मीडिया दिग्गज एसएम खान का खुर्जा में अंतिम संस्कार; नम आंखों से विदाई
पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के प्रेस सचिव रहे एस एम खान का दिल्ली में निधन हो गया। सोमवार को उनके पैतृक गांव खुर्जा में एसएम खान का अंतिम संस्कार किया गया। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नई दिल्ली: भारतीय सूचना सेवा (आईआईएस) के पूर्व अधिकारी और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के प्रेस सचिव रहे एस एम खान को उत्तर प्रदेश में उनके गृह जनपद बुलंदशहर के खुर्जा स्थित पैतृक गांव में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। सुपुर्द-ए-खाक से पहले उनके जनाजे को पैतृक घर पर अंतिम दर्शन के लिये रखा गया था, जहां परिजनों और कई गणमान्य लोगों ने नम आंखों से उनको अपनी अंतिम श्रद्धांजलि दी।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार रविवार को दिल्ली के एक अस्पताल में एसएम खान का निधन हो गया था। उनकी उम्र 67 वर्ष थी। अंतिम संस्कार उनके पारिवारिक कब्रस्तान खुर्जा ले जाया गया, जहां उनको अंतिम विदाई देने के लिये देश भर के कई गणमान्य लोग पहुंचे।
सोमवार को अस्र की नमाज के बाद उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया गया।
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उनके जनाज़े में सलमान खुर्शीद, पूर्व केंद्रीय मंत्री भारत सरकार, सरवर हुसैन खान पूर्व केंद्रीय मंत्री भारत सरकार, अलीगढ़ नगर निगम के मेयर इरफ़ान, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के प्रबंधक एथर इब्राहिम, मशहूर शायर माजिद देवबन्दी समेत कई दिग्गज हस्तियां और बड़ी संख्या में आम लोग मौजूद रहे।
एस एम खान भारतीय सूचना सेवा (IIS) के सम्मानित अधिकारी रहे। वे डीडी न्यूज़ (दूरदर्शन) के महानिदेशक (डीजी) भी रहे। डीडी न्यूज़ के डीजी रूप में उन्होंने मीडिया के क्षेत्र में कई नये प्रयोग और सुधार किये।
उन्होंने अपने करियर के दौरान केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) में भी अहम भूमिका निभाई। वे 1989 से 2002 तक CBI के सूचना अधिकारी रहे, जो CBI के इतिहास में सबसे लंबा कार्यकाल रहा। CBI में अपने कार्यकाल के दौरान वे अपनी कार्यकुशलता के लिए देश भर में मशहूर हुए।
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इसके अलावा, उन्होंने कई महत्वपूर्ण सरकारी पदों पर कार्य किया और देश के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सेवा दी।
उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के प्रेस सचिव के रूप में भी कार्य किया, जहां उन्होंने सरकार और जनता के बीच संवाद के महत्वपूर्ण पुल का काम किया।
एसएम खान का निधन देश के लिये एक अपूरणीय क्षति है। मीडिया के क्षेत्र में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जायेगा। उनका निधन से न केवल पत्रकारिता और सूचना सेवा जगत को, बल्कि देश की प्रशासनिक व्यवस्था को भी गहरा धक्का लगा है। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।