किंग चार्ल्स और महारानी कैमिला की होगी ऐतिहासिक ताजपोशी, जानिये ब्रिटेन में चल रही इन तैयारियों के बारे में
ब्रिटेन के राजमहल बकिंघम पैलेस ने अगले महीने महाराज चार्ल्स तृतीय और महारानी कैमिला की होने वाली औपचारिक ताजपोशी की विस्तृत जानकारी सोमवार को साझा की जिसके मुताबिक कार्यक्रम में चमचमाती वातानुकूलित और घोड़ों द्वारा खींची जाने वाली बग्घी, ऐतिहासिक आभूषण और सोशल मीडिया के लिए नए इमोजी आकर्षण का केंद्र होंगे।पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
लंदन: ब्रिटेन के राजमहल बकिंघम पैलेस ने अगले महीने महाराज चार्ल्स तृतीय और महारानी कैमिला की होने वाली औपचारिक ताजपोशी की विस्तृत जानकारी सोमवार को साझा की जिसके मुताबिक कार्यक्रम में चमचमाती वातानुकूलित और घोड़ों द्वारा खींची जाने वाली बग्घी, ऐतिहासिक आभूषण और सोशल मीडिया के लिए नए इमोजी आकर्षण का केंद्र होंगे।
ब्रिटिश राजगद्दी संभाल रहीं एलिजाबेथ द्वितीय के पिछले साल सितंबर में निधन के बाद 74 वर्षीय चार्ल्स तृतीय छह मई को वेस्टमिंस्टर एबे में आयोजित एक धार्मिक कार्यक्रम में औपचारिक रूप से ब्रिटेन के राष्ट्राध्यक्ष बनेंगे।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 1953 में तत्कालीन महारानी एलिजाबेथ की ताजपोशी के करीब 70 साल बाद यह शाही परंपरा निभाई जा रही है जिसमें परंपरा के साथ-साथ बदलते समय को देखते हुए चार्ल्स की इच्छा के अनुरूप आधुनिक स्वरूप भी प्रदान किया जाएगा।
महल के मुताबिक, ‘‘छह मई की सुबह महाराज चार्ल्स बकिंघम पैलेस से डायमंड जुबली स्टेट कोच में सवार होकर जुलूस के साथ वेस्टमिंस्टर एबे तक जाएंगे। यह बग्घी वर्ष 2012 में महारानी के शासन के 60 साल पूरे होने के अवसर पर बनायी गई थी और इसमें कभी -कभी दूसरे देशों के प्रमुखों के साथ महारानी या उनके प्रतिनिधि ने सवारी की है। ’’
वहीं, ताजपोशी के बाद महाराज गोल्डन स्टेट कोच का इस्तेमाल एबे से महल लौटने के लिए करेंगे। जानकारी के मुताबिक गोल्डन स्टेट कोच को आखिरी बार जून 2022 में महारानी एलिजाबेथ के प्लेटिनम जुबली समारोह में देखा गया था। इसका निर्माण सन 1760 में हुआ था और सबसे पहले इसका इस्तेमाल किंग जॉर्ज तृतीय ने संसद सत्र को संबोधित करने के लिए 1762 में महल से संसद पहुंचने के वास्ते किया था।
बयान के मुताबिक, ‘‘इस बग्घी का इस्तेमाल 1831 में विलियम चतुर्थ के समय से ही ताजपोशी के दौरान किया जा रहा है। इस बग्घी को आठ घोड़े खींचते हैं और इसका वजन करीब चार टन है।’’
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कार्यक्रम के तहत महाराज ताजपोशी होने के बाद महल लौटेंगे और महाराज और महारानी को यूनाटेड किंगडम और राष्ट्रमंडल सशस्त्र बलों द्वारा शाही सलामी दी जाएगी। इसके बाद सशस्त्र बलों की ओर से सम्मान प्रकट किया जाएगा।
शाही आभूषणों में प्रमुख कॉरनेशन रेगेलिया है जिसे टॉवर पर ऑफ लंदन में जनता के दर्शन के लिए रखा जाता है । इसे विशेष रूप से तैयार किया जा रहा है।
संसद सत्र की शुरुआत करने जब महाराज चार्ल्स जाएंगे तो उनके आगे-आगे दो दंड लेकर अधिकारी चलेंगे। चांदी की परत वाले इन दोनों दंडों का निर्माण क्रमश: 1660 और 1695 में किया गया था और समारोह चिह्न उनपर अंकित हैं।
ताजपोशी कार्यक्रम के दौरान महाराज चार्ल्स तीन तलवारों का भी इस्तेमाल करेंगे। ये तलवारें न्याय, सशस्त्र बलों के प्रमुख और आध्यात्मिक न्याय की प्रतीक होंगी जिनकी सिंहासन पर आसीन व्यक्ति से उम्मीद की जाती है।
इन तलवारों का इस्तेमाल सबसे पहले किंग चार्ल्स प्रथम की 1626 में हुई ताजपोशी में हुआ था।
महाराज चार्ल्स नीलम और हीरे जड़ित अंगूठी को धारण करेंगे जो उनकी सत्ता एवं संप्रभुता का प्रतीक होगी।
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महारानी कैमिला सोने में जड़ित रूबी की अंगूठी धारण करेंगी जिसे 1831 में महाराज विलियम चतुर्थ की पत्नी महारानी एडिलेड ने धारण किया था।
इस बीच, महल की ओर से ताजपोशी को लेकर विशेष इमोजी जारी किया जाएगा जो सेंट एडवर्ड ताज पर आधारित होगा जिसका इस्तेमाल नए महाराज करेंगे।
सप्ताहांत में एबे में आयोजित समारोह में करीब दो हजार मेहमान शरीक होंगे जिनमें 850 धर्मार्थ और सामुदायिक समूहों के प्रतिनिधि के साथ-साथ ब्रिटिश एम्पायर मेडल के विजेता भी होंगे।
भारतीय मूल की खानसामा और ब्रिटिश एम्पायर मेडल विजेता मंजू मलही भी उन लोगों में शामिल हैं जिन्हें शाही जोड़े ने आमंत्रित किया है।