महराजगंज: सिसवा में प्रतिबंधित दवाओं से लदी गाड़ी को पुलिस ने पकड़ा, मचा हंगामा तो बड़े अफसरों ने मारा ट्रांसपोर्ट गोदाम पर छापा
महराजगंज जिले के सिसवा नगर में एक बार फिर भारी मात्रा में प्रतिबंधित दवाओं का जखीरा पकड़ा गया है। इस बरामदगी के साथ ही पिछले साल अगस्त महीने में पकड़ी गयी 686 करोड़ की प्रतिबंधित दवाओं का मामला ताजा हो गया है। दवा माफिया ने मामले को इलाके के एक चर्चित नेता के माध्यम से मैनेज करने का काला खेल शुरु कर दिया है। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव:
सिसवा बाजार (महराजगंज): रविवार यूं तो छुट्टी का दिन होता है लेकिन सिसवा पुलिस चौकी के पास अचानक सुबह के वक्त हड़कंप मच गया। यादव फ्रेटकेरियर टांसपोर्ट के वहां से एक पिकअप गाड़ी पर संदिग्ध हालात में लादकर प्रतिबंधित सिरप कहीं पहुंचायी जा रही थी तभी मुखबिर की सटीक सूचना पर पुलिस ने छापा मार गाड़ी को पकड़ लिया। ये दवा किस दुकानदार के नाम की है और बिल किसके नाम पर कटा है, पिकअप से दवाइयां कहां भेजी जा रही थीं, इन सब बातों की पूछताछ ट्रांसपोर्ट मैनेजर से की जा रही है।
स्थानीय लोगों के मुताबिक सिसवा में लंबे समय से दवा के काले कारोबार का खेल चल रहा है।
डाइनामाइट न्यूज़ पर जैसे ही इस पुलिसिया कार्यवाही की खबर प्रकाशित हुई, चारों तरफ हड़कंप मच गया। इलाके के एक चर्चित नेता के माध्यम से मामले को मैनेज करने का खेल शुरु कर दिया गया।
फिर मौके पर एडीएम पंकज कुमार वर्मा, एसडीएम सत्य प्रकाश मिश्रा, सीओ सुनील दत्त दूबे, ड्रग इंस्पेक्टर और भारी पुलिस फोर्स पहुंची और सिसवा नगर के ट्रांसपोर्ट गोदाम पर छापा मार रिकार्ड को खंगालना शुरु किया। मामले में ट्रांसपोर्ट मैनेजर, पिकअप चालक से पूछताछ जारी है। पिकअप ड्राइवर से यह पूछा जा रहा है कि उसे किस दुकानदार ने दवा लाने और लादने के लिए ट्रांसपोर्ट वाले के वहां भेजा था।
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पिछले साल अगस्त महीने में नेपाल सीमा पर 686 करोड़ की प्रतिबंधित दवायें पकड़ी गयी थीं, तब समूचे उत्तर प्रदेश में सनसनी मच गयी थी कि कैसे दवा "माफिया-नेता-अफसरों" के गठजोड़ का आतंक जिले में सिर चढ़कर बोल रहा है।
लोगों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है। जिम्मेदार खानापूर्ति कर कार्यवाही का दिखावटी नाटक कर रहे हैं। किसी को नहीं पता कि 686 करोड़ की नकली दवाओं के मामले में क्या हुआ, जांच के नाटक का नतीजा क्या रहा?
डाइनामाइट न्यूज़ को सूत्रों ने बताया कि जिस दुकान के नाम से बिल है, वह एक दवा कारोबारी की है। दिलचस्प यह है कि दवा के दुकानदार को भी यह नहीं पता कि दवा की बिलिंग उसी के फर्म के नाम से है। फिलहाल इस मामले सिफ़ारिश करने वालों की झड़ी लगी हुई है। सिसवा चौकी इंचार्ज नीरज रॉय ने बताया कि पकड़ी गई दवाओं की लिस्ट ड्रग इंस्पेक्टर को भेजी गई है। मामले की जांच जारी है। समूचे मामले को लेकर इलाक़े में चर्चाओं का बाज़ार गर्म है।
वहीं छापेमारी दस्ते का नेतृत्व कर रहे एडीएम पंकज कुमार वर्मा ने डाइनामाइट न्यूज़ से बातचीत में कहा कि मामला गंभीर है और जांच जारी है। जल्द पूरा विवरण दिया जायेगा।
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हर जुबान पर सिर्फ एक ही चर्चा है कि आखिर कैसे प्रशासनिक नाक के नीचे नकली प्रतिबंधित दवाओं का कारोबार किया जा रहा है वह भी तब जब 686 करोड़ की नकली दवाओं के पकड़े जाने के बाद समूचे प्रदेश के महराजगंज जिले का सिसवा कस्बा लोगों की निगाह में है। क्या यह प्रशासनिक चूक है या फिर प्रशासनिक संरक्षण? इस सवाल का जवाब हर कोई एक दूसरे से पूछ रहा है।
यदि जिले के अफसरों ने दवा माफियाओं के प्रभाव में आय़े बिना सारे मामले की जांच एसटीएफ जैसी किसी स्वतंत्र एजेंसी को कराने की सिफारिश की तो मामले में बड़े खुलासे होंगे और कई सफेदपोश जेल की सलाखों के पीछे नजर आयेंगे। संदेह के घेरे में आये कारोबारियों और उनके रहनुमाओं के मोबाइल काल डिटेल्स निकलवा लिये जायें तो एक अंतर्राष्ट्रीय दवा तस्करी के गिरोह का भंड़ाफोड़ हो जाये तो कोई आश्चर्य नहीं।