महराजगंज की सबसे बड़ी खबर: IAS सत्येन्द्र कुमार झा के नाम पर धनऊगाही का खुला खेल, पांच दिनों पहले FIR दर्ज लेकिन अब तक कोई खुलासा नहीं
महराजगंज जिले में रंगबाजों और अपराधियों के हौसले जबरदस्त बुलंद हैं। जगह-जगह रंगदारी और वसूली का नंगा खेल चल रहा है। जितने मुंह, उतनी बात लेकिन अब तक कोई खुलासा नहीं। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव:
महराजगंज: बिहार के मधुबनी जिले के मूल निवासी और 2013 बैच के आईएएस सत्येन्द्र कुमार झा ने पिछले साल 25 अक्टूबर को महराजगंज जिले में जिलाधिकारी का कार्यभार संभाला था। अब तक के दस महीने के कार्यकाल में कई बार यह खबरें उछलीं कि जिले में कुछ लोग ऐसे हैं जो डीएम के नाम पर जमकर धनउगाही में लिप्त हैं। कौन किससे धनउगाही कर रहा है? कितने की कर रहा है? जितने मुंह उतनी बातें लेकिन कभी भी तथ्यात्मक रुप से कोई सच्चाई सामने नहीं आयी।
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दबी जुबान होने वाली इन चर्चाओं के बीच पांच दिन पहले डीएम सत्येन्द्र कुमार झा ने खुद एक एफआईआर बतौर वादी कोतवाली थाने में दर्ज करायी है। मुकदमा अपराध संख्या 343/2022 धारा 419,420,66D के अंतर्गत दर्ज हुई FIR में सत्येन्द्र कुमार झा ने कहा है कि WhatsApp की डीपी पर उनकी फोटो का इस्तेमाल कर मोबाइल नंबर 6206152386 से मेरे परिचितों से पैसे की मांग की जा रही है जबकि मेरा इस मोबाइल नंबर से कोई वास्ता-सरोकार नहीं है। डीएम ने अपनी तहरीर में लिखा है कि जिसके द्वारा यह कृत्य किया जा रहा है, वह साइबर अपराध की श्रेणी में आता है। इसकी जांच कर वैधानिक कार्यवाही की जाय। डीएम ने यह तहरीर एसपी को भेजी फिर एसपी के निर्देश पर कोतवाली में मुकदमा पंजीकृत हुआ।
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डाइनामाइट न्यूज़ को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक यह एफआईआर 16 अगस्त को 11 बजकर 51 मिनट पर दर्ज की गयी। आज पांच दिन बीत जाने के बावजूद पुलिस के हाथ खाली है।
विवेचना में अब तक पुलिस ने क्या किया, वादी का बयान दर्ज हुआ य़ा नहीं, वादी ने क्या बताया उनके किन परिचितों से कब पैसे मांगे गये, कितने पैसे मांगे गये, पैसा कैसे देने को जालसाज ने कहा, क्या स्वतंत्र साक्ष्य जुटाये गये, क्या किसी संदिग्ध को उठाया गया, कुछ अता-पता नहीं, सवाल यह है जब जिलाधिकारी के नाम पर हो रही धोखाधड़ी और अवैध वसूली के मामले में ये हाल है तो अन्य मामलों में क्या हो रहा होगा, इसे आसानी से समझा जा सकता है।
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फिलहाल जब डाइनामाइट न्यूज़ ने 6206152386 नंबर को खंगाला तो पता चला कि यह नंबर बिहार का है और जियो कंपनी का सिम है और छद्म नाम "टंपू का पापा" है।
पुलिस ने क्या सिम कार्ड खरीदने वाले का अब तक पता लगाया, कुछ पता नहीं? जांच किस दिशा में कैसे बढ़ रही है? सब कुछ हवा में है।
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बड़ा सवाल यह है कि लंबे वक्त से महराजगंज जिले में इस तरह की अवैध वसूली की खबरें आ रही है लेकिन आज तक इस पर कोई प्रभावी शिकंजा नहीं कसा जा सका है आखिर क्यों? क्या जिम्मेदार सिर्फ एफआईआर की खानापूर्ति से अपना पल्ला झाड़ लेंगे?
कौन है बलिया का वो ठेकेदार
जिले भर में यह चर्चा आम है कि बलिया जिले का अपराधी प्रवृत्ति का एक व्यक्ति महराजगंज जिले के विभिन्न विभागों में घूम-घूम कर ठेकेदारी कर रहा है और विभागीय अफसरों के पास पहुंच जिले के एक महत्वपूर्ण अफसर से अपनी सांठ-गांठ बता ठेके ले रहा है।
जिले का चर्चित भू-माफिया सवालों के घेरे में
सरकारी कार्यालयों में दलालों की पौ-बारह है। इनमें सबसे अधिक चर्चा में है जिला मुख्यालय का रहने वाला एक चर्चित भू-माफिया। सत्ता की चाशनी में लिपटा यह भू-माफिया जेल भी हो आया है। इसका काम सुबह सवेरे मुख्यालय परिसर में मार्निंग वाक के नाम पर टहलना और अफसरों के घर चाय पीना। मार्निंग वाक की आड़ में गुर्गों के साथ होती है जमीनों की तहकीकात कि कैसे जाल बिछा कागजों की आड़ में अफसरों को गुमराह कर जमीनें हड़पी जायें। यहीं दलालों के माध्यम से काम कराने वाले ग्राहक खोजे जाते हैं। ग्राहक तैयार होने के बाद यह भू-माफिया कलेक्ट्रेट के तीन और विकास भवन के दो अफसरों के कार्यालयों में ग्राहकों के साथ पहुंच जाता है। सत्ता के साथ अपनी नजदीकी दिखा अफसरों को गुमराह कर काम कराने का दबाव डाला जाता है।
यह इस भू-माफिया पर शिकंजा कस लिया जाये तो शायद डीएम द्वारा दर्ज करायी गयी एफआईआर में कुछ महत्वपूर्ण सुराग हाथ लग सकते हैं। हैरानी की बात यह है कि कैसे कलेक्ट्रेट और विकास भवन के अफसर इस भू-माफिया को अपने दफ्तर में बैठा चाय पिला रहे हैं, क्या इन अफसरों को इस भू-माफिया के करतूतों की जरा भी भनक नहीं है या फिर वे सब कुछ जानते हुए भी अंजान बनने का नाटक कर रहे हैं?
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जन्माष्टमी के नाम पर जमकर हुई वसूली
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक जिले में डीपी लगाकर डीएम के नाम पर वसूली सिर्फ पर्दे के पीछे से नहीं हो रही बल्कि खुलेआम कई पुलिस वाले वसूली कर रहे हैं। जन्माष्टमी मनाने के नाम पर नगर चौकी का एक सिपाही कई दुकानदारों के पास कार्ड लेकर पहुंचा और 21-21 हजार की भारी-भरकम आर्थिक सहयोग की अवैध मांग करने लगा। इस बात की जगह-जगह जबरदस्त चर्चा है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या इस मामले की जांच करायी जायेगी?
क्या होगी निष्पक्ष विवेचना?
बड़ा सवाल यह है कि क्या जिलाधिकारी द्वारा दर्ज करायी गयी एफआईआर की निष्पक्ष विवेचना होगी? पांच दिन से अंधेरे में तीर मार रही कोतवाली पुलिस क्या किसी नतीजे पर पहुंचेगी? या फिर लीप-पोतकर सब बराबर कर दिया जायेगा? जन चर्चा यह है कि जब तक महराजगंज जिला प्रशासन इस एफआईआर के विवेचना की सिफारिश किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी से कराने की सिफारिश नहीं करता तब तक सच सामने आना बेहद मुश्किल है।
इस बारे में कोतवाल रवि राय ने डाइनामाइट न्यूज़ से कहा "कुछ लोगों से पूछताछ चल रही है।"
सवाल यह भी बड़ा है कि जब जिलाधिकारी द्वारा दर्ज करायी गयी एफआईआर पर अपराधियों पर शिकंजा नहीं कसा जा पा रहा है तो आम फरियादी को न्याय कैसे मिल रहा होगा, इसे आसानी से समझा जा सकता है?