच्छा प्रदर्शन करना चाहिए। और हमारे उद्योग का प्रदर्शन भी ऐसा ही रहना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि कंपनी बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए अपनी उत्पादन क्षमता का विस्तार कर रही है।

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सिंघानिया ने कहा, ‘‘क्षमता विस्तार परियोजना, जिसकी हमने पिछले साल घोषणा की थी, पूरी हो रही है... हमने आगे विस्तार की भी घोषणा की है, जिसे हम दो साल यानी वित्त वर्ष 2025-26 के अंत तक पूरा कर लेंगे।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या उद्योग रबड़ आयात को कम करने के लिए किसानों के साथ सहयोग करने के लिए कदम उठा रहा है, सिंघानिया ने कहा कि चार कंपनियां पूर्वोत्तर में रबड़ उत्पादकों के साथ काम कर रही हैं।

उन्होंने कहा कि कंपनियों का लक्ष्य पूर्वोत्तर में 1,100 करोड़ रुपये की लागत से दो लाख हेक्टेयर में इसकी फसल को उगाने का है।

सिंघानिया ने कहा कि इस पहल से लगभग 2.5 लाख किसानों को फायदा होगा।










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