श्रमिक संगठनों, किसान संगठनों का 16 फरवरी को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान
श्रमिक संगठनों और किसान संगठनों के एक संयुक्त मंच ने केंद्र सरकार की 'मजदूर, किसान एवं देश-विरोधी नीतियों के खिलाफ' 16 फरवरी को देशव्यापी आम हड़ताल और 'ग्रामीण बंद' का आह्वान किया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नयी दिल्ली: श्रमिक संगठनों और किसान संगठनों के एक संयुक्त मंच ने केंद्र सरकार की 'मजदूर, किसान एवं देश-विरोधी नीतियों के खिलाफ' 16 फरवरी को देशव्यापी आम हड़ताल और 'ग्रामीण बंद' का आह्वान किया है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक संयुक्त मंच फसलों के उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), श्रमिकों को 26,000 रुपये की न्यूनतम मासिक मजदूरी, चार श्रम संहिताओं को निरस्त करने, आईपीसी एवं सीआरपीसी में किए गए संशोधनों को निरस्त करने और रोजगार गारंटी को मौलिक अधिकार बनाने की मांग कर रहा है।
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और केंद्रीय श्रम संगठनों (सीटीयू) एवं महासंघों के मंच ने एक संयुक्त बयान में इन मांगों को लेकर 16 फरवरी को देशव्यापी हड़ताल और ग्रामीण बंद बुलाने का आह्वान किया है।
उन्होंने छात्रों, युवाओं, शिक्षकों, महिलाओं, सामाजिक आंदोलनों और कला, संस्कृति, साहित्य के क्षेत्र के सभी समान विचारधारा वाले आंदोलनों से समर्थन की अपील की है।
बयान के मुताबिक, 'एसकेएम और सीटीयू/महासंघ/एसोसिएशन 16 फरवरी, 2024 को केंद्र सरकार की श्रमिक-विरोधी, किसान-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी नीतियों के खिलाफ औद्योगिक/क्षेत्रीय हड़ताल और ग्रामीण बंद के साथ-साथ विभिन्न स्तरों पर देशव्यापी व्यापक लामबंदी का आह्वान करते हैं।'
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ये संगठन सभी फसलों को खरीद की गारंटी देने के साथ 'सी2+50 प्रतिशत' की एमएसपी देने, प्रदर्शनकारी किसानों पर हमले के मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करने और उन पर मुकदमा दर्ज करने, छोटे एवं मझोले किसान परिवारों को कर्ज से मुक्ति के लिए व्यापक ऋण माफी और श्रमिकों को 26,000 रुपये प्रति माह न्यूनतम मजदूरी देने की मांग कर रहे हैं।
'सी2+50 प्रतिशत' फॉर्मूले में फसल उत्पादन की व्यापक लागत (सी2) से कम-से-कम 50 प्रतिशत अधिक राशि की एमएसपी निर्धारित करने की सिफारिश की गई है।
इसके साथ ही उन्होंने चार श्रम संहिताओं को निरस्त करने, आईपीसी/ सीआरपीसी में किए गए संशोधनों को निरस्त करने, मौलिक अधिकार के रूप में रोजगार की गारंटी देने की मांग रखी है।
श्रमिक संगठन रेलवे, रक्षा, बिजली, कोयला, तेल, इस्पात, दूरसंचार, डाक, बैंक, बीमा, परिवहन, हवाई अड्डों, बंदरगाह के सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण नहीं करने की भी मांग कर रहे हैं।
उनकी अन्य मांगों में शिक्षा और स्वास्थ्य का निजीकरण रोकना, नौकरियों में संविदा नियुक्ति पर लगाम, निश्चित अवधि के रोजगार को खत्म करना, प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 200 दिन कार्य और 600 रुपये की दैनिक मजदूरी के साथ मनरेगा को मजबूत करना, पुरानी पेंशन योजना को बहाल करना और संगठित एवं असंगठित दोनों क्षेत्रों में कार्यरत सभी लोगों को पेंशन एवं सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराना शामिल हैं।
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इसके साथ ही श्रमिक संगठनों ने 26 जनवरी को जिला मुख्यालयों पर ट्रैक्टर/ वाहन परेड के लिए किसान मोर्चा के आह्वान को अपना समर्थन दिया है।