मुंबई : ईडी ने ऑक्सीजन संयंत्र धोखाधड़ी के संबंध में धन शोधन का मामला दर्ज किया
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान अस्पतालों में ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित करने में कथित धोखाधड़ी के संबंध में धन शोधन का एक मामला दर्ज किया है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
मुंबई: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान अस्पतालों में ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित करने में कथित धोखाधड़ी के संबंध में धन शोधन का एक मामला दर्ज किया है।
एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने 24 नवंबर को बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) को छह करोड़ रुपये की चपत लगाने के आरोप में मैसर्स हाईवे कंस्ट्रक्शन कंपनी के ठेकेदार रोमिल छेदा को गिरफ्तार किया था।
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उन्होंने बताया कि ईडी ने शुक्रवार को धोखाधड़ी के संबंध में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक मामला दर्ज किया है। उन्होंने बताया कि रोमिल को बीएमसी द्वारा संचालित नौ अस्पतालों और दो वृहद कोविड-19 केंद्रों में ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित करने का ठेका दिया गया था जबकि उसके पास इस तरह के काम का कथित रूप से पूर्व अनुभव नहीं था।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार ईओडब्ल्यू के अनुसार, भायखला में स्थित नगरपालिका कार्यशाला और नगर निगम द्वारा संचालित अस्पतालों वीएन देसाई, डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर, जीटीबी, कस्तूरबा, बीवाईएल नायर, आर.एन. कूपर, के. बी. भाभा, के.ई. एम और एटीएमजी सायन के परिसर में ऑक्सीजन संयंत्रों में अप्रैल 2021 और जनवरी 2022 के बीच यह धोखाधड़ी हुई।
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अधिकारी ने बताया कि शुरुतआती जांच में यह सामने आया कि नगर निगम के संबंधित अधिकारियों ने अनुबंध देते समय पात्रता नियमों की अनदेखी की और ऑक्सीजन संयंत्र निर्धारित समय सीमा के भीतर स्थापित नहीं किए गए, जिसकी वजह से बीएमसी को छह करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। उन्होंने बताया कि अनुबंध के अनुसार, काम 30 दिनों में पूरा करना था और तय समय-सीमा के भीतर काम पूरा नहीं करने पर ठेकेदार को हर हफ्ते की देरी के लिए अनुबंध राशि का एक प्रतिशत जुर्माना देना था।
अधिकारी ने बताया कि छेदा पर काम में देरी के लिए 3.16 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था लेकिन जांच से पता चला कि नगर निगम अधिकारियों को उससे जुर्माने के रूप में छह करोड़ रुपये और वसूलने चाहिए थे। ईओडब्ल्यू ने छेदा और बीएमसी के कुछ अधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 418, 465, 467, 468, 471, 218, 120 (बी) और 34 के तहत धोखाधड़ी, जालसाजी, गलत तरीके से नुकसान पहुंचाने, किसी को सजा या अन्य अपराधों से बचाने के लिए गलत रिकॉर्ड बनाने का मामला दर्ज किया है।