DN Exclusive: दलित नाबालिग बालिका के साथ बलात्कार मामले में ज़बरदस्त छिछालेदर, 20 दिन बाद पूर्व भाजपा नेता राही मासूम रजा गिरफ़्तार लेकिन इंस्पेक्टर रवि कुमार राय पर कब होगी कार्यवाही?

डीएन ब्यूरो

पिछले 20 दिनों से महराजगंज जिला पुलिस की प्रदेश भर में हो रही जबरदस्त छिछालेदर के बाद पुलिस ने दलित नाबालिग बालिका के साथ बलात्कार, पीड़िता के पिता की हत्या तथा पीड़िता की छोटी दलित नाबालिग बहन के साथ छेड़खानी के आरोपी पूर्व भाजपा नेता राही मासूम रजा को गिरफ्तार करने का दावा किया है। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव:

बलात्कार के मामले में पूर्व भाजपा नेता राही मासूम रजा गिरफ्तार
बलात्कार के मामले में पूर्व भाजपा नेता राही मासूम रजा गिरफ्तार


महराजगंज: मुख्यमंत्री की भयंकर नाराजगी के बाद गुलरिहा थाने से भगाये गये विवादित इंस्पेक्टर रवि कुमार राय को लगभग दो साल तक महराजगंज जैसे संवेशनशील कोतवाली का थानेदार लगातार क्यों बनाये रखा गया यह सवाल चर्चा-ए-आम है। 

इसी कोतवाल की भयानक लापरवाही की वजह से जिले के पुलिस की पिछले 20 दिनों से शहर के एक संगीन मामले में जबरदस्त भद पूरे प्रदेश में पीट रही है। अब इस मामले में एक नया मोड़ आ गया है। 

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पुलिसिया हिरासत से फरार होने के ग्यारह दिन बाद भाजपा के पूर्व नेता राही मासूम रजा को नेपाल बार्डर से पुलिस ने गिरफ्तार करने का दावा किया है। 

क्या वाकई यह गिरफ्तारी है या फिर दबाव में मिलीभगत से पुलिस के सामने सरेंडर? इस बात का खुलासा आने वाले दिनों में होगा।

फिलहाल डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक इस बेहद चर्चित मामले में पुलिस ने दावा किया है कि 16 सितंबर की रात इसे नेपाल बार्डर से गिरफ्तार किया गया है। 

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इस बात की आधिकारिक जानकारी पुलिस अधीक्षक डा. कौस्तुभ ने मीडिया को जारी 40 सेकेंड की बाइट में रविवार की सुबह 8 बजकर 57 मिनट पर दी। 

बीते 20 दिनों से पुलिस की नाक में दम कर देने वाले इस मामले में कोतवाल रवि कुमार राय ने पहले दिन से ही भयानक लापरवाही बरतनी शुरु कर दी और जब मामले की पोल खुली तो मामले में सारा दोष मातहत चौकी प्रभारी प्रवीण सिंह पर मढ़ देने का नाकाम प्रयास हुआ। घटना 28 अगस्त की है लेकिन कोतवाल ने एक हफ्ते तक एफआईआर ही नहीं लिखी। मोटी रकम की लालच दे नाबालिग लड़की को खरीदने की कोशिश होती रही। मामले में भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के जिलाध्यक्ष राही मासूम रजा पर अपनी किरायेदार दलित नाबालिग बालिका के साथ बलात्कार, पीड़िता के पिता की हत्या तथा पीड़िता की छोटी दलित नाबालिग बहन के साथ छेड़खानी का संगीन आरोप लगा। मामला परत-दर-परत संगीन होता गया तो पांच सितंबर को एफआईआर तो दर्ज की गयी लेकिन कार्यवाही कुछ नहीं। 

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FIR की डिटेल्स
मामले में हत्या, बलात्कार, छेड़खानी, दलित उत्पीड़न, पाक्सो एक्ट की संगीन धाराओं में महराजगंज कोतवाली थाने में 5 सितंबर को मुकदमा अपराध संख्या 514/2023 धारा 302, 376, 354, 452, 323, 504, 506 व लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 3 व 4 तथा अनुसूचित जाति अधिनियम 1989 की धारा 3(2)(v) में एफआईआर पंजीकृत की गयी।

सबसे गंभीर अपराध
जिले भर में चर्चा है कि 6 सितंबर को कोतवाली में राही मासूम रजा मौजूद था लेकिन इसके बावजूद कोतवाल रवि कुमार राय ने उसे गिरफ्तार नहीं किया और एक अन्य नेता की सुपुर्दगी में उसे छोड़ दिया गया। जब यह मामला आम लोगों ने उठाया तो कोतवाल ने इससे पल्ला झाड़ लिया। पूरे मामले में कोतवाल को शुरु से बचाने की कोशिश की गयी। सारे मामले में बलि का बकरा नगर चौकी इंचार्ज प्रवीण कुमार सिंह और चार सिपाहियों अखिलेश चौधरी, प्रियंका सिंह, आबिद और अखिलेश को बना निलंबित कर दिया गया।

कोतवाल पर दिखावटी कार्यवाही
मुख्यमंत्री की नजरों में संदिग्ध बने कोतवाल रवि राय का महज पुलिस लाइन में तबादला कर पल्ला झाड़ लिया गया। कोतवाल की इस लापरवाही की वजह से 13 अन्य सिपाहियों को भी लाइनहाजिर होना पड़ा। 

कौन बड़ा अफसर बचा रहा है कोतवाल को
यदि कोतवाल ने 6 सितंबर को ही बलात्कार, हत्या और छेड़खानी के आरोपी भाजपा नेता को गिरफ्तार कर लिया होता तो ये बवाल ही नहीं खड़ा हुआ होता? लेकिन सवाल यह है कि कोतवाल की लापरवाही का सारा मामला पुलिस महकमे के बड़े अफसरों के संज्ञान में होने के बावजूद क्यों अब तक उसे बचाया जा रहा है?

मुख्यमंत्री की नाराजगी के बाद हुई कार्यवाही
डाइनामाइट न्यूज़ को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक 28 अगस्त की जिस संगीन वारदात में विवादित इंस्पेक्टर रवि कुमार राय ने 5 सितंबर तक एफआईआर दर्ज नहीं होने दी... 6 सितंबर को कोतवाली में आरोपी की मौजूदगी के बावजूद गिरफ्तारी न करके उसे भागने का खुला मौका देने वाले कोतवाल के काले-कारनामों की जानकारी जब मुख्यमंत्री तक पहुंचायी गयी तब जाकर 10 सितंबर को सुबह सवेरे जिले के बड़े अफसरों की नींद टूटी और दिखावटी कार्यवाही के लिए कोतवाल को मात्र लाइन हाजिर किया गया। जब इससे भी पुलिसिया कहानी में छेद ही छेद नज़र आने लगे तो इसके 3 घंटे बाद नगर चौकी प्रभारी प्रवीण सिंह और चार अन्य सिपाहियों को निलंबित किया गया। जब पुलिस के बड़े अफसरों की इस दोहरी कार्यवाही पर सवाल उठे तो अफसरों ने लीपा-पोती करते हुए कहा कि कोतवाल साहब को तो... सारे मामले की जानकारी ही नही थी... यह तो चौकी इंचार्ज थे... जो सारे मामले को देख रहे थे लेकिन जिन स्थानीय लोगों ने आरोपी नेता को कोतवाली थाने में 6 सितंबर को बैठा देखा था... उन्हें पुलिसिया थ्योरी पर थोड़ा भी भरोसा नहीं हुआ और अब दोबारा सारे मामले को मुख्यमंत्री तक पहुंचाने की तैयारी है।

9 लाख रुपये में पीड़िता को खरीदने की हुई कोशिश
स्थानीय लोग बता रहे हैं कि जिस पुलिस पर आरोपी को जेल भेजने की जिम्मेदारी थी उसने ही घटना के बाद से ही आरोपी भाजपा नेता को बचाने का गंदा खेल शुरु कर दिया। पीड़िता को 9 लाख में खरीदने की कोशिश हुई। बयान बदलने के लिए दबाव बनाया गया। जब लोगों ने हल्ला मचाया तो मामले का भंडाफोड़ किया गया और दिखावटी तौर पर रुपयों की बरामदगी कर कोतवाली के एक सिपाही तथा एक अन्य को जेल भेज दिया गया लेकिन यहां भी पुलिस विभाग के जिम्मेदारों ने कोतवाल को बचा लिया और कहा कि कोतवाल साहब... को तो... इस लेनदेन की कोई जानकारी ही नही है। 

कोतवाल से ध्यान भटकाने को आरोपी के मकान गिराने की कार्यवाही शुरु
स्थानीय लोगों में पुलिस की संदिग्ध कार्यवाही को लेकर नाराजगी है। लोगों का कहना है कि कोतवाल पर कार्यवाही न करनी पड़े इसलिए पुलिस मामले को उलझाकर रखना चाहती है। अब आरोप लगाया जा रहा है कि आरोपी के मकान का नक्शा नहीं पास है इसलिए उसका मकान गिराया जायेगा और इस बारे में धवस्तीकरण का नोटिस चिपकाया जा चुका है। 

मुख्यमंत्री कर चुके हैं कोतवाल को बेइज्जत
बात मार्च 2021 की है। इंस्पेक्टर रवि कुमार राय गुलरिहा के थानेदार थे। यहां हत्या के मामले में उन्होंने गजब का कांड कर डाला। इसकी पोल खुली मुख्यमंत्री के जनता दर्शन में। बेलीपार थाना के चेरिया निवासी मीना देवी ने सीएम के पास पहुंच बताया कि उसके बेटे की हत्या के मामले में आरोपियों को रवि राय ने गिरफ्तार तक नहीं किया और उल्टे बचाने के लिए फाइनल रिपोर्ट लगा दी। यह सुन सीएम बहुत नाराज हुए। इसके बाद एसएसपी जोगेन्द्र कुमार को विस्तृत जांच के लिए कहा। फिर दो अपर पुलिस अधीक्षकों ने जांच में रवि राय को दोषी पाने के बाद फिर गोरखपुर में इसे लाइन हाजिर किया गया। सीएम के सामने जब इसकी पूरी पोल खुल गयी तब इसने बचने के लिए गोरखपुर से अपना तबादला महराजगंज करा लिया।

दो साल के कार्यकाल की SIT से जांच की मांग

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शहर के तमाम लोग निवर्तमान विवादित कोतवाल के दो साल के कार्यकाल की SIT से विस्तृत जांच की मांग कर रहे हैं। इनका कहना है कि जिन भी हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच कोतवाल ने की है और उनमें FR या चार्जशीट भेजी है, उनकी विस्तृत जांच SIT बनाकर की जाय तो उसमें मीना देवी के साथ हुए घनघोर अत्याचार जैसे कई मामलों का भंड़ाफोड़ होगा। 

उच्च अफसरों को लड़ाने और गुमराह करने में माहिर है रवि राय

डाइनामाइट न्यूज़ को चौंकाने वाली जानकारी मिली है। पूर्व कोतवाल रवि कुमार राय गजब का घाघ है और महकमे का पुराना चावल। अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए कैसे जिले के अंदर और जिले के बाहर बड़े अफसरों को लड़ाना है... कोई इससे सिखे। सबसे पहले यह अपने निशाने पर लेता है महकमे के अनुभवहीन अफसरों को। फिर यह अपनी शातिर चालें चलता है। अंदर की खबर है कि इसने जिले के एक पुलिस अफसर को जोन के एक बड़े पुलिस अफसर से लड़ा दिया। यही नहीं जिले के अफसर को इसने इसी जिले के एक अन्य अफसर से लड़ा दिया। इन दोनों मामलों की महकमे के अंदर महराजगंज से लेकर गोरखपुर तक गजब की चर्चा है।

बड़े अफसरों को झूठी सूचनायें देने में माहिर

डाइनामाइट न्यूज़ को चौंकाने वाली जानकारी मिली है। पुलिसिया सूत्रों का कहना है कि दो साल के विवादित कार्यकाल के दौरान अधिकांश मामलों में यह अपनी सुविधा के हिसाब से जिले के बड़े अफसरों को रिपोर्ट देता था, इससे भी अधिक हैरानी की बात यह है कि ये अफसर इसके झांसे में आकर गोरखपुर और लखनऊ तक इसकी झूठी रिपोर्ट को सच मान अपनी मुहर लगाते जाते थे।

CJM ने दिया रवि राय के खिलाफ FIR का आदेश

साल 2021 में गोरखपुर जिले के गुलरिहा थाना क्षेत्र के सराय गुलरिहा गांव में हत्या के प्रयास से संबंधित एक मामले में CJM दीपक नाथ सरस्वती ने तत्कालीन थानेदार रवि राय के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया था। 










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