महराजगंज: एडीएम कुंज बिहारी अग्रवाल का पैर छुने का पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल

डीएन संवाददाता

अक्सर विवादों में रहने वाले महराजगंज के अपर जिलाधिकारी कुंज बिहारी अग्रवाल का चार साल पुराना एक वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में ये सपा सरकार के दौरान एक सार्वजनिक कार्यक्रम में सपा के एक तत्कालीन नेता का पैर छूते दिख रहे हैं। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव:

कुंज बिहारी अग्रवाल (फाइल फोटो)
कुंज बिहारी अग्रवाल (फाइल फोटो)


महराजगंज: चार साल की योगी सरकार में एडीएम की कुर्सी पर आरपी कश्यप से लेकर इंद्र भूषण वर्मा और रतिभान वर्मा जैसे दिग्गज आये लेकिन कोई भी एक साल से अधिक नहीं टिक पाया लेकिन ऐसा कौन सा जुगाड़ है कुंज बिहारी अग्रवाल का जो लंबे समय से महराजगंज में जमे हैं?

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इनकी ऐसी ही वर्किंग स्टाइल की पोल खोल रहा है इनका चार साल पुराना एक वीडियो। यह वीडियो इनकी हरदोई जिले में तैनाती के दौरान का है। उस समय इस वीडियो ने मीडिया में काफी सुर्खियां बटोरी थी, अब यह वीडियो एक बार फिर सोशल मीडिया पर वायरल हो रखा है।

मामला जनवरी 2017 का है, तब सूबे में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। 

डाइनामाइट न्यूज़ ने जब कुंज बिहारी की कुंडली खंगाली तो पता चला कि फतेहपुर जिले के बिंदकी तहसील के मूल निवासी कुंज बिहारी ने सपा सरकार में हरदोई जिले में जमकर मलाई काटी। इनकी तैनाती के किस्से लोग खूब चटकारे लेकर सुनाते हैं। 

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हरदोई में महिला अस्पताल के उद्घाटन के दौरान पहुंचे सपा के तत्कालीन नेता के चरणों में कुंज बिहारी उनका आशीर्वाद लेने लगे? सवाल ये है कि जब एडीएम स्तर के अधिकारी इस तरह खुलेआम सरकारी समारोहों में नेताओं की चरण वंदना करेंगे तो मातहतों में क्या संदेश जायेगा?

सवाल यह भी है कि क्या इन्होंने ऐसा करके सिविल सेवा नियमावली का उल्लंघन किया? यदि हां तो इन पर कोई कार्यवाही पिछली सरकार में किसके दबाव में नहीं होने दी गयी? अब जब यह मामला उछला है तो इनके खिलाफ कार्यवाही का दबाव बढ़ना लाजिमी है।

महराजगंज में अपनी तैनाती के दौरान ये जबरदस्त विवादों में रहे हैं। एक गांव में पन्द्रह एकड़ की सीलिंग में इनके फैसले से जिले के सबसे बड़े अधिकारी इस कदर खफा हुए कि इनके खिलाफ शासन को डीओ लेटर लिख भेजा। इसके बाद से ही इनकी उल्टी गिनती शुरु हो चुकी है और जिले में इनके गिने-चुने दिन शेष बचे हैं। सीलिंग का यह काला खेल गोरखपुर के अफसर के स्तर से रुक चुका है लेकिन इस मामले में कुंज बिहारी का आगे लंबा नपना तय बताया जा रहा है। 

नौकरी के अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुके कुंज बिहारी एडीएम वित्त के साथ-साथ डीडीसी के पद पर भी काबिज हैं। इनका विवादों के साथ चोली-दामन का साथ है। अमरनाथ उपाध्याय के जमाने में 28 सितंबर 2019 को महराजगंज बस स्टेशन पर गिट्टी लदी एक ट्रक पलट गयी थी, उस दौरान  राहत कार्य के लिए एडीएम मौके पर पहुंचे और हंसते हुए मीडिया को बयान दिया कि राहत कार्य पूरा हो चुका है और कोई भी गिट्टी के नीचे दबा नहीं है लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि एडीएम के इस झूठ की पोल तब खुल गयी जब तीन दिन बाद गिट्टी के नीचे से एक गरीब की लाश मिली। इस गरीब की आत्मा आज भी कराह रही होगी कि यदि एडीएम ने ईमानदारी से राहत कार्य को अंजाम दिलवाया होता तो शायद एक गरीब की जान बचायी जा सकती थी। यह मामला मानवाधिकार आयोग की चौखट पर पहुंच चुका है। 

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अक्टूबर 2019 में एडीएम की तेज रफ्तार गाड़ी ने मुजहना गांव में एक पांच साल के बालक को बुरी तरह चोटिल कर दिया था, तब ग्रामीणों ने सड़क को जाम कर दिया था और खूब हंगामा किया था। 

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लोगों में जबरदस्त चर्चा है कि सीलिंग का लंबा खेल तो महज एक बानगी है यदि एडीएम के पूरे कार्यकाल की निष्पक्ष उच्च स्तरीय जांच करा ली जाय तो फाइलों को लंबित रखने के बहाने अपराधियों को संरक्षण देने से लेकर जिले में रजिस्ट्री, स्टैम्प, खनन, स्थानीय निकाय, चकबंदी हर जगह बड़े कांड मिलेंगे। अंदर की खबर यह है कि शासन स्तर पर लगातार मिल रही शिकायतों के बाद एडीएम के काले-कारनामों की गोपनीय जांच करायी जा रही है, जिसकी सच्चाई जल्द सामने आयेगी।  










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