मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावः BJP ने 5 दर्जन 'बागियों’ को किया पार्टी से बाहर.. अब शायद ही होगी घर वापसी
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी BJP में फूट अभी से ही शुरू हो गई है। चुनाव से ठीक पहले पार्टी से बगावत करने वाले करीब पांच दर्जन नेताओं को BJP के प्रदेश संगठन ने छह वर्ष के लिये निष्कासित कर दिया है। डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट में पढ़ें बीजेपी में कैसे पड़ी फूट
भोपालः मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले नामांकन वापसी की समय सीमा समाप्त होने के बाद भी पार्टी से बगावत करने वाले करीब पांच दर्जन नेताओं को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश संगठन ने छह वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया है। भाजपा सूत्रों के मुताबिक पार्टी से बगावत कर अन्य दलों या निर्दलीय चुनाव लड़ने जा रहे कई नेताओं को पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ने के लिए मना रही थी। लगभग एक दर्जन नेताओं ने नाम वापस ले लिया था,लेकिन करीब पांच दर्जन नेता नहीं माने।
सूत्रों के अनुसार इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह की मौजूदगी में हुई वरिष्ठ नेताओं की बैठक में बगावती तेवर दिखाने वाले ऐसे नेताओं को छह वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया गया। इनमें मुख्य रूप से दमोह और पथरिया से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में डटे रहने वाले पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमारिया, गुना जिले के बामोरा से पूर्व मंत्री के एल अग्रवाल, जबलपुर से धीरज पटेरिया, भिंड से नरेंद्र सिंह कुशवाह और अंबरीश शर्मा शामिल हैं।
भाजपा नेतृत्व ने 10 साल पहले 2008 में भी विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह पर कार्रवाई की थी। वर्ष 2008 में भी भाजपा ने विधायक का टिकट काट दिया था। इससे नाराज होकर कुशवाह अपनी ही पार्टी के खिलाफ सपा से चुनाव लड गए थे। इससे भिंड में भाजपा की जमानत जब्त हो गई थी। अब 10 साल बाद फिर से विधायक का टिकट कटा तो वे सपा से चुनाव मैदान में कूद पडे़ हैं। वहीं लहार से बसपा का झंडा थाम रहे अंबरीश शर्मा वर्ष 2003 में भाजपा से चुनाव लड चुके हैं। वे इस बार भी भाजपा में दावेदार थे, लेकिन पार्टी ने पूर्व विधायक रसाल सिंह पर भरोसा किया। इससे नाराज होकर उन्होंने बसपा का हाथ थाम लिया।
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वहीं कांग्रेस ने झाबुआ जिले में जेवियर मेड़ा और एक अन्य नेता को निष्कासित किया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि शेष स्थानों पर पार्टी प्रत्याशी मान गए हैं या फिर वे निर्दलीय नहीं होकर अन्य दलों के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, इसलिए वे स्वत: ही पार्टी से निष्कासित हो गए हैं। राज्य में सभी 230 सीटों के लिए नामांकनपत्र दाखिले का कार्य 02 नवंबर को शुरू हुआ था और नौ नवंबर तक 4157 प्रत्याशियों की ओर से नामांकनपत्र दाखिल किए गए।
नाम वापसी के अंतिम दिन बुधवार को 556 प्रत्याशियों ने नाम वापस लिए और अब लगभग 2900 प्रत्याशी मैदान में हैं। शेष लगभग सात सौ प्रत्याशियों के नामांकनपत्र जांच के दौरान तकनीकी खामियों के कारण निरस्त कर दिए गए थे। राज्य में अब भाजपा और कांग्रेस समेत विभिन्न दलों का चुनाव प्रचार अभियान तेज पकड़ रहा है। सभी 230 सीटों पर एक ही चरण में 28 नवंबर को मतदान होगा और 11 दिसंबर को नतीजे आएंगे। भाजपा ने सभी 230 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं, जबकि कांग्रेस ने जतारा सीट लोकतांत्रिक जनता दल को गठबंधन के तहत छोड़कर शेष 229 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए हैं। (वार्ता)