जानिये, आधार की शुरूआत के बारे में, आठ साल पहले क्या कहा था इसके जनक ने
आधार कार्ड की 9वीं वर्षगांठ से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट ने आधार को लेकर महत्वपूर्ण फैसला दिया है। 29 सितंबर 2010 को ही पहला आधार कार्ड देश में वितरित किया गया था। डाइनामाइट न्यूज़ की इस एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में जानिये किस तरह हुई थी आधार की शुरूआत..
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आधार कार्ड से संबंधित फैसले में इसे देश के नागरिकों की पहचान के लिये महत्वपूर्ण दस्तावेज करार दिया। संसद से लेकर सड़क तक कई तरह के वाद-विवादों और पड़ावों से गुजरने के बाद आज आधार कार्ट हर व्यक्ति की पहचान का आधार बन चुका है। देश में पहला आधार कार्ड 29 सितंबर को 2010 को महाराष्ट्र के आदिवासी जिले नंदूरबार में दिया गया अब आधार कार्ड 9वें वर्ष में प्रवेश करने जा रहा है। देश में सबसे पहला आधार कार्ड वितरण करने के बाद डाइनामाइट न्यूज़ की एडिटर-इन-चीफ मनोज टिबड़ेवाल आकाश ने दूरदर्शन न्यूज़ के लिए आधार परियोजना के हेड रहे नंदन नीलेकणि का इंटरव्यू किया था।
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आधार परियोजना के मुखिया रहे नीलेकणि ने कहा कि आधार हर व्यक्ति की पहचान का एक अहम दस्तावेज और नंबर होगा, इसके कई सारे फायदें होंगे। कोई व्यक्ति एक शहर से दूसरे शहर या गांव जाने पर भी अपनी पहचान आधार को अपने साथ लेकर जा सकेगा।
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उन्होंने कहा कि यह एक लाइफ लांग नंबर होगा, जो जीवन पर्यंत उसके साथ उसकी पहचान बनकर रहेगा। इस नंबर का कई जगहों पर उपयोग हो सकेगा। बैंक अकाउंट से लेकर पीडीएस, टेलीफोन लगाने जैसी कई सेवाओं के लिये इसका इस्तेमाल हो सकेगा।
उन्होंने कहा था कि आधार के जरिये हर आदमी को एक यूनिक नंबर दिया जायेगा। हर आदमी की दसों अंगुलियों और आंखों की पुतलियों का का इंप्रेशन लेकर इसे सरक्षित बनाया जा रहा है।
देश में आधार की शुरूआत सात राज्यों से की गयी थी। जिसे धीरे-धीरे पूरे देश में लागू किया गया। शुरूआत में आधार को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई गयी। आधार को लेकर कई बार सवाल भी उठते रहे। तब किसी ने कल्पना नहीं की थी कि वास्तव में आधार हर व्यक्ति के लिये इतना आवश्यक हो जायेगा। विभिन्न पड़ावों को होकर गुजरे आधार ने आज नंदन नीलेकणि की बातों का सच साबित कर दिया है। यह वास्तव में अब हर आदमी की पहचान का आधार बन चुका है।
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(वीडियो साभार: दूरदर्शन न्यूज़)