इंडो-नेपाल सीमा पर गोलीकांड ने पकड़ा तूल, क्या तस्करों के हमले का जबाव थी एपीएफ की फायरिंग? जानिये कुछ बड़े खुलासे

डीएन ब्यूरो

इंडो-नेपाल बॉर्डर पर बुधवार को हुई फायरिंग का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। युवक की मौत के बाद जहां सीमा के आसपास रहने वाले नेपाल के ग्रामीणों में रोष बताया जा रहा है वहीं इस फायरिंग को लेकर कुछ नई बातें भी सामने आयी है। पढिये डाइनामाइट न्यूज की पूरी रिपोर्ट



महराजगंज: इंडो-नेपाल बॉर्डर पर बुधवार को हुई फायरिंग का मामला जोर पकड़ता जा रहा है। नेपाल की सशस्त्र पुलिस फोर्स (एपीएफ) के जवानों की फायरिंग में एक नेपाली युवक की मौत और दो लोगों के घायल होने से सीमा क्षेत्र में रहने वाले  ग्रामीणों में भारी आक्रोश बताया जा रहा है। एपीएफ ने भी अभी इस बात का संतोषजनक खुलासा नहीं किया कि आखिर उसने इस गोलीकांड को अंजाम क्यों दिया?  इस फायरिंग को लेकर कई तरह के सवाल उठाये जा रहे हैं और सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों में अब भी तनाव की खबरें हैं। 

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डाइनामाइट न्यूज संवाददाता ने जब इस घटना की पड़ताल की तो कई तरह के नये तथ्य सामने आये। सीमा के करीब रहने वाले नेपाल के कुछ लोगों ने फायरिंग में मृतक युवक को पूरी तरह निर्दोष करार दिया। लेकिन नेपाल सशस्त्र पुलिस फोर्स से जुड़े कुछ सूत्रों और घटना पर नजर रखने वालों ने इसका जो कारण बताया, वह काफी चिंताजनक और डरावना है।  

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डाइनामाइट न्यूज को कुछ सूत्रों ने बताया कि यह घटना संदिग्ध तस्करी के मामले से भी जुड़ी हुई है। यह भी चौकाने वाला खुसाला हुआ कि नवल परासी, नेपाल प्रतापपुर गांव पालिका-6 कट्ठाहवा, इंडो नेपाल बॉर्डर के पास नेपाली सेना और नेपाली ग्रामीणों के बीच जमकर संघर्ष हुआ था। यह संघर्ष तस्करी के मामले को लेकर हुआ था। बताया जाता है कि नेपाली ग्रामीणों ने आपा खोते हुए इस दौरान नेपाली जवानों पर लाठी-डंडों से हमला बोल दिया था। कुछ जवान जख्मी भी हुए थे। बताया जाता है कि ग्रामीणों के हमले का जबाव बाद में नेपाली जवानों ने फायरिंग करके दी। नेपाली जवानों की इसी गलती के कारण फायरिंग में गोली लगने से एक युवक की जान चली गई।   

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता ने जब जमीनी पड़ताल के दौरान इस घटना से जुड़े कुछ लोगों से गोलीकाण्ड का पूरा मामला समझना चाहा तो कोई भी कैमरे के सामने बोलने को तैयार नहीं हुआ। बताया जाता है कि कोरोना काल में भारत में लॉकडाउन, कर्फ्यू समेत तमाम तरह के प्रतिबंधों के चलते नेपाल बॉर्डर लगभग पिछले एक साल से बंद है। लेकिन इसके बावजूद भी तस्कर अपने मंसूबों को अंजाम देने में लगे हुए हैं।

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तस्करों को रोकने के लिये नेपाली एपीएफ को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी रही है। तस्करी के संदेह में कई बार आम और निर्दोष लोगों से भी नेपाली जवानों की झड़प हो जाती है। कई बार यह झड़प हिंसक रूप ले लेती है। कुछ लोगों का कहना है कि कल की फायरिंग भी इसी तरह की हिंसक झड़प का हिस्सा थी। 

बताया जाता है कि नेपाल बॉर्डर एपीएफ की सख्ती तस्करों को रास नहीं आ रही है। सभी तस्कर एकजुट होकर सीमा पर बनाये गये नये कैंपों को हटाने के उद्देश्य भी जवानों के साथ मारपीट पर उतारू हो जाते हैं। कुछ अन्य सूत्रों ने भी कल के मामले में भी फायरिंग का यही एंगल बताया। मारपीट की घटना के बाद नेपाली जवानों द्वारा गोली चलाने से एक युवक की मौत हो गई। 

फायरिंग की घटना को लेकर कई सवाल उठ रहे है और फिलहाल हर जबाव अलग-अलग कहानी बयां कर रहा है। लेकिन घटना का सच नेपाल की सशस्त्र सुरक्षा बल के जवानों के साथ ही बहुत कम लोगों को पता है। उम्मीद की जा रही है कि जल्द घटना का सच सामने आयेगा ताकि भविष्य में सीमा पर फिर इस तरह की फायरिंग न हो।










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