प्रधानमंत्री को मणिपुर के मेइती विधायकों के साथ पत्र लिखने वाले नगा विधायक भ्रमित: एनएससीएन (आईएम)

डीएन ब्यूरो

एनएससीएन (आईएम) ने मणिपुर में मेइती समुदाय के 32 विधायकों के साथ मिलकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखने वाले आठ नगा विधायकों की आलोचना की और कहा कि उन्होंने जो पत्र भेजा है, उसका नगा लोगों की राजनीतिक आकांक्षाओं से कोई लेना-देना नहीं है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

एनएससीएन-आईएम नेता थुइंगालेंग मुइवा
एनएससीएन-आईएम नेता थुइंगालेंग मुइवा


दीमापुर: एनएससीएन (आईएम) ने मणिपुर में मेइती समुदाय के 32 विधायकों के साथ मिलकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखने वाले आठ नगा विधायकों की आलोचना की और कहा कि उन्होंने जो पत्र भेजा है, उसका नगा लोगों की राजनीतिक आकांक्षाओं से कोई लेना-देना नहीं है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, हिंसा प्रभावित मणिपुर के 40 विधायकों ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर कुकी उग्रवादी समूहों के साथ हुए ‘सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन्स’ (एसओओ) समझौते को वापस लेने और राज्य में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) लागू करने की मांग की है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ‘अलग प्रशासन’ की कुकी समूहों की मांग किसी भी परिस्थिति में कतई स्वीकार्य नहीं है।

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एनएससीएन (आईएम) ने बुधवार को यहां जारी बयान में कहा, “इसे 'विश्वासघाती धरातल' पर कदम रखना कहा जा सकता है। मणिपुर के आठ नागा विधायकों ने खुद को भ्रमित साबित कर दिया है। वे नहीं जानते कि वे कौन हैं और मणिपुर विधानसभा में किसका प्रतिनिधित्व करते हैं।”

बयान में कहा गया है कि मणिपुर के नगा समुदाय के लोग उस वक्त हैरान रह गए जब इन “रीढ़विहीन विधायकों” ने मैतेई समुदाय के 32 विधायकों के साथ मिलकर एक ऐसे मुद्दे पर प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा, जिसका नगा लोगों की राजनीतिक आकांक्षाओं से कोई लेना-देना नहीं है।

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बयान में कहा गया है, “प्रधानमंत्री को भेजा गया उनका प्रतिवेदन पूरी तरह से उन नगा लोगों की आवाज के खिलाफ है, जो समुदाय के व्यक्तियों के राजनीतिक अधिकार और वैध आकांक्षा को पूरा करने के लिए तीन अगस्त, 2015 के रूपरेखा समझौते के शीघ्र कार्यान्वयन की मांग कर रहे हैं।”










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