महराजगंज: गनर से विवाद के बाद भाई की गिरफ्तारी, भड़की बहनों का आधी रात में कोतवाली से लेकर डीएम और एसपी आवास पर जबरदस्त तांडव, सीओ से जोरदार झड़प, पुलिस ने संगीन धाराओं में ठोंका मुकदमा
बीती आधी रात को महराजगंज जनपद मुख्यालय पर तीन लड़कियों ने एक नवयुवक की गिरफ्तारी के विरोध में जबरदस्त हंगामा किया। सदर कोतवाली से लेकर आधी रात को वे डीएम आवास और एसपी आवास पर पहुंच मुलाकात करने और न्याय की गुहार करने लगीं। इस दौरान काफी देर तक सीओ सदर से इन लड़कियों की कहा-सुनी हुई। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव:
महराजगंज: बात 25 मई की शाम साढ़े सात बजे कोतवाली के ठीक सामने इंदिरा नगर मुहल्ले की है। यहां पर बारिश के मौसम में एक सांप निकला था, जिसे मुहल्ले के कुछ लड़कों ने मार दिया, मारने के बाद वे घटना स्थल पर ही थे तभी वहां से एडीएम कुंज बिहारी अग्रवाल की सुरक्षा में तैनात गनर रणजीत दूबे निकले।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक गनर का आवास इसी मुहल्ले में हैं, जहां वे अपने परिवार के साथ रहते हैं। रात के वक्त रणजीत जब घर जा रहे थे तभी इन युवकों की रणजीत से किसी बात पर कहासुनी हो गयी। हंगामा होता देख मौके पर भीड़ जुट गई। इसी बीच किसी ने पुलिस को फोन पर सूचना दी और मौके पर पुलिसिया टीम पहुंची।
स्थानीय लोगों के मुताबिक मौके पर पहुंची पुलिस ने दोनों पक्षों में सुलह कराकर मामले को रफा-दफा करा दिया और दोनों पक्ष अपने-अपने घर चले गये।
मामले में नया मोड़ तब आय़ा जब एका-एक कल पुलिस ने एक बड़े प्रशासनिक अधिकारी के दबाव में युवक राजा सिंह को गिरफ्तार कर लिया। जब इसकी जानकारी परिजनों को हुई तो गिरफ्तार युवक की बहन बताने वाली तीन लड़कियां और कुछ अन्य लोग सदर कोतवाली के गेट पर पहुंचे और गिरफ्तार लड़के को नाबालिग बताते हुए छोड़ने की मांग करने लगे। इसके बाद ये लड़कियां आधी रात को ही डीएम आवास पहुंची। इसके बाद ये एसपी आवास पर भी पहुंची।
इनकी मांग थी कि बड़े अफसर उनकी बात को सुनकर न्याय करें कि जब दो दिन पहले मामले में सुलह हो गयी तो फिर अचानक क्यों एकपक्षीय कार्यवाही में गिरफ्तारी हुई?
हंगामे की जानकारी मिलने पर मौके पर सीओ सदर अजय सिंह चौहान पहुंचे। सीओ और लड़कियों के बीच जबरदस्त बहस और कहासुनी हुई। सीओ ने स्पष्ट किया कि लड़के के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गयी है और गिरफ्तार किया गया है। अब लड़का कानूनी प्रक्रिया के बाद ही छूटेगा।
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इन लड़कियों ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया कि उन्होंने पुलिस को तहरीर दी है लेकिन उनकी तहरीर नहीं दर्ज की गयी।
इधर डाइनामाइट न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक पुलिस ने एडीएम कुंज बिहारी अग्रवाल की सुरक्षा में तैनात गनर रणजीत दूबे की तहरीर पर चार लड़कों राजा सिंह पुत्र राजेश सिंह, मुकेश विश्वकर्मा पुत्र रामू विश्वकर्मा, विशाल गौड़ पुत्र चौथी गौड़, विकास गौड़ पुत्र चौथी गौड़ के खिलाफ बेहद संगीन धाराओं में नामजद मुकदमा दर्ज किया है। इनके अलावा चार अन्य अज्ञात के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया गया है।
गनर की तहरीर पर मुकदमा अपराध संख्या 233/2021 धारा 147, 323, 332, 504, 506, 452, 353, आपदा प्रबंधन अधिनियम 51 और महामारी अधिनियम 3 के अंतर्गत मुकदमा ठोंका गया है।
गनर ने अपनी तहरीर में लिखा है कि घटना के समय वह अपने निजी आवास पर जा रहा था तभी रास्ते के किनारे पुलिया पर उक्त युवक बैठे थे, ये सभी मनचले किस्म के हैं। तहरीर के मुताबिक बिना मास्क लाकडाउन का उल्लंघन करते हुए युवक अश्लील हरकत कर रहे थे, यहीं पर मेरा किराये का आवास है। जब मैंने इसका विरोध किया तो ये लोग मेरे घर के अंदर घुसकर पत्नी के साथ अभद्रता करने लगे।
निजी विवाद तो पुलिस ने कैसे लगायी धारा 332 और 353?
सवाल यह है कि गनर अपने आवास पर जा रहा था, रास्ते में मुहल्ले के लोगों से आपसी विवाद हुआ, ऐसे में पुलिस ने क्यों झूठी तहरीर बिना सत्यता की जांच किये गलत धाराओं में पंजीकृत की? निजी विवाद, सादी वर्दी में कैसे सरकारी कामकाज में बाधा हो गया? कैसे बिना जांच-पड़ताल के धारा 332 और 353 ठोंक दी गयी? पुलिस ने क्यों एकतरफा तहरीर दर्ज की? क्यों नहीं दूसरे पीड़ित पक्ष की तहरीर का संज्ञान लिया गया? क्या पुलिस का कांस्टेबल होने की वजह से एकतरफा कार्यवाही की गयी?
किस शासनादेश के तहत मिला एडीएम को गनर?
दर्ज एफआईआर में कांस्टेबल रणजीत दूबे ने साफ-साफ लिखा है कि वह महराजगंज के अपर जिलाधिकारी के वहां सुरक्षा गार्ड के रुप में तैनात है। यहीं सबसे बड़ा सवाल खड़ा होता है कि किस शासनादेश के तहत एडीएम कुंज बिहारी अग्रवाल को गनर दिया गया है? जानकारी के मुताबिक एडीएम को गनर दिये जाने का कोई प्रावधान नहीं है लेकिन पिछले तीन सालों से अपनी तैनाती के दौरान एडीएम लगातार नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए अपने साथ असलहे से लैस गनर रखे हैं।
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महराजगंज जिले में लंबे समय से तैनात अपर जिलाधिकारी कुंज बिहारी अग्रवाल का विवादों से चोली और दामन का साथ है। इनकी कार्यप्रणाली से नाराज जिलाधिकारी एडीएम के खिलाफ शासन को पत्र भी लिख चुके हैं। कागजों की आड़ में ऐसा कौन सा बहाना बनाया गया है? ऐसा कौन सा खतरा एडीएम की जान को है? जिसके चलते सरकारी धन पर वेतन पाने वाले गनर को विवादित एडीएम की सुरक्षा में लगा दिया गया? क्या कागजों में एडीएम के नाम पर गनर का आवंटन दिखाया जा रहा है या इसमें भी कोई झोल है? ये एक गंभीर जांच का विषय है।
फिलहाल चर्चाओं का बाजार गर्म है कि जो मामला आपसी सुलह से ठंडा हो गया था, क्या उसे एडीएम के दवाब में हवा दी गयी? कहा जा रहा है कि मुकामी पुलिस इस मामले में एफआईआर नहीं दर्ज करना चाहती थी लेकिन एक प्रशासनिक अफसर के दबाव में चार नवयुवकों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर दिया गया और उनको मनचला बताते हुए संगीन धाराओं में मुकदमा ठोंक दिया गया।
ऐसा क्यों किया गया? इसको लेकर जिले भर में चर्चाओं का बाजार गर्म है।