महराजगंज में प्राइवेट स्कूलों का काला-कारनामा, स्कूली बसों को प्रशासन से बचाने का निकाला तोड़
कुशीनगर में स्कूल वैन की ट्रेन से हुए हादसे के बाद गोरखपुर मंडल में अवैध तरीके से संचालित हो रहे स्कूली गाड़ियों के खिलाफ प्रशासनिक कार्यवाही जोर-शोर से जारी है। महराजगंज जिले में भी स्कूली बसों के चालान काटे जा रहे हैं लेकिन इससे भी बचने का उपाय इन स्कूलों ने ढूंढ़ लिया है। एक्सक्लूसिव रिपोर्ट..
महराजगंज: कुशीनगर हादसे के बाद अनफिट अथवा फर्जीवाड़ा कर चल रही स्कूली बसों के खिलाफ प्रशासनिक कार्यवाही जोरों पर है। शुक्रवार को परिवहन विभाग ने ताबड़तोड़ छापेमारी कर 8 स्कूली बसों को परमिट नियमों का उल्लघंन का दोषी पाया, जिसके बाद इन बसों का चालान कर दिया गया था। इसमे शहर के कई नामी स्कूलों की बसें भी शामिल है। परिवहन विभाग ने घोषणा की है कि नियमों का पालन न करने वाली स्कूली बसों के खिलाफ उसका यह अभियान जारी रहेगा। परिवहन विभाग की इस घोषणा के बाद अनफिट बसों के संचालकों ने अपनी बसों को सड़कों पर उतारना बंद कर दिया है, ताकि फिलहाल चालान से बचा जा सके और इस बीच समय मिलने पर बसों की फिटनेस को पूरी किया जा सके।
परिवहन विभाग ने छापेमारी के दौरान ऐसी कई बसों का चालान किया जिनमें फर्स्ट एड बॉक्स, हैड लाइट, इंडीकेटर, साइड मिरर या शीशे तक नहीं थे। इसके अलावा कुछ बसों में क्षमता से अधिक बच्चे सवार थे। परिवहन विभाग का माना है कि इन बसों का संचालन बस मालिक या स्कूल के प्रबंधक और प्रिंसिपल की मिलीभगत से किया जा रहा है।
शुक्रवार को जिले के कुछ सीमित क्षेत्रों में ही स्कूली बसों के खिलाफ परिवहन विभाग ने छापेमारी की थी। शनिवार से विभागीय छापेमारी का दायरा बढ़ने की खबरों के बीच कई बस संचालकों ने अपनी बसों को फिलहाल के लिये भूमिगत कर दिया है।
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डाइनामाइट न्यूज़ को स्कूली बसों के संचालन से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि बहुत सारी बसों में इस तरह की कई खामियां है, जिनके आधार पर इन बसों का चालान किया जा सकता है। चालान या सीज होने से बचने के लिये प्रशासन की डर से कुछ बस संचालकों औऱ स्कूलों ने अगले कुछ दिनों तक इस तरह की बसों को सड़क पर नहीं उतारने और इस बीच मौका मिलने पर बसों के रखरखाव को ठीक करने की रणनीति बनाई है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि परिवहन विभाग इस तरह के बसों के खिलाफ क्या रणनीति अपनाता है।