महाराष्ट्र: भाजपा के दो विधायकों ने अधिकारों के उल्लंघन की विधानसभा में शिकायत की

डीएन ब्यूरो

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो विधायकों ने अदालत द्वारा अनुचित आदेश पारित करके उनके अधिकारों का उल्लंघन करने की बुधवार को विधानसभा में शिकायत की और महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से मामले में हस्तक्षेप का आग्रह किया।

विधानसभा (फाइल)
विधानसभा (फाइल)


मुंबई: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो विधायकों ने अदालत द्वारा अनुचित आदेश पारित करके उनके अधिकारों का उल्लंघन करने की बुधवार को विधानसभा में शिकायत की और महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से मामले में हस्तक्षेप का आग्रह किया।

नार्वेकर के साथ ही उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि वह इस मुद्दे पर गौर करेंगे।

भाजपा विधायक कैप्टन तमिल सेल्वन ने मुंबई में अपने निर्वाचन क्षेत्र सायन-कोलीवाड़ा में स्लम पुनर्वास प्राधिकरण (एसआरए) योजना के निवासियों के मुद्दों के संबंध में विधानसभा में व्यवस्था का प्रश्न उठाया।

उन्होंने बताया कि एक अदालत ने कहा कि विधायकों को एसआरए कार्यालय में बैठकें नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘यह वास्तव में गंभीर बात है और विधायक के रूप में हमारे अधिकारों का उल्लंघन है।’’

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मुंबई के एक अन्य भाजपा विधायक आशीष शेलार ने ऐसे ही दो उदाहरणों का हवाला दिया। उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना वायरस महामारी के दौरान, मैंने देखा कि बाजार में उपलब्ध एक कीटाणुनाशक बीएमसी (बृहन्मुंबई महानगरपालिका) द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे कीटाणुनाशक से अधिक प्रभावी था और मैंने अधिकारियों को एक पत्र के माध्यम से इसके बारे में सूचित किया। बीएमसी के अतिरिक्त आयुक्त ने भी बैठक की। लेकिन बाद में जब कोई व्यक्ति अदालत गया तो अदालत ने निर्देश जारी किया कि कोई भी विधायक बीएमसी कार्यालय में बैठक नहीं करेगा।’’

शेलार ने कहा कि एक अदालत ने भी ऐसी ही आपत्ति जताई थी जब उन्होंने एक जर्जर इमारत से संबंधित मुद्दे पर बीएमसी अधिकारियों के साथ बैठक की थी।

फडणवीस ने बताया कि तमिल सेल्वन इस मुद्दे को उनके संज्ञान में लाये थे। उन्होंने कहा कि शेलार द्वारा उठाए गए मुद्दे भी गंभीर हैं।

उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘सरकार इस पर महाधिवक्ता के साथ चर्चा करेगी और इसे अदालतों के समक्ष उठाएगी। साथ ही, जरूरत पड़ने पर सरकार उच्चतम न्यायालय का रुख करेगी।’’

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विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर ने कहा कि वह इस संबंध में अदालतों से संवाद करेंगे। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका और विधायिका दोनों स्वतंत्र संस्थाएं हैं और इन्हें एक-दूसरे के क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

 










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