कानपुर: खून से लथपथ होकर मनाया मुहर्रम का मातम

डीएन संवाददाता

आज पूरे देश में मुहर्रम का पर्व काफी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। मुहर्रम के खास अवसर पर कानपुर के राम नारायण बाज़ार में इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए हज़ारों की संख्या में मुस्लिम लोगों ने अपने आप को खून से लथपथ करके मातम मनाया।

खून से लथपथ लोग
खून से लथपथ लोग


कानपुर: आज पूरे देश में मुहर्रम का पर्व काफी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। मुहर्रम के खास अवसर पर राम नारायण बाज़ार में इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए हज़ारों की संख्या में मुस्लिम लोगों ने अपने आप को खून से लथपथ करके मातम मनाया। जगह-जगह लोग ताजिया निकालकर करबला जा रहे हैं, और मातम मना रहे हैं।

मुस्लिम धर्म में मुहर्रम का एक अलग ही महत्व हैं। एक तरफ कुछ धर्म के लोग त्योहार को खुशियों से मनाते हैं, वहीं देश मे कुछ ऐसे भी पर्व है जहां मुस्लिम समुदाय के लोग अपने को घायल करते हुए इमाम हुसैन के शहादत का मातम मनाते हैं।

 

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इस मौके पर सभी वर्ग चाहे छोटे बच्चे हो बूढ़े  हो या फिर नौजवान सभी ने अपने आप को जंजीर और तलवार से मार कर घायल और लहूलुहान कर दिया था। मुस्लिम संगठव के अनुसार, जितने जख्म इमाम हुसैन साहब को दिए गए थे उन सभी जख्मों को याद करते हुए हम इस अवसर को मानते हैं। 

क्या कहना है तुफैल अब्बास इमाम साहब का

इस मौके पर तुफैल अब्बास इमाम साहब ने बताया कि हम इस दिन को इमाम हुसैन जी की शहादत को याद करते हुए मातम मनाते हैं। हमारे अनुसार, जंजीर और तलवार चलाकर अपने आपको घायल करने का मतलब हैं कि हम यह एहसास दिलाना चाहते हैं कि जब 999 में इमाम हुसैन जी को जो जख्म लगे थे तो उन्हें कितनी तकलीफ हुई थी। 

 

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इसलिए अपने आप को उस दिन का एहसास कराने के लिए अपने शरीर को जंजीर और तलवार से जख्मी करते हैं। आज के दिन भूखे प्यासे रहकर हम मातम मनाते हैं।










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