अपनी ही सरकार के विरोध में जुटा विधायक, किया प्रदर्शन, जानिये पूरा मामला
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के विधायक लोबिन हेंब्रम ने 1932 के भूमि खतियान के आधार पर स्थानीयता (डोमिसाइल) की नीति को लागू करने और राज्य में स्थानीय लोगों के लिए एक रोजगार योजना की मांग को लेकर रविवार को यहां पुराने विधानसभा मैदान में अपनी ही सरकार के खिलाफ एक रैली की।पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के विधायक लोबिन हेंब्रम ने 1932 के भूमि खतियान के आधार पर स्थानीयता (डोमिसाइल) की नीति को लागू करने और राज्य में स्थानीय लोगों के लिए एक रोजगार योजना की मांग को लेकर रविवार को यहां पुराने विधानसभा मैदान में अपनी ही सरकार के खिलाफ एक रैली की।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार रांची के पुराने विधानसभा मैदान में आयोजित 'जमीन-खतियान बचाओ महाजुटान' कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक लोबिन हेंब्रम ने कहा कि रैली का आयोजन इसलिए किया गया क्योंकि 1932 के खतियान (रिकॉर्ड) आधारित स्थानीयता की नीति उनकी सरकार ने लागू नहीं की है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़ा हूं और हम सत्ता में हैं। इसके बावजूद महाजुटान कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। मुझे ऐसा करने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि 1932 की खतियान आधारित स्थानीयता नीति अभी तक लागू नहीं हुई है। मैं इसके लिए आवाज उठाऊंगा।''
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हालांकि, झारखंड मंत्रिमंडल ने पिछले वर्ष सितंबर में 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता तय करने से संबंधित कानून बनाने के लिए एक प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दी थी।
यह फैसला आदिवासियों की इस मांग की पृष्ठभूमि में लिया गया था कि 1932 में ब्रिटिश सरकार द्वारा किए गए अंतिम भूमि सर्वेक्षण (खतियान) को स्थानीय लोगों को परिभाषित करने के आधार के रूप में इस्तेमाल किया जाए।
हेंब्रम ने यह भी आरोप लगाया कि आदिवासियों की जमीन और नौकरियों को लूटा जा रहा है। उन्होंने घोषणा की कि अगर सरकार स्थानीयता निर्धारित करने के लिए इस नीति को लागू नहीं करती है तो वह भूमि की रक्षा के लिए लड़ेंगे।
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उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपनी झामुमो सरकार से कहना चाहता हूं कि कम से कम उन वादों को पूरा करें जो चुनाव प्रचार के दौरान किए गए थे।''
झारखंड राज्य छात्र संघ के बैनर तले कई छात्र संगठनों ने सरकारी नौकरियों में स्थानीय लोगों के लिए 100 फीसदी आरक्षण की मांग को लेकर 17 से 19 अप्रैल तक पूरे राज्य में प्रदर्शन किया था तथा राज्य में बंद भी आहूत किया गया था जिससे सामान्य जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया था।