भारतीय इतिहास के पाठ्यक्रम में किए जा रहे बदलावों पर जानिये क्या बोले विद्वान
प्रतिष्ठित विद्वानों ने आधुनिक भारतीय इतिहास के पाठ्यक्रम में किए जा रहे बदलावों पर निराशा व्यक्त की और कहा कि यह भारत की परंपरा का हिस्सा रहे ‘‘समावेशिता’’ के खिलाफ है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
कोलकाता: प्रतिष्ठित विद्वानों ने रविवार को आधुनिक भारतीय इतिहास के पाठ्यक्रम में किए जा रहे बदलावों पर निराशा व्यक्त की और कहा कि यह भारत की परंपरा का हिस्सा रहे ‘‘समावेशिता’’ के खिलाफ है।
ये विद्वान पश्चिम बंगाल के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और वामपंथी विचारक के नाम पर बने संगठन हाशिम अब्दुल हलीम फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार कोलकाता के सामाजिक विज्ञान अध्ययन केंद्र के प्रतिष्ठित राजनीतिक वैज्ञानिक प्रोफेसर मैदुल इस्लाम ने एनसीईआरटी के नए पाठ्यक्रम से कांग्रेस अध्यक्ष मौलाना अब्दुल कमाल आजाद के संदर्भों को हटाने का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘आगे बढ़ने के बजाय हम पीछे जा रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम अब देख रहे हैं कि आजाद को पाठ्यक्रम से हटाया जा रहा है, जिनके कद के व्यक्ति को 100 साल में नहीं देखा गया है...उन्हें नए पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है। आप हटा सकते हैं लेकिन कुछ लोग राष्ट्र के मानस पटल पर हमेशा अंकित रहेंगे।’’
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दिल्ली विश्वविद्यालय के राजनीतिक विज्ञान के पूर्व प्रोफेसर शम्सुल इस्लाम ने दावा किया कि ऐसा लगता है कि ‘‘केवल कुछ खास लोगों को ही यहां रहने का अधिकार है, जो कि वह भारत नहीं है जिसे हम जानते हैं।’’