UP STF ने किया BTC पेपर लीक मामले का पर्दाफाश, दो प्रिंटिंग प्रेस के मालिक गिरफ्तार
बड़े आपराधिक मामलों के लगातार खुलासे करने में जुटी यूपी एसटीएफ ने उत्तर प्रदेश के चर्चित बीटीसी पेपर लीक मामले को भी सुलझा लिया है। पेपर लीक के कारण ही यह परीक्षा 8 अक्टूबर को रद्द कर दी गयी थी। डाइनामाइट न्यूज़ की इस एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में जानिये कैसे पेपर लीक की घटना को दिया जाता था अंजाम..
लखनऊ: यूपी एसटीएफ ने उत्तर प्रदेश के चर्चित बीटीसी पेपर लीक मामले का पर्दाफाश करते हुए इस केस में कई चौकाने वाले खुलासे किये हैं। एसटीएफ की टीम ने कौशांबी से पेपर लीक करने वाले प्रिंटिंग प्रेस के दो मालिकों को भी गिरफ्तार कर लिया है। इस मामले में चौकाने वाली बात यह भी है कि जिस एजेंसी को पेपर छापने की जिम्मदारी दी गयी थी, उसी ने यह पेपर लीक किया।
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यूपी एसटीएफ के चीफ अमिताभ यश के निर्देशन में उनकी टीम यूं तो कई खुलासे करने में जुटी है लेकिन बीटीसी पेपर लीक का मामला अन्य मामलों से काफी अलग है। यह परीक्षा 8 अक्टूबर को राज्य भर में होनी थी, जिसे पेपर लीक के कारण ऐन मौके पर रद्द कर दिया गया। इसको लेकर सरकार भी काफी चिंतित थी और बीटीसी उम्मीदवारों में परीक्षा रद्द किये जाने से अब भी भरी रोष है, इसलिये मामले की तह तक जाने के लिये एसटीएफ की टीम के सामने कई चुनौतियां थी। इस मामले में कल शनिवार को ही एसटीएफ की चीफ अमिताभ यश समेत सूबे के कई उच्चाधिकारियों के साथ सीएम योगी ने बैठक भी की।
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यूपी एसटीएफ ने इस मामले का खुलासा करते हुए बताया कि गिरफ्तार आरोपियों द्वारा बीटीसी पेपर को whatsapp के जरिए वायरल किया गया था। व्हॉट्सप्प के जरिये ही साल्वर व संबंधित लोगों तक पेपर पहुंचाया गया था।
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इस मामले में एसटीएफ ने कौशांबी से दीप्ति इंटरप्राइजेज के मालिक आशीष अग्रवाल और भार्गव प्रिंटिंग प्रेस के मालिक अरविंद भार्गव को गिरफ्तार किया है। शिक्षा विभाग ने प्रश्न पत्र छापने का जिम्मा इन्हीं एजेंसियों को दिया गया था। पेपर छापने का ठेका दीप्ति इंटरप्राइजेज को दिया गया लेकिन छपाई भार्गव प्रिंटिंग प्रेस में हो रही थी। इन्होंने ही मिलकर पेपर को लीक किया और सॉल्वर तक पहुंचाया। एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ की जा रही है।