Politics: आर्थिक पैकेज को लेकर चिदम्बरम ने सरकार पर साधा निशाना, कहा..
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने कहा है कि आर्थिक गतिविधियों को पटरी पर लाने के लिए सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपए के जिस आर्थिक पैकेज की घोषणा की है उसमें करोड़ों लोगों की अनदेखी हुई है इसलिए इस पैकेज पर उसे पुनर्विचार करना चाहिए।
नयी दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने कहा है कि आर्थिक गतिविधियों को पटरी पर लाने के लिए सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपए के जिस आर्थिक पैकेज की घोषणा की है उसमें करोड़ों लोगों की अनदेखी हुई है इसलिए इस पैकेज पर उसे पुनर्विचार करना चाहिए।
चिदम्बरम ने सोमवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लगातार पांच दिन तक इस पैकेज के बारे में देश को समझाने का प्रयास किया लेकिन इसमें कहीं भी सामान्य आदमी को राहत देने की बात नहीं की गयी है। उन्होंने कहा कि इस पैकेज में 13 करोड़ निचले तबके के गरीबों, सात करोड़ मध्यम वर्ग के कारोबारियों और छह करोड़ सूक्ष्म लघु और मझौले उद्योगों के साथ ही किसानों दिहाड़ी मजदूरों, कृषि मजदूरों तथा लॉकडाउन के कारण नौकरी खोने वाले लोगों के लिए कुछ नहीं है।
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The fiscal stimulus package is not for Rs 20 lakh crore. It is only for Rs 1,86,650 crore.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) May 18, 2020
Remember that number and we will know the truth in course of time
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि आर्थिक पैकेज में आम आदमी को फायदा देने के लिए अतिरिक्त खर्च को महत्व दिए जाने की आवश्यकता थी लेकिन सरकार ने इस पर ध्यान ही नहीं दिया। मनरेगा आदि के जरिए इस मद में एक प्रतिशत से भी कम यानी कुल 1़़.86 लाख करोड रुपए की व्यवस्था की गयी है। पैकेज में बड़ी आबादी की अनदेखी हुई है इसलिए सरकार को इस पैकेज पर पुनर्विचार करना चाहिए और इसमें अतिरिक्त खर्च में कम से कम दस लाख करोड़ रुपए की व्यवस्था करनी चाहिए।
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कांग्रेस नेता ने कहा कि जब लोगों के पास पैसा ही नहीं आएगा तो अर्थव्यवस्था को आगे कैसे बढाया जा सकता है इसलिए पहले लोगों की जेब में पैसा डालना आवश्यक है लेकिन सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया है। सरकार को आम आदमी को आर्थिक बदहाली से निकालने के लिए उसके खाते में नकद पैसा जमा करना चाहिए लेकिन सरकार इस बुनियादी मुद्दे पर किसी की सलाह मानने को तैयार नहीं है।
उन्होंने कहा कि इस पैकेज का लाभ जन सामान्य को नहीं मिल रहा है क्योंकि इसमें इस वर्ग की अनदेखी हुई है और इसकी बड़ी वजह यह है कि सरकार कोई फैसला लेने से पहले किसी से विचार विमर्श नहीं करती है और मनमानी करने पर विश्वास रखती है। सरकार का यही रुख संसद में भी होता है और वह विधेयकों को चर्चा कराए बिना ही पारित करती है और उसकी इस मनमानी का खामियाजा देश को भुगतना पड़ता है। (वार्ता)