मराठा आरक्षण: जरांगे ने तरल पदार्थ का सेवन बंद किया, जांच के लिए मेडिकल टीम भेजी गई
मराठा आरक्षण को लेकर अनशन कर रहे कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने अपने आंदोलन को तेज करते हुए तरल पदार्थ का सेवन बंद कर दिया है और उन्होंने सोमवार को राज्य के सभी राजनीतिक दलों से आरक्षण के मुद्दे पर समुदाय के साथ खड़े होने की अपील की।पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
औरंगाबाद: मराठा आरक्षण को लेकर अनशन कर रहे कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने अपने आंदोलन को तेज करते हुए तरल पदार्थ का सेवन बंद कर दिया है और उन्होंने सोमवार को राज्य के सभी राजनीतिक दलों से आरक्षण के मुद्दे पर समुदाय के साथ खड़े होने की अपील की।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक सिविल सर्जन ने कहा कि ऐसी स्थिति में जरांगे को स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
जालना जिले के कार्यवाहक सिविल सर्जन प्रताप घोडके ने कहा कि जरांगे के सीरम क्रिएटिनिन और बिलीरुबिन उच्च स्तर पर है, जो संभावित रूप से यह दर्शाता है कि उनकी किडनी अच्छी तरह से काम नहीं कर रही है और लिवर की बीमारी होने की आशंका है।
मराठा समुदाय के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग को लेकर 40 वर्षीय मनोज जरांगे मध्य महाराष्ट्र के जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव में 29 अगस्त से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं।
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एक स्वास्थ्य अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि मराठा आरक्षण कार्यकर्ता ने रविवार शाम से ‘इन्ट्रावेनस फ्लूइड’ (नसों के जरिये दिया जाने वाला तरल पदार्थ) और तरल पदार्थ का सेवन बंद कर दिया है।
घोडके ने कहा, ‘‘शाम (सोमवार को) हमने मनोज जरांगे की जांच के लिए चिकित्सकों की एक और टीम भेजी। हमने उनके पारिवारिक डॉक्टर और करीबी लोगों से भी जरांगे से बात करने और उन्हें चिकित्सा उपचार लेने के लिए मनाने के लिए कहा है।'
घोडके ने कहा, ‘‘हमारे चिकित्सकों की टीम कल (रविवार शाम) जरांगे को देखने गई थी, लेकिन उन्होंने अपनी जांच कराने से इनकार कर दिया। उन्होंने इन्ट्रावेनस फ्लूइड और तरल पदार्थ का सेवन बंद कर दिया है।’’
इस बीच, जरांगे ने सोमवार को एक मराठी समाचार चैनल से बात करते हुए महाराष्ट्र के सभी राजनीतिक दलों से आरक्षण के मुद्दे पर समुदाय के साथ खड़े होने का आग्रह किया।
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उन्होंने कहा, ‘‘मराठा समुदाय ने पिछले 70 वर्षों में सभी राजनीतिक दलों का साथ दिया है...अब मराठा समुदाय के साथ खड़े होने की उनकी बारी है। समुदाय देखेगा कि अब कौन सा दल उनके साथ खड़ा है।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या वह आरक्षण मुद्दे को सुलझाने के लिए राज्य सरकार को और समय देने को तैयार हैं, जरांगे ने कहा कि अगर कोई आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल उनके साथ बातचीत के लिए आता है, तो वह इसके लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने उन्हें पर्याप्त समय दिया है...70 साल। लेकिन अगर वे हमारी मांगें सुनने को तैयार हैं और कोई प्रतिनिधिमंडल बातचीत के लिए आता है, तो हम उनकी बात जरूर सुनेंगे।’’