जासूसी मामले में गिरफ्तार डीआरडीओ के वैज्ञानिक को लेकर जानिये एटीएस ने क्या कहा
महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने यहां की एक अदालत को बताया है कि उसे कथित जासूसी मामले में गिरफ्तार डीआरडीओ वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर की ‘वॉयस लेयर’ और मनोवैज्ञानिक विश्लेषण परीक्षण के लिए उनकी सहमति की आवश्यकता नहीं है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
पुणे: महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने यहां की एक अदालत को बताया है कि उसे कथित जासूसी मामले में गिरफ्तार डीआरडीओ वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर की ‘वॉयस लेयर’ और मनोवैज्ञानिक विश्लेषण परीक्षण के लिए उनकी सहमति की आवश्यकता नहीं है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) से संबद्ध एक प्रयोगशाला के निदेशक कुरुलकर को एटीएस ने एक पाकिस्तानी खुफिया एजेंट को गोपनीय जानकारी लीक करने के आरोप में तीन मई को गिरफ्तार किया था।
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अभियोजन पक्ष ने पहले अदालत से पॉलीग्राफ जांच, वॉयस लेयर विश्लेषण (वीएलए) और मनोवैज्ञानिक विश्लेषण के लिए उनकी सहमति लेने का अनुरोध किया था।
कुरुलकर के वकील ने दलील दी थी कि ये जांच अनावश्यक थी, और उन्हें इन्हें कराने के लिए मजबूर करना संविधान के तहत उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।
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अभियोजक विजय फरगड़े ने डाइनामाइट न्यूज़ से कहा, ‘‘नार्को और पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए आरोपी की सहमति आवश्यक है क्योंकि इन परीक्षणों के माध्यम से प्राप्त साक्ष्य का इस्तेमाल उसके खिलाफ किया जा सकता है। हालांकि वॉयस लेयर विश्लेषण परीक्षण में, साक्ष्य रिकॉर्ड पर नहीं रखा जाता है। यह जांच पूरी तरह से आरोपी द्वारा दिए गए बयानों की सत्यता का पता लगाने के लिए की जाती है और इस मामले में आरोपी की सहमति अनिवार्य नहीं है। ये बात हमने अदालत में दाखिल अपने लिखित जवाब में कही है।’’