कोहिनूर हीरा बना उपनिवेशवाद को समझने का ‘प्रिज्म’, पढ़ें पूरी रिपोर्ट
हाराजा चार्ल्स तृतीय के शनिवार को होने वाले राज्याभिषेक समारोह में कोहिनूर के नहीं दिखने की बात सामने आई है जो ब्रिटेन के औपनिवेशिक अतीत पर नजर डालने तथा ब्रिटिश राज के सच के बारे में और समझने की नयी हकीकत को रेखांकित करती है।
लंदन: महाराजा चार्ल्स तृतीय के शनिवार को होने वाले राज्याभिषेक समारोह में कोहिनूर के नहीं दिखने की बात सामने आई है जो ब्रिटेन के औपनिवेशिक अतीत पर नजर डालने तथा ब्रिटिश राज के सच के बारे में और समझने की नयी हकीकत को रेखांकित करती है। ऐसा कहना है कोहिनूर हीरे पर किताब लिखने वाली ब्रिटिश भारतीय लेखिका अनीता आनंद का।
वह कहती हैं कि कोहिनूर हीरा उपनिवेशवाद को समझने का ‘प्रिज्म’ बन गया है।
अनीता ने इतिहासकार-लेखक विलियम डेलरिंपल के साथ मिलकर ‘कोहिनूर: द हिस्ट्री ऑफ द वर्ल्ड्स मोस्ट इनफेमस डायमंड’ किताब लिखी है। उन्होंने कहा कि महारानी कैमिला का यह फैसला आधुनिक ब्रिटेन में उपनिवेशवाद को लेकर व्याप्त संवेदनशीलता को झलकाता है कि वह वेस्टमिंस्टर ऐबे में आयोजित राज्याभिषेक समारोह में क्वीन मैरी के ताज को बिना कोहिनूर के पहनेंगी।
इससे पहले शाही परिवार के राज्याभिषेक समारोह में परंपरागत रूप से यह हीरा दिखाई देता रहा है। मई 1937 में किंग जॉर्ज षष्ठम के राज्याभिषेक समारोह में इसे महारानी एलिजाबेथ ने भी पहना था।
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अनीता आनंद ने डाइनामाइट न्यूज़ से बातचीत में कहा, ‘‘इसे (कोहिनूर को) इस्तेमाल नहीं करने का फैसला उस नयी वास्तविकता को दिखाता है जिसमें हम हैं, जहां लोग उपनिवेशवाद की ओर पीछे मुड़कर देख रहे हैं और जानने की कोशिश कर रहे हैं कि उपनिवेशवाद का ब्रिटेन के लिए और उपनिवेश बनाये गये देशों के लिए क्या मतलब था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह ब्रिटिश राज और उपनिवेशवाद के सच के बारे में और अधिक जानने के लिए ब्रिटेन में इस समय व्याप्त संवेदनशीलता का प्रमाण है। कोहिनूर हीरे के बारे में लोग क्या जानते हैं और यह क्या प्रस्तुत करता है, उसके बीच वास्तव में असमानता है। मेरी राय में, ऐसा इसलिए है क्योंकि कोहिनूर ऐसा प्रिज्म है जिसके जरिये हम उपनिवेशवाद को देख सकते हैं और समझ सकते हैं कि इसका, उपनिवेश बनाने वाले और उपनिवेश बनने वाले देशों के लिए क्या निहितार्थ है।’’
बीबीसी में वरिष्ठ पत्रकार अनीता ने ‘अंपायर’ नामक पॉडकास्ट में कोहिनूर के पूरे इतिहास को समेटने का भी प्रयास किया है। उनकी यह सीरीज हाल में 70 लाख डाउनलोड से आगे निकल गयी।
वह इस महीने के आखिर में राजकुमारी सोफिया दिलीप सिंह के घर पर स्मारक नीली पट्टिका (ब्लू प्लैक) के अनावरण की एक और बड़ी घटना को लेकर उत्साहित हैं।
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ब्रिटेन में ऐतिहासिक महत्व वाली इमारतों पर स्मारक नीली पट्टिका लगाई जाती है।
अनीता आनंद ने कहा, ‘‘मुझे इस बात का बहुत गर्व है कि मैंने अपनी पहली किताब महाराजा दिलीप सिंह की सबसे छोटी बेटी सोफिया दिलीप सिंह पर लिखी थी। यह कोहिनूर रखने वाला अंतिम परिवार था। उनके हैंपटन कोर्ट (लंदन के बाहरी इलाके में) स्थित घर में अंतत: नीली पट्टिका लगने जा रही है।’’