ज्नाम्या-2’: अंतरिक्ष में ‘रिफ्लेक्टर’ पृथ्वी पर सौर फार्म को लंबे समय तक काम करने में सक्षम बना सकते हैं
यदि आपने पांच फरवरी 1993 की सर्द रात में यूरोप में आकाश को देखा होगा, तो संभावना है कि आपने प्रकाश की एक मंद चमक देखी होगी। वह चमक ‘ज्नाम्या-2’ नामक रूसी अंतरिक्ष के दर्पण प्रयोग से आई थी। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
ग्लासगो: यदि आपने पांच फरवरी 1993 की सर्द रात में यूरोप में आकाश को देखा होगा, तो संभावना है कि आपने प्रकाश की एक मंद चमक देखी होगी। वह चमक ‘ज्नाम्या-2’ नामक रूसी अंतरिक्ष के दर्पण प्रयोग से आई थी।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक ज्नाम्या-2, एल्युमीनियम फ़ॉइल की तरह एक 20 मीटर की परावर्तक संरचना थी, जिसे उस अंतरिक्ष यान से प्रक्षेपित किया गया था, जिसने रूसी मीर अंतरिक्ष स्टेशन से उड़ान भरी थी। इसका लक्ष्य यह प्रदर्शित करना था कि सौर ऊर्जा को अंतरिक्ष से पृथ्वी तक परावर्तित किया जा सकता है।
ज्नाम्या का रूसी भाषा में अर्थ है ‘बैनर’।
यह पहला और अंतिम अवसर था, जब किसी दर्पण को इस उद्देश्य के लिए अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया था। लेकिन, तीन दशक बाद, सहकर्मियों और मेरा मानना है कि इस प्रौद्योगिकी पर फिर से विचार करने का समय आ गया है।
अंतरिक्ष में सौर ऊर्जा स्टेशन बनाने और ऊर्जा को पृथ्वी तक संचारित करने के प्रस्तावों के विपरीत, सारा उत्पादन अभी भी यहीं होगा। महत्वपूर्ण रूप से, ये परावर्तक सौर ऊर्जा फार्म को तब भी बिजली उत्पन्न करने में मदद कर सकते हैं, जब सीधी धूप उपलब्ध न हो, खासकर शाम और सुबह के समय। उस वक्त स्वच्छ ऊर्जा की मांग सबसे अधिक होती है। सहकर्मी और मैं इस अवधारणा को 'परिक्रमा सौर परावर्तक' कहते हैं।
यह भी पढ़ें |
एक साथ अंतरिक्ष में 104 उपग्रह भेजकर इसरो ने बनाया विश्व रिकॉर्ड
अग्रणी रॉकेट वैज्ञानिक हरमन ओबर्थ ने 1929 में ही इस क्षमता को पहचान लिया था, जब उन्होंने बड़े शहरों और जहाज मार्गों को रोशन करने के लिए अंतरिक्ष में सूर्य के प्रकाश को प्रसारित करने वाले रिफ्लेक्टर की परिकल्पना की थी।
उन्होंने पूर्वानुमान व्यक्त किया था कि ये रिफ्लेक्टर बहुत बड़े, पतले और बेहद हल्के होंगे तथा इन्हें डाइविंग सूट पहनने वाले अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा अंतरिक्ष में बनाया जाएगा।
सहकर्मियों और मैंने हाल ही में एक पत्र प्रकाशित किया, जिसमें हमने निकट अवधि में सौर परावर्तकों की परिक्रमा की संभावना का पता लगाया। हमें लगता है कि ओबर्थ की दृष्टि अब रोबोटिक अंतरिक्ष यान जैसी आने वाली प्रौद्योगिकियों के कारण प्राप्त की जा सकती है, जो अंतरिक्ष में संरचनाओं का निर्माण और संयोजन कर सकती हैं। इतनी बड़ी संरचनाओं के निर्माण के लिए आवश्यक परावर्तक और अन्य सामग्रियों को स्पेसएक्स के विशाल स्टारशिप जैसे आधुनिक रॉकेटों द्वारा प्रक्षेपित किया जा सकता है।
हर बार जब कोई परावर्तक सौर ऊर्जा फार्म के ऊपर से गुजरता है, तो यह फार्म और उसके आसपास के वातावरण को रोशन करने के लिए झुकाव बदल सकता है। प्रत्येक बार का ‘गुजरना’ सौर फार्म के ‘दिन’ को बढ़ाएगा और इसलिए इसके बिजली उत्पादन के घंटों में वृद्धि करेगा।
जब परावर्तक और अधिक समय तक सौर फार्म को रोशन नहीं कर सके, तो इसे इस तरह घुमाया जा सकता है कि यह सूर्य के किनारे पर हो और कोई प्रकाश जमीन पर प्रतिबिंबित न हो। इस कारण से, हम उम्मीद करते हैं कि जमीन-आधारित खगोलीय अवलोकनों में संभावित गड़बड़ी न्यूनतम होगी।
यह भी पढ़ें |
नासा ऑरियन संग 2 अंतरिक्ष यात्री भेजने पर विचार करेगी
दस किमी क्षेत्र में प्रकाश
परावर्तक हमसे 900 किमी ऊपर परिक्रमा कर रहे हैं - अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की ऊंचाई से लगभग दोगुना - हमारा अनुमान है कि पृथ्वी पर प्रकाशित क्षेत्र अपने सबसे चमकीले समय में लगभग 10 किमी के पार होगा। इसलिए, इस तरह की प्रणाली का लक्ष्य व्यक्तिगत छत पर लगे सौर पैनल नहीं, बल्कि बड़े सौर ऊर्जा फार्म होंगे, जो आमतौर पर आबादी वाले क्षेत्रों से दूर स्थित होते हैं।