Lakhimpur Violence: सुप्रीम कोर्ट में लखीमपुर खीरी मामले में यूपी सरकार और पुलिस की खिंचाई, जानिये पूरा अपडेट

डीएन संवाददाता

लखीमपुर खीरी हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज एक बार फिर सुनवाई हुई। इस दौरान देश की शीर्ष अदालत ने पुलिस की भी खिंचाई की। कोर्ट ने सुनवाई फिलहाल टाल दी है। डाइनामाइट न्यूज की इस रिपोर्ट में जानिये इस केस का अपडेट

सुप्रीम कोर्ट ने उठाये कई सवाल (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट ने उठाये कई सवाल (फाइल फोटो)


नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में आज एक बार फिर लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में सुनवाई हुई। मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिल को फटकार लगाई है। कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा में केवल 23 गवाहों के होने पर हैरानी जताई। कोर्ट इस मामले में फिलहाल 8 नवंबर तक के लिये सुनवाई टाल दी है।

चीफ जस्टिस एनवी रमना की अगुवाई वाली बेंच ने सवाल किया कि चार से पांच हजार लोग मौके पर थे, लेकिन आश्चर्य है कि सिर्फ 20 के बयान मैजिस्ट्रेट के सामने रेकॉर्ड हुए? सरकार और पुलिस की अब तक की असंतोषजनक जांच को लेकर कोर्ट ने मामले की सुनवाई 8 नंवबर तक टाल दी। इसके साथ ही पुलिस व सरकार को कुछ जरूरी निर्देश भी दिये गये।

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सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने यूपी सरकार के वकील हरीश साल्वे से पूछा, 'घटना के वक्त मौके पर सैकड़ों लोग थे। उनमें सिर्फ 23 ही चश्मदीद हैं? इस पर कोर्ट ने बेहद असंतोष जताया। यूपी सरकार के वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट में कहा कि 30 गवाहों के बयान मजिस्ट्रेट के सामने हो चुके हैं। उनमें 23 प्रत्यक्षदर्शी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इसपर यूपी सरकार से रिपोर्ट देने को कहा है। अगली सुनवाई 8 नवंबर के लिए टाल दी गई।

चीफ जस्टिस ने कहा कि इस केस में गवाहों की पहचान जरूरी है। जब मौके पर बड़ी संख्या में गवाह थे तो क्यों केवल चंद लोगों की बयान दर्ज करवाया गया। क्या कोई गवाह घायल भी है? वीडियो का परीक्षण जल्दी करवाइए। नहीं तो हमें लैब को निर्देश देना होगा। इसमें  गवाहों की सुरक्षा  सबसे अधिक जरूरी है। हम गवाहों की सुरक्षा का निर्देश देते हैं। सभी गवाहों के बयान मजिस्ट्रेट के सने दर्ज करवाए जाएं।

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कोर्ट ने कहा कि अगर आपके पास 23 चश्मदीद गवाह हैं तो हरेक पहलू और संभावना को तलाशिए और कदम बढ़ाइए। सीजेआई ने आगे कहा कि घटनास्थल पर 4000-5000 लोगों की भीड़ थी जिसमें कि सभी स्थानीय लोग थे और यहां तक कि घटना के बाद भी अधिकांश लोग आंदोलन कर रहे हैं। तो फिर, इन लोगों की पहचान में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। सभी गवाहों के बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज करवाए जाएं।










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