DN Exclusive: योगी के यूपी में कुपोषण का शिकार क्यों बन रहे हैं नौनिहाल?

डीएन ब्यूरो

कुपोषण के भयावह आंकड़े आज भी भारत के लिए एक चुनौती बने हुए हैं। उत्तर प्रदेश के मायनों में कुपोषण और भी ज्यादा भयावह और जानलेवा साबित हो रहा है। आखिर क्या है यूपी में कुपोषण की वजहें..पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ की यह एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

फाइल फोटो
फाइल फोटो


लखनऊः कुपोषण भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। यह समस्या हालांकि देश के ज्यादातर राज्यों में भी बनी हुई लेकिन उत्तर प्रदेश की स्थिति बेहद गंभीर है। बच्चों को देश का भविष्य कहा जाता है। अगर बच्चे ही स्वस्थ नहीं होंगे तो कैसे देश तंदुरस्त होगा, यह एक गंभीर सवाल है। सरकार द्वारा बच्चों के स्वास्थ्य के लिए टीकाकरण, मिड- डे-मील जैसी तमाम योजनाएं चलाई जा रही है लेकिन इसके बावजूद भी कुपोषण खत्म नहीं हो रहा है। आखिर क्या है इसका कारण, जाने डाइनामाइट न्यूज़ की इस एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में..

 

कुपोषण और इसकी वजह 

1. भोजन हमारे शरीर को स्वस्थ रखने और ऊर्जा प्रदान करने का काम करता है। अगर हमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन और खनिज समेत पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिलते है तो इसका मतलब है कि हम कुपोषण के शिकार है।

2. पर्याप्त पोषक तत्वों के नहीं मिलने से इंसान की उम्र के हिसाब से ऊंचाई नहीं बढ़ती है। उसका वजन भी काफी कम रहता है, ऐसी स्थिति में वह कुपोषण से भी बदतर स्थिति यानी अल्पपोषण का शिकार हो जाता है।

3. कुपोषण के लक्षणों में- वसा की कमी, सांस लेने में दिक्कत, अवसाद, ठंड ज्यादा लगना, प्रजनन क्षमता में समस्याएं, चिड़चिड़ापन, थकान या उदासीनता आदि है।

यह भी पढ़ें | लखनऊ: संदिग्ध परिस्थितियों में गोली लगने से सीआरपीएफ जवान की मौत

 

कुपोषण को लेकर क्या कहते हैं आंकड़े 

1. विश्व स्तर पर किए गए एक ताजा शोध में पता चला है कि दुनिया की हर पांचवी मौत में से एक मौत के लिए खान-पान की गुणवत्ता और उसमें पोषक तत्वों की कमी के कारण होती है।

2. यह शोध वाशिंगटन विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने की थी। इसमें भारत और चीन जैसे देशों को शामिल किया गया था।

3. इस रिपोर्ट में ये सामने आया था कि भारत में कुपोषण की वजह से 5 साल से कम आयु के 10 लाख बच्चों की मौत हो जाती है।

4. वहीं इस रिपोर्ट में जो सबसे चौंकाने वाला आंकड़ा था वह यूपी को लेकर था कि यहां अकेले हर साल 3.8 लाख मौतें कुपोषण की वजह से हो रही हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि बिहार के बाद यूपी कुपोषण के मामले में दूसरे नंबर है।

यह भी पढ़ें | बाराबंकी: भीड़ से पिटाई के बाद जिंदा जलाए गए युवक की अस्‍पताल में मौत

5. वहीं अब एक और आंकड़ा आया है जिसमें यूपी की राजधानी लखनऊ में कुपोषित बच्चों की तादाद लगातार बढ़ रही है। बताया जा रहा हैं कि लखनऊ में यह संख्या अब 82 हजार पार कर चुकी है। यहां 805 गांवों में ज्यादातर बच्चे जन्म से ही कुपोषित हैं।

उत्तर प्रदेश में कुपोषण से मौतों की वजह

1. राजनैतिक दलों ने कुपोषण को नहीं बनाया एजेंडाः यूपी में कुपोषण को लेकर जो आंकड़ा सामने आया है, उससे पता चलता है कि प्रदेश में कुपोषण को राजनैतिक दल मुद्दा नहीं बना पाए है। इस विषय को लेकर चाहे विधानसभा हो या फिर लोकसभा कभी भी इस पर हंगामा नहीं हुआ है। इसमें राजनैतिक दलों की मौन सहमति व मिली- जुली रणनीति नजर आती है।

2. 2016 में स्वराज अभियान के राष्ट्रीय संस्थापक योगेंद्र यादव ने भी बुंदेलखंड को लेकर एक सर्वेक्षण किया था, जिसमें उन्होंने बुंदेलखंड के 7 जिलों में कई गैर सरकारी संस्थाओं की मदद से एक आंकड़ा जारी किया था। जिसमें कहा गया था बुंदेलखंड के 38 प्रतिशत गांवों में भूख की वजह से लोगों की मौतें हुई थी। इसमें यह भी दावा किया गया था कि 60 प्रतिशत परिवारों में गेहूं, चावल की जगह मोटे अनाज और आलू का प्रयोग किया गया। साथ ही हर छठे परिवार ने घास की रोटी खाई। इस रिपोर्ट के जारी होने के बाद में काफी विवाद हुआ था।

3. कुपोषण से निजात दिलाने के लिए जिला स्तर पर अधिकारियों को गांव गोद दिलाने के साथ ही कुपोषित बच्चों, गर्भवती, धात्री व किशोरियों के स्वास्थ्य की देखभाल का जिम्मा सौंपा गया है। इसके बावजूद ऐसे आंकड़ों से स्थिति गंभीर होती हुई दिख रही है।

4. प्रदेश सरकार ने कुपोषण से लड़ने के लिए हौसला पोषण योजना शुरू की है। इसके लिए प्रशासन, विकास व बाल- विकास एवं पुष्टाहार अधिकारियों की समिति गठित की गई थी। इन सबका कार्य इन कार्यक्रमों पर नजर रखना व योजनाओं को प्राथमिकता से संचालित करना था। जिस पर काम नहीं होने से ऐसा आंकड़ा आया है।

5. राजधानी लखनऊ में 30 हजार से अधिक गर्भवती महिलाएं, किशोरियां धात्री एनीमिया से ग्रस्त पाई गई है। जिससे यहां स्थिति काफी दर्दनाक बनी हुई है।
 










संबंधित समाचार