उदयपुर की घटना हत्याकांड नहीं, ‘आतंकी हमला’, कांग्रेस सरकार जिम्मेदार: भाजपा
भाजपा ने बुधवार को आरोप लगाया कि राजस्थान के उदयपुर में दो व्यक्तियों द्वारा एक दर्जी की कथित तौर पर गला काटकर जान लेने की घटना कोई सामान्य हत्याकांड नहीं है बल्कि एक ‘‘आतंकी हमला’’ है और इसके लिए वहां की कांग्रेस सरकार जिम्मेदार है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बुधवार को आरोप लगाया कि राजस्थान के उदयपुर में दो व्यक्तियों द्वारा एक दर्जी की कथित तौर पर गला काटकर जान लेने की घटना कोई सामान्य हत्याकांड नहीं है बल्कि एक ‘‘आतंकी हमला’’ है और इसके लिए वहां की कांग्रेस सरकार जिम्मेदार है।
भाजपा मुख्यालय में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता व सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने यह आरोप भी लगाया कि राजस्थान कट्टरपंथियों का अड्डा बनता जा रहा है और देश के बाहर के आतंकी संगठनों को बढ़ावा देने के लिए राज्य की भूमि इस्तेमाल की जा रही है क्योंकि राज्य सरकार आतंकवादी और कट्टरपंथी संगठनों को प्रोत्साहन देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
इस मामले की जांच राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को सौंपे जाने को न्यायोचित ठहराते हुए भाजपा नेता ने दावा किया कि पिछले छह महीने के अंदर एक भी सप्ताह ऐसा नहीं गया जब राजस्थान के अंदर आतंकी और जिहादी घटनाएं नहीं हुई हों।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए एनआईए ने इसकी जांच अपने हाथ में ले ली है... ये जो गहरे कनेक्शंस हैं...लिंक्स हैं, उन सबकी गहरी तहकीकात की जाएगी कि ये क्या और कौन हैं? कौन है जो राजस्थान के अंदर सत्ता में रहकर इनको शह दे रहा है? कौन है जो इनको बढ़ावा दे रहा है? देश की सुरक्षा कायम रखने के लिए इस तरह के हर कनेक्शन के खिलाफ कार्यवाही होगी।’’
ज्ञात हो कि उदयपुर के धानमंडी थानाक्षेत्र में सोमवार को दो व्यक्तियों ने कन्हैयालाल नामक एक दर्जी की कथित रूप से गला काटकर हत्या कर दी और सोशल मीडिया पर एक वीडियो डालकर कहा कि उन्होंने ‘इस्लाम के अपमान’ का बदला लेने के लिए ऐसा किया।
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दिन दहाड़े कथित हत्या को अंजाम देने वाले दोनों शख्स ने ऑनलाइन वीडियो डालकर इस गुनाह की जिम्मेदारी ली और पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया है।
कन्हैयालाल की हत्या के लिए राजस्थान सरकार और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तुष्टिकरण की नीति को जिम्मेदार ठहराते हुए राठौड़ ने आरोप लगाया कि राजस्थान में आतंकी संगठन पनप रहे हैं और राज्य सरकार उन्हें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से प्रोत्साहित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘एक के बाद एक राजस्थान सरकार के जो फैसले हुए हैं वह सब तरह से तुष्टीकरण दिखाते हैं। एक संप्रदाय के प्रति नरमी और दूसरे संप्रदाय के प्रति सख्ती। कन्हैयालाल लगातार स्थानीय पुलिस से सुरक्षा मांगता रहा लेकिन उसे सुरक्षा नहीं दी गई बल्कि उसके ऊपर दबाव बनाया गया कि वह समझौता कर ले। इतना ही नहीं, सुरक्षा कन्हैयालाल को न देकर हत्यारों के भाइयों को दे दी गई।’’
उदयपुर की घटना को गहलोत द्वारा हत्याकांड कहे जाने पर आपत्ति जताते हुए राठौड़ ने कहा कि जब कोई हत्याकांड का वीडियो बनाता है और उसे वायरल करता है तो वह जमीन या पैसे का सामान्य विवाद नहीं होता है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह हत्याकांड नहीं है, यह सरेआम आतंकी हमला है। पूरे समाज को आतंकित करने के लिए ऐसी कार्रवाई की गई है।’’
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पूर्व की कुछ घटनाओं का उल्लेख करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री राठौड़ ने पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठाए और आरोप लगाया कि वह राजनीतिक लोगों की खुफिया जानकारी इकट्ठा करने और विधायकों को सुरक्षा देने में मशगूल है ना कि आम आदमी की सुरक्षा करने में।
उन्होंने कहा, ‘‘यह वजह है कि स्लीपर सेल राजस्थान के अंदर आ गए हैं। आतंकी संगठनों के साथ इन सब का कहीं ना कहीं मेल मिलाप है... गहरी साजिश है और कानून व्यवस्था का हाल शून्य है। जनता की सुरक्षा को दरकिनार कर दिया गया है।’’
भाजपा प्रवक्ता ने देश में सांप्रदायिक तनाव का हवाला देने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से देश की जनता को संबोधित करने के मुख्यमंत्री गहलोत के बयान की भी कड़ी आलोचना की।
उन्होंने कहा, ‘‘राजस्थान के मुख्यमंत्री हर चीज के लिए प्रधानमंत्री जी को याद करेंगे तो अपनी कुर्सी क्यों नहीं छोड़ देते? जब कुर्सी संभल नहीं रही है, जनता की सुरक्षा नहीं हो पा रही है, जब कांग्रेस के अंदर इतनी जबरदस्त अंदरूनी खींचतान चल रही है तो कम से कम नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह या तो अपनी जिम्मेदारी निभाएं या उस जिम्मेदारी से हट जाएं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह वोट बैंक की राजनीति... यह तुष्टीकरण की राजनीति समाज को बांट रही है। विदेश के जो आतंकी संगठन हमारे देश को अस्थिर करना चाहते हैं, उनको बढ़ावा देने के लिए राजस्थान की भूमि इस्तेमाल की जा रही है...राजस्थान सरकार नाकाम हो रही है और कहीं ना कहीं इन कट्टरपंथी संगठनों को समर्थन देती दिख रही है। (भाषा)