उप राज्यपाल ने वन विभाग के दो अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई जांच की मंजूरी दी

डीएन ब्यूरो

दिल्ली के उप राज्यपाल वी.के.सक्सेना ने 223 करोड़ रुपये के कथित भ्रष्टाचार मामले में वन विभाग के दो अधिकारियों के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मंजूरी दे दी है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

दिल्ली के उप राज्यपाल वी.के.सक्सेना
दिल्ली के उप राज्यपाल वी.के.सक्सेना


नयी दिल्ली: दिल्ली के उप राज्यपाल वी.के.सक्सेना ने 223 करोड़ रुपये के कथित भ्रष्टाचार मामले में वन विभाग के दो अधिकारियों के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मंजूरी दे दी है। राजनिवास के अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि एक अन्य मामले में उप राज्यपाल ने 60,000 रुपये के कथित रिश्वत मामले में दिल्ली सरकार के एक अस्पताल की दो वरिष्ठ नर्स के खिलाफ जांच की अनुमति भ्रष्टाचार निरोधक शाखा को दे दी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार अधिकारियों ने बताया कि दोनों मामलों की जांच के प्रस्ताव को उप राज्यपाल ने भ्रष्टाचार निरोधक (संशोधन) अधिनियम की धारा 17ए के तहत मंजूरी दी।

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राज निवास के अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने टिप्पणी की कि यह न्याय के हित में है कि आरोपियों के खिलाफ जांच की जाए।

सीबीआई ने वन और वन्यजीव विभाग में तत्कालीन वरिष्ठ लेखा अधिकारी पारसनाथ यादव और सहायक लेखा अधिकारी आलम सिंह रावत के खिलाफ कथित आपराधिक साजिश में शामिल होने के आरोप में मामला दर्ज किया था। दोनों पर आरोप है कि वे बैंक ऑफ बड़ौदा की पहाड़गंज शाखा के तत्कालीन वरिष्ठ शाखा प्रबंधक एल.ए.खान और अन्य के साथ आपराधिक साजिश में शामिल थे।

अधिकारियों ने बताया कि आरोपी वन और वन्यजीव विभाग नाम से जारी जाली पत्र के आधार पर ‘सन्ड्राई’ खाते से उसी शाखा में दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) के नाम पर एक फर्जी बचत खाते में 223 करोड़ रुपये ‘अवैध’ और ‘अनधिकृत’ तरीके से स्थानांतरित करने में शामिल थे।

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वहीं दूसरे मामले में स्वास्थ्य विभाग की दो महिला कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने आरोप लगाया है कि ‘आसान ड्यूटी’ के एवज पर उन्होंने दो नर्सिंग अधिकारियों से 60- 60 हजार रुपये की कथित रिश्वत की मांग की।

आरोपियों की पहचान चंचल रानी पिसल्ला और रजनेश वर्मा के रूप में हुई है। दोनों घटना के समय गोविंद वल्लभ (जीबी) पंत अस्पताल में क्रमशः उप नर्सिंग अधीक्षक और नर्सिंग अधिकारी के रूप में तैनात थे।

एक नर्सिंग अधिकारी ने यह भी आरोप लगाया कि दोनों आरोपियों ने पहले ही कोविड- 19 डेस्क की ड्यूटी से छूट के लिए 42,000 रुपये ले लिए थे।










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