DN Exclusive: देखिये महराजगंज में सरकार के स्वच्छ भारत अभियान को कैसे लगा पलीता, आज भी खुले में शौच को मजबूर हैं ग्रामीण

डीएन ब्यूरो

सरकार द्वारा स्वच्छ भारत अभियान समेत खुले में शौच मुक्त भारत के लिये चलाये जा रहे तमाम तरह के अभियान को सरकारी नुमाइंदे ही पलीता लगाते रहे है। बड़ी संख्या में ग्रामीण लोग आज भी खुले में शौच के लिये मजबूर हैं। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज की स्पेशल रिपोर्ट



महराजगंज: सरकार द्वारा स्वच्छ भारत अभियान समेत खुले में शौच मुक्त के लिये पिछले कुछ सालों से लगातार कई तरह के कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं, जिस पर खूब पैसा भी बहाया जा रहा है। देश के ग्रामीण क्षेत्रों को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिये स्थानीय स्तर पर भी कई तरह की अभियान चलाये जा रहे हैं लेकिन सरकार नुमाइंदों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण ग्रामीण क्षेत्रों की बड़ी आबादी आज भी खुले में शौच को विवश है। 

डाइनामाइट न्यूज टीम ने जब जनपद महराजगंज के लक्ष्मीपुर ब्लॉक के दर्जनों ग्राम सभाओं का दौरा कर स्वच्छ भारत समेत लोगों की लिये खुले में शौच मुक्त के लिये चलाये गये अभियानों की पड़ताल की तो कई चौकाने वाले मामले सामने आये। कई गावों के सार्वजनिक शौचालयों पर ताल लटके मिले। यहां के लोगों ने बताया कि कुछ शौचालय पूरे तो कुछ आधे-अधूरे बने भी और शौचालयों के नाम पर जमकर पैसा भी खर्च किया गया लेकिन शौचालयों पर आज अलग-अलग कारणों से ताला लटका हुआ है, जिस कारण लोग अब भी खुले में शौच जाने के लिये लाचार हैं।  

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डाइनामाइट न्यूज ने लक्ष्मीपुर ब्लॉक के रुद्रपुर शिवनाथ, बसंतपुर, भगवानपुर, मलहनी फुलवरिया, पिप्र रहवा, भगवानपुर, धुसवा कला, रघुवीर, मठिया इदू, बेलवा बुजुर्ग, गौहरपुर,बैजनाथपुर चरका,रामनगर समेत कई गांवों के सामुदायिक शौचालयों को देखा तो उनकी दुर्दशा सरकारी धन की बर्बादी की पोल खोलती नजर आयी। अधिकतर शौचालयों पर ताला लटका मिला।

ग्रामीणों ने डाइनामाइट न्यूज को बताया कि सामुदायिक शौचालय जबसे बना है तबसे खुले ही नहीं। कहीं शौचालय में टंकी-टोटी नहीं तो कहीं दरवाजे टूटे पड़े है। कहीं टॉयलेट सीट उड़खी हुई है तो कहीं शौचालय में गंदगी का अंबार है। कहीं बिजली के अभाव में मोटर ठप्प पड़ी हुई है। कई शौचालयों के आधे अधूरे कार्य हुए है, जिससे शौचालयों में ताला लटका हुआ है और लोग को बाहर शौच को जाने को मजबूर हैं।

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कई ग्रामसभाओं में शौचालय निर्माण को लेकर वर्तमान और पूर्व प्रधानों में आरोप-प्रत्यारोप सामने आये। लोगों ने इसे सरकारी धन के बंदरबाट का मामला बताया। डाइनामाइट न्यूज ने जब प्रधानों से पूछा तो कई पूर्व ग्राम प्रधानों ने भुगतान पूर्ण न होने का बात बताई जिससे कार्य आधे अधूरे पड़े है। 

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लक्ष्मीपुर ब्लॉक के ग्रामसभाओं के सामुदायिक शौचालयों की अगर जांच करा ली जाए तो एक बड़ा भ्रष्टाचार उजागर हो जाएगा। जब इस सम्बन्ध में एडीओ नजीर अहमद से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि मैं कई महीने से अस्वस्थ होने के कारण छुट्टी पर था। अभी इसी महीने ज्वॉइन किया हूं। आपके द्वार मामला संज्ञान में आया है, मामले कि जांच करवाई जायेगी।










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