मेघालय: नौकरी आरक्षण नीति की समीक्षा की मांग को लेकर वीपीपी प्रमुख का अनशन दूसरे दिन भी जारी
मेघालय में 1972 की आरक्षण नीति की समीक्षा की मांग को लेकर विपक्षी दल 'वॉयस ऑफ द पीपल्स पार्टी' (वीपीपी) के अध्यक्ष अर्देंट बसैयावमोइत दूसरे दिन बुधवार को भी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर रहे।
शिलांग: मेघालय में 1972 की आरक्षण नीति की समीक्षा की मांग को लेकर विपक्षी दल 'वॉयस ऑफ द पीपल्स पार्टी' (वीपीपी) के अध्यक्ष अर्देंट बसैयावमोइत दूसरे दिन बुधवार को भी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर रहे।
राज्य में 60 सदस्यीय विधानसभा में चार विधायकों वाली वीपीपी पार्टी के समर्थक पार्टी प्रमुख के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए अतिरिक्त सचिवालय की पार्किंग में मौजूद रहे, जहां बसैयावमोइत भूख हड़ताल पर बैठे हैं।
उन्होंने कहा, 'मैं ठीक महसूस कर रहा हूं। मैंने इसके लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार कर लिया है और भगवान मेरे साथ हैं।'
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बसैयावमोइत ने मंगलवार सुबह साढ़े नौ बजे से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की शुरूआत की थी। उनके स्वास्थ्य की स्थिति पर डॉक्टरों की एक टीम नजर रख रही है।
एक वरिष्ठ डॉक्टर ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, 'हम नियमित अंतराल पर उनकी स्वास्थ्य स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। सबकुछ सामान्य है। वह ओआरएस ले रहे हैं।'
राज्य सरकार द्वारा 1972 से ही गारो और खासी समुदाय के लिए 40-40 फीसदी नौकरियां आरक्षित हैं जबकि पांच फीसदी नौकरियां राज्य में रहने वाली अन्य जनजातियों के लिए और शेष 15 फीसदी नौकरियां सामान्य वर्ग के लिए हैं।
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राज्य में 60 सदस्यीय विधानसभा में चार विधायकों वाली वीपीपी इस नीति की समीक्षा की मांग कर रही है। वीपीपी का कहना है कि यह नीति खासी जनजाति के लिए अनुचित है जिसकी आबादी पिछले कुछ वर्षों में गारो जनजाति से अधिक हो गई है।