Kerala: हाई कोर्ट ने प्रिया वर्गीज की प्रस्तावित नियुक्ति के खिलाफ अपना आदेश किया रद्द, जानिये पूरा मामला

डीएन ब्यूरो

केरल उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के निजी सचिव की पत्नी प्रिया वर्गीज की कन्नूर विश्वविद्यालय में मलयालम की सहायक प्रोफेसर के रूप में प्रस्तावित नियुक्ति के खिलाफ अपने एकल न्यायाधीश के आदेश को बृहस्पतिवार को रद्द कर दिया। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

केरल उच्च न्यायालय
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कोच्चि: केरल उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के निजी सचिव की पत्नी प्रिया वर्गीज की कन्नूर विश्वविद्यालय में मलयालम की सहायक प्रोफेसर के रूप में प्रस्तावित नियुक्ति के खिलाफ अपने एकल न्यायाधीश के आदेश को बृहस्पतिवार को रद्द कर दिया।

न्यायमूर्ति ए के जयशंकरन नांबियार और न्यायमूर्ति मोहम्मद नियास सीपी की खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश द्वारा पिछले साल 17 नवंबर को जारी आदेश के खिलाफ दायर प्रिया वर्गीज की याचिका को स्वीकार कर लिया।

मामले से जुड़े एक अधिवक्ता के मुताबिक, खंडपीठ ने कहा, “रिट याचिका स्वीकार की जाती है।”

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विजयन के निजी सचिव के के रागेश की पत्नी प्रिया वर्गीज ने एकल न्यायाधीश के फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि उनके पास विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) विनियम 2018 के तहत निर्धारित अवधि के अनुसार वास्तविक शिक्षण अनुभव नहीं है।

एकल न्यायाधीश ने यह भी कहा था कि कन्नूर विश्वविद्यालय में एनएसएस समन्वयक या छात्र सेवा निदेशक (डीएसएस) के रूप में प्रिया वर्गीज की सेवा की अवधि और उनके द्वारा अनुसंधान में बिताया गया समय एक अच्छे शिक्षक के रूप में उनकी पदोन्नति और विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा, “लेकिन यह शिक्षण में अपेक्षित अनुभव के अभाव में पर्याप्त नहीं होगा।”

एकल न्यायाधीश के आदेश को रद्द करने के खंडपीठ के आदेश से प्रिया वर्गीज को बड़ी राहत मिलेगी, जिनकी प्रस्तावित नियुक्ति ने एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया था, क्योंकि उनके शोध कार्य के अंक सबसे कम थे, लेकिन साक्षात्कार के चरण में उन्होंने सर्वाधिक अंक हासिल किए थे और चयन प्रक्रिया में उन्हें अव्वल घोषित किया गया था।

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केरल में विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने प्रिया वर्गीज की नियुक्ति पर रोक लगा दी थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि प्रिया वर्गीज को सहायक प्रोफेसर के रूप में नियुक्त करने का कन्नूर विश्वविद्यालय का फैसला ‘राजनीति से प्रेरित’ था।










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