महराजगंज: विकास कार्यों में जमकर धांधली, इस्टीमेट से अधिक का भुगतान, गुणवत्ता से भी खिलवाड़, जानिये मिठौरा ब्लॉक के खण्ड विकास अधिकारी का कारनामा

डीएन ब्यूरो

महराजगंज जिले में हो रहे विकास कार्यों में जमकर धांधली की जा रही है। इस्टीमेट से ज्यादा का भुगतान किये जाने के बावजूद भी गुणवत्ता से जमकर खिलवाड़ किया गया। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

सवालों के घेरे में मिठौरा ब्लॉक के खण्ड विकास अधिकारी
सवालों के घेरे में मिठौरा ब्लॉक के खण्ड विकास अधिकारी


महराजगंज: जनपद में हो रहे विकास कार्यों में आये दिन धांधली उजागर होती रहती है। इसी क्रम में अब एक नया मामला सामने आया है। इस्टीमेट से ज्यादा का भुगतान करने के बावजूद भी विकास कार्यों की गुणवत्ता से भी जमकर खिलवाड़ कर दिया गया। 

मामला मिठौरा क्षेत्र पंचायत के ग्राम सभा कुईया कंचनपुर का है। यहां न सिर्फ क्षेत्र पंचायत निधि से निर्मित नाले में टेंडर से अधिक भुगतान हुआ है, बल्कि गुणवत्ता में भी जमकर मनमानी की गई है। आलम यह है कि ग्राम सभा में निर्मित नाला पिछले चार महीने में दो बार ध्वस्त हो चुका है। वर्तमान समय में नाली का गंदा पानी सड़क पर बहने से ग्रामीणों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। 

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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2021-22 में मिठौरा क्षेत्र पंचायत निधि से ग्राम सभा कुइयां कंचनपुर गांव में गिरिजेश के घर से मेन रोड तक नाला निर्माण के लिए क्षेत्र पंचायत कार्यालय से टेंडर जारी किया गया था। टेंडर में कार्य की इस्टीमेटेड मैटेरियल लागत 7.48 लाख रुपये था। 

इस नाले के लिए टेंडर के बाद मेसर्स श्री उत्तम दास इंटरप्राइजेज पकड़ियार बुजुर्ग द्वारा नाले का निर्माण भी कराया गया। लेकिन नाला निर्माण में गुणवत्ता पर जरा सा भी ध्यान नहीं दिया गया, जिसके चलते पिछले दिनों आई बारिश में नाला लगभग 50 मीटर टूटकर नाली में समा गया। नाला ध्वस्त होने के बाद नाली का पानी सड़क पर बहता रहा। 

पिछले दिनों ग्रामीणों की शिकायत पर जब इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों के पास पहुंची तो जिम्मेदार भी चौंक गये। आनन फानन में पुनः नाले की मरम्मत कराई जा रही है। लेकिन नया मामला तब शुरू हो गया है, जब ग्रामीणों ने इसके भुगतान की सच्चाई जानने के प्रयास किया।

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पोर्टल पर क्षेत्र पंचायत निधि से हुए भुगतान को देखने पर पता चला कि इस मामले में नियम से विरुद्ध इस्टीमेट 7.48 लाख के बजाए 7.80 लाख का भुगतान किया गया हैं। जबकि वहीं मजदूरी के नाम पर भी 1.12 लाख रुपए निकाले गए हैं।










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