संसद में इस अहम मुद्दे का उठाएंगे वामपंथी दल और कांग्रेस के नेता
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत त्रिपुरा में विधानसभा चुनावों के पश्चात हुई हिंसा और झड़पों को गंभीरता से लेते हुए वामपंथी दलों और कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को कहा कि वे इस मुद्दे को संसद में उठाएंगे ताकि देश की जनता इससे अवगत हो सके।पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
अगरतला: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत त्रिपुरा में विधानसभा चुनावों के पश्चात हुई हिंसा और झड़पों को गंभीरता से लेते हुए वामपंथी दलों और कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को कहा कि वे इस मुद्दे को संसद में उठाएंगे ताकि देश की जनता इससे अवगत हो सके।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार हिंसा प्रभावित क्षेत्र का शुक्रवार को दौरा करते समय नेहालचन्द्रनगर इलाके में असामाजिक तत्वों के हमले के शिकार बने प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने यह भी कहा कि वाम दलों और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलेंगे और राज्य में भाजपा नीत राज्य में ‘‘भाजपा और आरएसएस द्वारा फैलाए गए आतंक’’ के बारे में बताएंगे।
सेपाहिजाला जिले के नेहालचन्द्रनगर इलाके में शुक्रवार को हुई घटना के सिलसिले में अभी तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
यहां, संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए माकपा के राज्यसभा सदस्य इलामारम करीम ने दावा किया कि ‘‘भाजपा-आरएसएस समर्थित गुंडों ने ना सिर्फ राज्य के लोगों पर हमला किया बल्कि उनकी जीविका के साधनों को भी बर्बाद’’ किया, यहां तक कि कुछ लोग अपने घर छोड़कर भागने को मजबूर हो गए।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘पुलिस हंगामा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है, उन्हें खुले तौर पर घूमने और पूर्वोत्तर राज्य में तोड़फोड़ करने की छूट है। ऐसा लगता है कि त्रिपुरा में कानून-व्यवस्था पूरा तरह ध्वस्त हो चुकी है और सरकार शांति बनाए रखने में बुरी तरह विफल रही है।’’
त्रिपुरा में स्थिति की समीक्षा करने के लिए सात अन्य सांसदों और वरिष्ठ नेताओं के साथ यहां आए करीम ने कहा कि ‘‘तथ्यान्वेषी शिष्टमंडल ने राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य से भेंट की है और उन्हें राज्य की वर्तमान स्थिति के बारे में बताया है।’’ राज्य में विधानसभा के लिए मतदान 16 फरवरी को और वोटों की गिनती दो मार्च को हुई।
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माकपा नेता ने कहा कि राज्यपाल ने शिष्टमंडल को आश्वासन दिया कि वह इस मामले में हस्तक्षेप कर उचित कदम उठाएंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘ (त्रिपुरा में) चुनाव पश्चात हुई हिंसा के मुद्दे को हम संसद के दोनों सदनों में उठाएंगे ताकि उस पर देश का ध्यान आकर्षित हो सके। राज्य के बाहर के लोगों को यहां की स्थिति की गंभीरता के बारे में पता नहीं है।’’
संवाददाता सम्मेलन में उपस्थित अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) के महासचिव अजय कुमार ने दावा किया कि भाजपा ने त्रिपुरा में ‘‘तालिबनी राज’’ कायम कर दिया है।
सांसदों के शिष्टमंडल पर हुए हमले पर चिंता जताते हुए कुमार ने कहा कि राज्य में लंबे समय से हिंसक घटनाएं हो रही हैं लेकिन ‘‘शांति और व्यवस्था बहाल करने के लिए कोइ कदम नहीं उठाया गया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘त्रिपुरा में सांसदों के शिष्टमंडल पर हुए हमले पर न तो प्रधानमंत्री ने और न ही गृहमंत्री ने कोई बयान दिया है। यह संसद का अपमान है।’’
माकपा के राज्य सचिव जितेन्द्र चौधरी ने कहा कि राज्य में चुनाव के बाद हिंसा की 1,000 से अधिक घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘विपक्षी खेमे से जुड़े युवाओं को इन हमलों के कारण अपना घर छोड़कर जान बचाकर भागना पड़ा है। हम चाहते हैं कि सरकार चुनाव पश्चात हिंसा से प्रभावित लोगों के प्रति संवेदनशील रहे।’’
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कांग्रेस की त्रिपुरा इकाई के अध्यक्ष बीराजीत सिंह ने दावा किया कि अगर इन असामाजिक तत्वों को तत्काल रोकने के लिए कुछ नहीं किया गया तो राज्य में ‘‘गृह युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न’’ हो सकती है।
संवाददाता सम्मेलन में माकपा के राज्यसभा सदस्य बिकास रंजन भट्टाचार्जी सहित अन्य नेता उपस्थित थे।
इस बीच, भाजपा के प्रवक्ता नबेन्दु भट्टाचार्य ने आरोप लगाया है कि शिष्टमंडल पर हमले के पीछे ‘‘गहरी साजिश है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वामपंथी और कांग्रेस बस राष्ट्रीय मंच पर भाजपा को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं। दिल्ली में मौजूद मुख्यमंत्री माणिक साहा ने डीजीपी (राज्य के पुलिस प्रमुख) से बात करके उन्हें हमले में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने भी स्थानीय पदाधिकारियों से इस मुद्दे पर चर्चा की है।’’