नेपाल: आरएसपी ने प्रचंड नीत सरकार से समर्थन वापस लिया
नेपाल की राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) ने प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ सरकार से अपना समर्थन वापस लेने और विपक्ष में रहने का फैसला किया है।
काठमांडू: नेपाल की राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) ने प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ सरकार से अपना समर्थन वापस लेने और विपक्ष में रहने का फैसला किया है।
पार्टी प्रवक्ता मोद ढकाल ने बताया कि रवि लामिछाने नीत आरएसपी ने पार्टी की केंद्रीय समिति और संसदीय दल के साथ शुक्रवार को एक संयुक्त बैठक में सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया।
बहरहाल, समर्थन वापस लेने के फैसले से अभी प्रचंड नीत सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा लेकिन इससे कुछ समय बाद राजनीतिक संकट पैदा हो सकता है।
सीपीएन-माओवादी नेता तथा पूर्व पर्यावरण मंत्री सुनील मनाहधर ने कहा, ‘‘आरएसपी ने प्रचंड सरकार से अपना समर्थन वापस लेने का निर्णय लिया है। बहरहाल, समर्थन वापस लेने से प्रचंड नीत सरकार की मौजूदा स्थिति पर अभी कोई असर नहीं पड़ेगा लेकिन इससे कुछ समय बाद राजनीतिक संकट पैदा हो सकता है।’’
यह भी पढ़ें |
RSP प्रमुख रवि लामिछाने ने नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड से की मुलाकात, सत्तारूढ़ गठबंधन को लेकर पढ़िये ये अपडेट
उन्होंने कहा, ‘‘हम आरएसपी के समर्थन वापस लेने के बाद भी प्रतिनिधि सभा में बहुमत में हैं।’’
गौरतलब है कि 20 नवंबर को हुए आम चुनाव के बाद आरएसपी 25 दिसंबर 2022 को पुष्प कमल दहल की अगुवाई वाली सरकार में शामिल हो गयी थी। हालांकि, पार्टी ने पांच फरवरी को अपने मंत्रियों को वापस बुला लिया था लेकिन वह सरकार का समर्थन कर रही थी।
आरएसपी के 23 अप्रैल को हुए उपचुनाव में दो सीटें जीतने के बाद प्रधानमंत्री प्रचंड ने पार्टी को सरकार में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था लेकिन सत्ता में हिस्सेदारी को लेकर समझौता नहीं होने के बाद उसने सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया।
आरएसपी ने यह भी आरोप लगाया कि प्रचंड सरकार भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने से जुड़े मुद्दे से निपटने में नाकाम रही है।
यह भी पढ़ें |
Nepal: सरकार पर मंडरा रहे राजनीतिक खतरे के चलते प्रधानमंत्री ने की कतर यात्रा रद्द
नेपाल की संसद में आरएसपी चौथी बड़ी पार्टी है और उसके पास निचले सदन में 22 सांसद हैं।
लामिछाने की संसदीय सदस्यता उच्चतम न्यायालय ने इस साल निरस्त कर दी थी क्योंकि वह संसदीय चुनाव लड़ने के लिए वैध नागरिकता प्रमाणपत्र नहीं दिखाने के दोषी पाए गए थे।