Maharashtra Election: जानिये वर्ली सीट का सियासी समीकरण, मिलिंद देवड़ा और आदित्य ठाकरे में किसका पलड़ा भारी?

डीएन संवाददाता

महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों पर 20 नवंबर को चुनाव होने हैं। इस चुनाव में महाराष्ट्र की कुछ सीटों पर इस बार रोचक मुकाबला देखने को मिल सकता है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट



मुंबई: देश में मौसम का मिज़ाज धीरे-धीरे नरम हो रहा है लेकिन आर्थिक राजधानी मुंबई (Mumbai) समेत पूरे महाराष्ट्र का सियासी (Maharashtra Politics) तापमान दिन-ब-दिन गरम होता जा रहा है। महाराष्ट्र में इस बार ज़बरदस्त राजनीतिक घमासान होने वाला है। महाराष्ट्र विधानसभा (Maharashtra Assembly Election) की 288 सीटों पर 20 नवंबर को चुनाव होने हैं। बढ़ती चुनावी सरगर्मियों के बीच डाइनामाइट न्यूज़ आपको हर सीट का सियासी समीकरण और हर बड़ा अपडेट लगातार बताता रहा है।

इस बार महाराष्ट्र चुनाव में कई सीटों पर बेहद रोचक मुकाबला बनता दिख रहा है। इनमें से एक सीट मुंबई की वर्ली विधानसभा (Worli Assembly Seat) भी है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Shivsena Eknath Shinde) के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट ने राज्यसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मिलिंद देवड़ा (Milind Deora) को वर्ली से टिकट दिया है।

मिलिंद देवड़ा और आदित्य ठाकरे में मुकाबला

देवड़ा के सामने शिवसेना (यूबीटी) (Shivsena UBT) उम्मीदवार आदित्य ठाकरे मैदान हैं। आदित्य ठाकरे (Aditya Thackeray) वर्ली के मौजूदा विधायक भी हैं। मिलिंद देवड़ा के नाम का ऐलान आदित्य ठाकरे के नामांकन के ठीक एक दिन बाद किया गया। 

मिलिंद और आदित्य की पृष्ठभूमि

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मिलिंद देवड़ा फिलहाल राज्यसभा सदस्य हैं और वे दक्षिण मुंबई से तीन बार सांसद रहे हैं। आदित्य ठाकरे जहां शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के पोते और पूर्व सीएम उद्ध ठाकरे के बेटें हैं। वहीं मारवाड़ी परिवार से आने वाले मिलिंद देवड़ा महाराष्ट्र के कद्दावर नेता, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली देवड़ा के बेटे है। मुरली देवड़ा मुंबई के मेयर भी रह चुके हैं और वे संसद के दोनों सदनों यानी लोकसभा व राज्यसभा के भी सदस्य रहे हैं। मुरली देवड़ा चार बार दक्षिण मुंबई लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं।

शिवसेना का गढ़

जिस वर्ली सीट पर मिलिंद देवड़ा और आदित्य ठाकरे का मुकाबला होने वाला है, वो वर्ली सीट भी दक्षिण मुंबई से लगती है। दूसरे शब्दों में वर्ली विधानसभा सीट दक्षिण मुंबई लोकसभा सीट के अंदर ही आती है। वर्ली लंबे समय से शिवसेना का गढ़ रहा है। लेकिन अब बाला साहेब ठाकरे की शिवसेना के शिंदे और यूबीटी गुट में विभाजन होने के कारण शिवसेना की ताकत भी बंट गई है।

शिवसेना की शक्ति की फायद किसे?

अब बड़ा सवाल ये है कि आखिर शिवसेना की बंटी हुई शक्ति का फायदा या नुकसान वर्ली सीट पर किसको होने वाला है? आदित्य ठाकरे या मिलिंद देवड़ा को? इस सवाल का जवाब शायद एक अन्य सवाल के उत्तर में मिल सकता है। सवाल है कि आखिर शिवसेना शिंदे गुट वर्ली से  मिलिंद देवड़ा पर क्यों दांव खेलना चाहती है? इसका सीधा जवाब है।

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मिलिंद देवड़ा को लेना होगा गंभीरता से 

दरअसल, पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान मिलिंद देवड़ा को पार्टी ने वर्ली संभालने का जिम्मा सौंपा था। आदित्य ठाकरे का निर्वाचन क्षेत्र होने के बावजूद लगभग पौने तीन लाख वोटर्स वाली वर्ली विधानसभा में यूबीटी को मात्र 6,500 वोटों की लीड मिली थी, जिसे यूबीटी का निराशाजनक प्रदर्शन कहा जा सकता है। यानी वर्ली में मिलिंद देवड़ा का चुनाव प्रबंधन शानदार रहा और इसलिये वर्ली से उनकी दावेदारी भी शानदार और मजबूत रह सकती है। ऐसे में शिवसेना यूबीटी को वर्ली से मिलिंद देवड़ा की उम्मीदवारी को गंभीरता से लेना होगा। 

हालांकि राज्य के दो प्रमुख राजनीतिक संगठन महायुति और महाविकास अघाड़ी दोनों ही गठबंधन अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। लेकिन किसके दावों में कितना दम है, इसका पता 23 नवंबर को ही चलेगा। 










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